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Thursday, 25 April, 2024
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यूपी में योगी पर क्यों लग रहे ‘ठाकुरवाद’ के आरोप

विपक्षी पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में मुख्यमंत्री योगी को बना रहे हैं निशाना.

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लखनऊ : लाॅ छात्रा के साथ रेप करने के आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री के मामले में योगी सरकार घिरती जा रही है. रेप के आरोप के बाद चिन्मयानंद तो अस्पताल में हैं. लेकिन, पीड़िता को वसूली के आरोप में जेल में डाल दिया गया है. ऐसे में विपक्ष ने इस पर सीएम योगी पर सवाल उठाए हैं. विपक्ष का आरोप है कि चिन्मयानंद की मुख्यमंत्री से करीबी के कारण उनकी गिरफ्तारी टलती रही. वहीं, सेंगर के मामले में भी विपक्षी दलों ने कुछ ऐसे ही आरोप लगाए थे. उनका कहना है कि क्षत्रिय होने के कारण दोनों को सरकार की ओर से संरक्षण मिलता रहा.

समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में एक विशेष जाति को अधिक तवज्जो दी जा रही है. ‘क्षत्रिय कनेक्शन’ के कारण कुलदीप सिंह सेंगर व चिन्मयानंद को इतने लंबे समय तक बचाया गया. वह दोनों भी इसी जाति के हैं. वहीं सरकार में भी तमाम पदों पर एक विशेष जाति को तवज्जो दी जा रही है. दूसरी जाति वालों को इग्नोर किया जा रहा है. जबकि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो सपा सरकार पर आरोप लगाती थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद ने भी योगी सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है. उन्होंने कहा है कि इस सरकार में ब्राह्मणों को नजरअंदाज किया जा रहा है जबकि बीजेपी को ब्राह्मणों ने जमकर वोट किया. फिर भी सरकार के अहम पदों पर उन्हें तवज्जो नहीं मिली. दिप्रिंट से बातचीत में जितिन ने तमाम उदाहरण भी गिनाए.

योगी के करीबी माने जाते हैं चिन्मयानंद 

दरअसल, सीएम योगी के करीबी माने जाने वाले लाॅ छात्रा संग रेप के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी देर से हुई. बीती 24 अगस्त को पीड़िता ने स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया. इसके बाद वह गायब हो गई. पीड़िता के पिता की तहरीर पर मीडिया में खबरें आने के बाद एफआईआर दर्ज हुई. इस एफआईआर में चिन्मयानंद पर रेप की धारा नहीं लगी. बीती 20 सितंबर को एसआईटी जांच के बाद चिन्मयानंद पर धारा 376(सी) के तहत कार्रवाई की गई. इसके बाद तुरंत चिन्मयानंद अस्पताल में भर्ती हो गए. वहीं पीड़ित छात्रा को वसूली के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इस कारण विपक्ष ने योगी सरकार पर आरोपी चिन्मयानंद को बचाने के आरोप शुरू कर दिए.

चिन्मयानंद से पुराना केस हटाने की हुई थी कोशिश

दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते साल 25 फरवरी को शाहजहांपुर गए थे. वहां उन्‍होंने स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में आयोजित मुमुक्ष युवा महोत्सव में भाग भी लिया था. वहीं, इसके बाद 2018 में ही योगी सरकार ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री स्‍वामी चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज रेप और अपहरण केस वापस लेने की कोशिश भी की थी. स्थानीय अदालत ने यूपी सरकार को चिन्मयानंद के खिलाफ रेप के मामले को वापस लेने की अपील को अस्वीकार कर दिया था. स्वामी चिन्मयानंद पर नवंबर 2011 में शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी. अपहरण और रेप का आरोप उनके ही आश्रम में कई वर्षों तक रहने वाली एक युवती ने लगाया था.

सेंगर मामले में देर से कार्रवाई

रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में भी बीजेपी सरकार पर तमाम सवाल खड़े हुए थे. दरअसल जून 2017 में कुलदीप सेंगर पर बलात्कार करने का आरोप लगा. पीड़ित नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि विधायक कुलदीप सेंगर ने अपने घर पर उस वक्त उसके साथ बलात्कार किया था. जब वह अपने एक रिश्तेदार के साथ उनके घर पर नौकरी मांगने गई थी. इस मामले में उस वक़्त पीड़ित लड़की की एफ़आईआर पुलिस ने नहीं लिखी थी जिसके बाद लड़की के परिवार वालों ने कोर्ट का सहारा लिया था. सेंगर की गिरफ्तारी के बाद 28 जुलाई 2019 को पीड़िता की कार को ट्रक ने टक्कर मार दी जिसमें पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो गई. वहीं पीड़िता कोमा में चली गई. इस मामले में काफी किरकिरी होने के बाद बीजेपी ने कुलदीप सेंगर को निलंबित किया. बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पार्टी में एक बड़ी ‘लाॅबी’ सेंगर को लंबे समय तक बचाती रही. विपक्ष के नेता इसे ‘क्षत्रिय’ कनेक्शन से जोड़ते दिखे.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ । फोटो साभार : सुमित कुमार

मंत्रालय में भी तवज्जो देने का आरोप

योगी सरकार में कैबिनेट में कुल 25 मंत्री हैं जिनमें सीएम योगी को मिलाकर कुल 7 क्षत्रिय हैं. इसमें जय प्रताप सिंह, महेंद्र सिंह, चेतन चौहान, सूर्य प्रताप शाही, सुरेश राणा, मोती सिंह शामिल हैं. हाल ही में कई को नए मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी मिली है. सीएम योगी के करीबी माने जाने वाले महेंद्र सिंह को जलशक्ति मंत्रालय दिया गया है जो कि काफी अहम मंत्रालय माना जा रहा है.पानी से संबंधित सभी विभाग इसी विभाग के अधीन आएंगे. सिंचाई मंत्रालय को समाप्त कर दिया गया है.

मंत्री महेंद्र सिंह को हाल ही में स्वतंत्र प्रभार से कैबिनेट में प्रमोट किया गया है. वहीं जय प्रताप सिंह को सिद्धार्थनाथ की जगह स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है. कैबिनेट रिशफल के दौरान काफी चर्चाएं थीं कि राज्य मंत्री स्वाति सिंह की मंत्री पद से छुट्टी हो सकती है लेकिन उन्हें प्रमोट कर स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. बता दें कि स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव से पहले मायावती पर अभद्र टिप्पणी की थी. इसके बाद स्वाति सिंह को यूपी बीजेपी में महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया और फिर सरोजनीनगर सीट से टिकट भी दे दिया गया. वहीं चुनाव जीतते ही सीएम योगी के मंत्री मंडल में भी जगह मिल गई.सूत्रों की मानें तो बीजेपी के कई विधायक भी इस फैसले से हैरान रह गए.

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आंकड़ों के लिहाज से नजर डालें तो:

कुल 56 मंत्री (मुख्यमंत्री योगी सहित)
अगड़े : 28 (8 ब्राह्मण, 8 ठाकुर, 5 वैश्य, 2 भूमिहार, 3 खत्री, 1 कायस्थ )
पिछड़े : 19 (4 कुर्मी, 3 जाट, 2 लोध, 2 मौर्य 1 गुर्जर, 1 गड़रिया, 1 कहार, 1 निषाद, 1 नोनिया चौहान, 1 सैनी, 1 यादव, 1 राजभर)
अनुसूचित जाति : 7 (2 कोरी, 2 पासी, 1 जाटव, 1 धोबी, 1 बेलदार)
अल्पसंख्यक : 2 (1 मुसलमान, 1 सिख)

बड़बोले विधायकों पर नकेल नहीं कसी

बीजेपी के कई विधायक आए दिन विवादास्पद बयान दे देते हैं लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह इसमें काफी आगे हैं. उन्होंने तो बीते दिनों राहुल गांधी की तुलना रावण और प्रियंका की तुलना शूर्पणखा से कर दी. इसके अलावा वह ये भी बोल चुके हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती रोजाना फेशियल करवाती हैं. ऐसे तमाम बयानों के बावजूद उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके अलावा हरदोई से भाजपा विधायक आशीष सिंह आशू ने उन्नाव बलात्कार मामले में मुख्य आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के प्रति हमदर्दी जताते हुए बयान दिया कि ‘सेंगर कठिन वक्त से गुजर रहे हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं’. इन पर भी पार्टी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.


यह भी पढ़े : बीआरडी मामले में डॉ. कफ़ील का दावा- दोषमुक्त हुआ लेकिन सरकार ने कहा, ‘नो क्लीन चिट’


ब्यूरोक्रेसी में बैलेंस की कोशिश 

ब्यूरोक्रेसी में सीएम योगी ने बैलेंस करने की काफी कोशिश की है. मुख्य सचिव अनूप चंद पांडे की सेवानिर्वत होने के बाद आरके तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी है. वहीं प्रमुख सचिव सूचना व गृह की जिम्मेदारी अवनीश अवस्थी पर है जो कि ब्राह्मण ही हैं. वहीं डीजीपी ओपी सिंह  क्षत्रिय हैं. इससे पहले डीजीपी के पद पर तैनात सुलखान सिंह भी क्षत्रिय थे. कानून व्यवस्था पर विपक्ष द्वारा तमाम सवाल भी उठाए गए लेकिन ‘चहेते अधिकारियों’ का ट्रांसफर नहीं किया गया.  वहीं हाल ही में रिटायर्ड आईएएस अफसर राज नारायण सिंह व एन के एस चौहान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओएसडी नियुक्त कर दिया गया. इसके अलावा योगी सरकार पर थानों में भी कुछ विशेष जातियों को तवज्जों देने का आरोप लगा. समाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा डाली गई एक आरटीआई में खुलासा हुआ था कि लखनऊ में तैनात 43 थानेदारों में 18 ब्राह्मण और 12 क्षत्रिय हैं.

केवल ‘जाति फैक्टर’ ही नहीं यूपी में विपक्षी नेता ये भी आरोप लगा रहे हैं कि ‘गोरखपुर कनेक्शन’ को भी काफी तवज्जो मिल रही है.सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी के ऑफिस में ऐसे कनेक्शन वाले काफी हैं जो या तो गोरखपुर के रहने वाले हैं या गोरखपुर मेॆ नौकरी कर चुके हैं. अखिलेश सरकार के वक्त इटावा, मैनपुरी के लोगों को बढ़ावा देने के आरोप लगते थे. विपक्ष में रहने के दौरान बीजेपी भी ये सवाल उठाती थी.


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ब्राह्मणों को क्या मिला?

अब कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद ने ये सवाल उठाया है कि योगी राज में ब्राह्मणों को क्या मिला. उनका कहना है कि इस सरकार में ब्राह्मणों की  लगातार उपेक्षा की जा रही है. जितिन के मुताबिक योगी कैबिनेट, ब्यूरोक्रेसी, पार्टी संगठन तीनों जगह बीजेपी ब्राह्मणों की उपेक्षा कर रही है. कैबिनेट में महज़ कीन ब्राह्मण नेता हैं. चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष तक बदल दिया. वहीं मंत्रालय में ब्राह्मणों को हल्के विभाग दिए गए.

बीजेपी ने किया आरोपों से इंकार

सीएम योगी की ओर से तो फिलहाल ऐसे आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं आई लेकिन बीजेपी ने विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए जा रहे ऐसे सभी आरोपों से इंकार किया है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. वहीं पार्टी व सरकार चिन्मयानंद व सेंगर के मामले में भी पीड़िता की साथ है. इसी कारण दोनों मामलों में जांच के आदेश समय से दे दिए गए. शलभमणि के मुताबिक, यूपी के सभी विपक्षी जातिवाद की राजनीतिक दल करते आए हैं. इसी कारण उनके दिमाग में यही भरा है. वह इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

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