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Thursday, 9 May, 2024
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पद का लालच देकर कमलनाथ रखेंगे मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को अपने साथ

दिग्विजय सिंह ने संकेत दिया है कि कमलनाथ सरकार पर आए संकट का निवारण मंत्रिमंडल विस्तार से किया जा सकता है ताकि नाराज़ विधायकों को मनाया जा सके.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस में उठापटक जारी है. राज्य के मौजूदा हालत पर नजर रखने के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी भोपाल पहुंच गए हैं. राज्य के सियासी संकट के बीच कमलनाथ ने ओरछा दौरा रद्द कर दिया है. वे नमस्ते ओरछा कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे. वे भोपाल में ही रहकर सभी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं. फिलहाल सियासी संकट से बाहर निकलने के लिए राज्य में कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है.

अपनी सरकार बचाने के लिए कमलनाथ पूरी तरह से ​तैयार हैं. एक राह जो सरकार निकाल रही है वो विधायकों को मंत्री पद, निकायों और अन्य पदों की नियुक्तियों के ज़रिए कर सकती है ताकि पद पाने के लॉलीपॉप से सभी विधायकों को पार्टी जोड़ कर रख सके.

पार्टी इस दिशा में काम रही है कि किसी भी दशा में आठ विधायकों को नहीं तोड़ा जाए. वहीं सभी विधायक एकजुट रहे. किसी भी विधायक का इस्तीफा मिले बिना स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसके अलावा निर्दलीय विधायकों को आश्वासन दिया जाएगा कि उन्हें कुछ पद जरूर दिया जाएगा. इस​के लिए सरकार जल्द ही कुछ मंत्रियों के प्रभार को कम करके अन्य सदस्यों को मंत्री पद से नवाज़ सकती है. इसे अलावा खाली पड़े निगम मंडलों में नियुक्ति कर सकती है.


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भोपाल पहुंचने के बाद दिग्विजय सिंह ने स्थानीय मीडिया से चर्चा में कहा, ‘करोड़ों की ई—टेंडरिंग घोटोला मामले में भाजपा नेताओं पर शिकंजा कसता जा रहा है. माध्यम (जनसंपर्क विभाग का उपक्रम) में भी घोटाला किया गया है. इस पर एक एफआईआर भी दर्ज हुई है. अब वे छटपटा रहे हैं, इसलिए मनमाना पैसा खर्च कर विधायकों को प्रलोभन दे रहे है. कुछ नेताओं के नाम हनीट्रैप में भी शामिल हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि कमलनाथ सरकार पर कोई संकट नहीं है. सरकार पूरी तरह से सु​रक्षित है. कमलनाथ मंत्रिमंडल से जुड़े सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मंत्रिमंडल का विस्तार होना चाहिए. सीएम कमलनाथ करेंगे. ये बजट सत्र के बाद होगा.’

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वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान को बधाई देते हुए कहा उन्हें जन्मदिन की बहुत बधाई. ‘वह निरंतर फलते-फूलते रहे लेकिन विपक्ष में’.

सभी क्षत्रपों को साथ लेकर चलना ही उचित

मध्य प्रदेश में उत्पन्न हालत पर वरिष्ठ पत्रकार राशीद किदवई ने दिप्रिंट से कहा, ‘मध्य प्रदेश में जो राजनीतिक संकट है उसके दो पहलू हैं. पहला यह कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का मामला है. दूसरा कि विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही भाजपा यहां सरकार बनाने के लिए घात लगाकर बैठी है, क्योंकि यहां दोनों दलों के बीच सरकार बनाने के लिए संख्या का अंतर कम है.’

उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव को देखा जाए तो अभी दोनों पार्टियों की तरफ से उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है. भाजपा राज्यसभा सीटों के लिए भी बहुत ही उग्र और आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ती है. गुजरात में अहमद पटेल के चुनाव का उदारहण हमारे सामने है.’

वह कहते हैं, ‘ये चुनाव ही मध्य प्रदेश सरकार को स्थिर करेंगे या अस्थिर. इन चुनावों में ऐसे उम्मीदवार उतारने चाहिए जिसे दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया सभी गुट का समर्थन हासिल हो. अगर क्षत्रपों को साथ में लेकर चलेंगे तो सभी विधायक अपने आप ही पीछे हट जाएंगे.’

किदवई बताते हैं, ‘अभी ​तक निगम मंडल में नियुक्ति न होना और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का चयन न होना कई समस्याएं पैदा करते हैं. इसकी चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ रहा है.’


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यह कहता है विधानसभा का अंक गणित

राज्य में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं. ​दो विधायकों के निधन के बाद दो सीटें फिलहाल खाली हैं. उस हिसाब से राज्य में बहुमत का आंकड़ा 115 है. वहीं कांग्रेस पार्टी के फिल्हाल 114 विधायक हैं. अगर कांग्रेस के विधायक का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है ते कांग्रेस के पास केवल 113 सदस्य ही रहे जाएंगे. इसके अलावा केवल 4 निर्दलीय विधायक, 2 बसपा जिसमें एक पार्टी से नि​लंबित है, और एक सपा विधायक का समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस को फिल्हाल 120 विधायकों का साथ माना जाएगा.

कांग्रेस के दो विधायक बेंगलुरू में हैं. अगर दोनों कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ देते हैं तो संख्या बल घटकर 112 रह जाएगी. वहीं भाजपा के पास 107 विधायक होंगे. भाजपा को ये चार विधायक अगर समर्थन दे देते हैं तो उनके पास 111 विधायक हो जाएंगे. भाजपा अपने विधायकों और अन्य दलों के समर्थन से 115 तक पहुंच सकती है.

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