हैदराबाद: तेलंगाना के गृह मंत्री महमूद अली ने शुक्रवार को हैदराबाद में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मंच पर अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) के गाल पर ऐसा तमाचा मारा — जिसकी गूंज पूरे राज्य में सुनाई दी. वीडियो में कैद हुई यह घटना एक सरकारी स्कूल में हुई थी, जहां अली ‘‘स्टूडेंट्स के लिए मिड डे मील’’ योजना शुरू कर रहे थे.
अली के गुस्से का कारण यह था कि तेलंगाना पुलिसकर्मी जो कि उनके सुरक्षा में थे, उन्होंने सहयोगी तलसानी श्रीनिवास को बधाई देने के लिए जल्दी से गुलदस्ता नहीं दिया, जो अपना जन्मदिन मना रहे थे और मंच पर मौजूद थे.
क्लिप में कैद इस घटना पर विपक्षी दलों और सोशल मीडिया यूजर्स ने नाराज़गी ज़ाहिर की. वहीं, तेलंगाना पुलिस संघों ने अभी तक इस संबंध में एक बयान जारी नहीं किया है.
पूर्व आईपीएस अधिकारी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के तेलंगाना अध्यक्ष प्रवीण कुमार के अनुसार, गृह मंत्री ने आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 504 के तहत एक आपराधिक अपराध किया है.
कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “उनकी हरकतें दुस्साहसी थीं. अली ने बेशर्मी से अब तक खेद भी नहीं जताया है. वह गृह मंत्री बने रहने के लायक नहीं हैं और मुख्यमंत्री को उन्हें तुरंत बर्खास्त करना चाहिए. दुर्भाग्य से तेलंगाना में पुलिस एसोसिएशन सत्ताधारी शासन की तर्ज पर सख्ती से काम कर रही हैं. कोई चुनाव (पुलिस संघों के लिए) नहीं होते हैं. मुझे दुख है कि मैं इस परिवार का हिस्सा था.” कुमार ने राजनीति में शामिल होने के लिए 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.
हालांकि, अली ने कथित तौर पर शनिवार को पश्चाताप जताया, जिसके एक दिन बाद कांग्रेस नेता बक्का जुडसन ने उनके खिलाफ हैदराबाद में पुलिस शिकायत दर्ज कराई.
Filed complaint on Telangana Home Minister @mahmoodalibrs in @shosrnagar for slapping Police Constable.
Under IPC 1860,protects the public officer who is discharging his duties imposed upon him by law from such assault.
@Manikrao_INC @CVAnandIPS @DeccanChronicle @THHyderabad pic.twitter.com/olEvw0RrMN— Judson Bakka Official (@zson_bakka) October 6, 2023
लेकिन यह कोई अकेली घटना नहीं थी. हाल के दिनों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेताओं द्वारा अपने सहयोगियों, अधीनस्थों या जन प्रतिनिधियों को थप्पड़ मारने या धक्का देने के कई मामले सामने आए हैं. विपक्षी नेताओं ने इन घटनाओं को सत्तारूढ़ दल के “अहंकार, शक्ति, और हताशा” का प्रदर्शन करार दिया.
बीआरएस के भीतर भी कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से “शांत” रहना चाहिए.
दिप्रिंट से बात करते हुए बीआरएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, सत्तारूढ़ दल के नेताओं, विशेष रूप से मंत्रियों को, “चुनाव से पहले, कम से कम अगले दो महीनों तक, शांत रवैया बनाए रखना चाहिए”.
हालांकि, तेलंगाना राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष कृष्णक मन्ने ने कहा कि बीआरएस नेताओं की हरकतें ‘जानबूझकर नहीं’ की गईं थीं और उनका चुनाव या शासन की शैली से कोई लेना-देना नहीं था. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए थीं, लेकिन ऐसे अनजाने कृत्यों को चुनाव या बीआरएस के शासन, कार्यशैली से जोड़ना बेतुका है.”
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‘यथा राजा, तथा मंत्री’
पिछले हफ्ते, तेलंगाना के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री एर्राबेली दयाकर राव ने कथित तौर पर हैदराबाद के पास शादनगर में एक कार्यक्रम में शादनगर के बीआरएस विधायक अंजैया यादव को सार्वजनिक रूप से पीटा था.
और अगस्त में पशुपालन, मत्स्य पालन और छायांकन मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने एक स्थानीय नेता का कॉलर खींचा और थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया क्योंकि नेता हैदराबाद में एक पुल के उद्घाटन के दौरान उनके सामने चल रहे थे. यह नगरपालिका प्रशासन मंत्री और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव (केटीआर) की उपस्थिति में हुआ.
इस महीने की शुरुआत में वित्त और स्वास्थ्य मंत्री टी. हरीश राव ने कथित तौर पर सिद्दीपेट रेलवे स्टेशन पर एक रेलवे अधिकारी से भिड़ने से पहले एक एलईडी टीवी को लात मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था, क्योंकि वहां लगे होर्डिंग्स पर ‘मुख्यमंत्री केसीआर की कोई तस्वीर नहीं’ थी.
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा (प्रधानमंत्री की निज़ामाबाद यात्रा के दौरान) राव के निर्वाचन क्षेत्र में एक नई रेलवे लाइन के ऑनलाइन उद्घाटन के दौरान था. उनके नेता, बीआरएस कार्यकर्ता गुस्से में आकर उग्र हो गए और कथित तौर पर स्टेशन पर लगे होर्डिंग्स से मोदी का चेहरा फाड़ दिया.
इस साल जून में, एक महिला उद्यमी ने बेल्लमपल्ली के मौजूदा बीआरएस विधायक दुर्गम चिन्नैया के खिलाफ पुलिस निष्क्रियता का आरोप लगाने के बाद दो बार आत्महत्या का प्रयास किया, जिस पर उन्होंने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. दिल्ली में पहले प्रयास के बाद, उन्होंने हैदराबाद में दूसरी बार खुदकुशी की कोशिश की और एक कथित सुसाइड नोट में विधायक के खिलाफ कार्रवाई के लिए बार-बार की गई अपील पर बीआरएस सरकार की “उदासीनता” को जिम्मेदार ठहराया.
नोट में महिला ने यह भी दावा किया कि अपने आरोपों को साबित करने के लिए पुलिस को “सबूत सौंपे” थे और केटीआर द्वारा चिन्नैया को “क्लीन चिट” दिए जाने से वह आहत थीं.
चिन्नैया ने एक बयान में दावा किया था कि आरोप ‘निराधार’ थे.
चिन्नैया का नाम बीआरएस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) द्वारा अगस्त में विधानसभा चुनावों के लिए जारी उम्मीदवारों की सूची में शामिल था, जिसमें पार्टी ने अपने 100 से अधिक मौजूदा विधायकों को बरकरार रखा था.
ऐसा ही एक मामला मार्च में सामने आया था जब स्टेशन घनपुर से बीआरएस विधायक थाटीकोंडा राजैया पर वारंगल जिले की एक ग्राम पंचायत के सरपंच ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. राजैया, जिन्होंने आरोप से इनकार किया था, को बीआरएस ने टिकट देने से इनकार कर दिया है.
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‘अधीरता, अहंकार, हताशा’
तेलंगाना जन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. कोदंडराम ने कहा कि बीआरएस नेताओं के “निंदनीय कृत्यों” के लिए “सत्ता में वर्षों से जमा हुआ अहंकार” जिम्मेदार है.
कोदंडराम ने कहा, “केसीआर कैबिनेट में कई मंत्री इस भरोसे से काम करते हैं कि वो हमेशा सत्ता में बने रहेंगे, लेकिन जैसे-जैसे राज्य में चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, अचानक असुरक्षा की भावना घर कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप इस तरह के अक्षम्य कृत्य हो रहे हैं.”
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि, कांग्रेस (तेलंगाना में) लोकप्रियता हासिल कर रही है, कई योजनाओं की घोषणा और भीड़ जुटाने पर पैसा खर्च करने के बावजूद, बीआरएस बैठकों में खराब सार्वजनिक प्रतिक्रिया, मंत्रियों को चिंतित कर रही है. यहां तक कि दो महीने पहले महबुबाबाद में एक कार्यक्रम में केटीआर ने अपना हाथ खींच लिया था जब बीआरएस विधायक शंकर नाइक ने उनका हाथ पकड़ने की कोशिश की थी.”
तेलंगाना बीजेपी के प्रवक्ता एन.वी. सुभाष ने कहा कि बीआरएस नेताओं के इस तरह के सार्वजनिक गुस्से के लिए “हताशा मुख्य कारण है”.
सुभाष ने दिप्रिंट को बताया, “बीआरएस के अपने चुनाव सर्वेक्षणों से पता चला है कि पार्टी का ग्राफ गिर रहा है, जबकि केसीआर और केटीआर पार्टी की जीत (विधानसभा चुनावों में) सुनिश्चित करने के लिए इन नेताओं पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे कभी-कभी ऐसे निंदनीय कृत्य होते हैं.”
तेलंगाना राज्य आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक कोदंडराम ने कहा, “पहले, बीआरएस मंत्री और विधायक शिकायतें लेकर आने वाले लोगों पर चिल्ला सकते थे, अपनी निराशा व्यक्त कर सकते थे, लेकिन अब, चुनावी मौसम में उनके क्रोध को सहकर्मियों और असहाय अधीनस्थों द्वारा महसूस किया जाता है.”
कोदंडराम ने कहा कि सीएम का अपना आचरण और टिप्पणियां पार्टी कार्यकर्ताओं के व्यवहार को प्रेरित करने वाला एक कारक हो सकता है. इस अभिव्यक्ति का ज़िक्र करते हुए कहा कि ‘प्रजा राजा का अनुसरण करती है, उन्होंने कहा, “यह तेलंगाना में यथा राजा, तथा मंत्री का तमाशा है.”
एर्राबेल्ली द्वारा बीआरएस विधायक की पिटाई की क्लिप दिखाते हुए तेलुगु चैनलों पर व्यंग्यपूर्ण शो में छह महीने पहले वारंगल में मंच पर केसीआर द्वारा एर्राबेल्ली के कंधे को थप्पड़ मारने की क्लिप याद आ गई. बताया जा रहा है कि केसीआर कार्यक्रम में शोर और साउंड सिस्टम को लेकर नाराज़ थे.
कोदंडराम ने कहा, “विरोधियों के खिलाफ केसीआर के द्वेषपूर्ण भाषण भी उनके मंत्रियों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं.”
बीआरएस की नुकसान नियंत्रण नीति
आदिवासी संगठनों के विरोध के बाद मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने खेद जताया और कहा कि वह भैंसा कृषि बाज़ार समिति के अध्यक्ष राजेश बाबू से माफी मांगते हैं, जिन्हें उन्होंने भगा दिया था.
एर्राबेल्ली के मामले में, जो केसीआर की तरह वेलामा समुदाय से हैं, यह दूसरा तरीका था. चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, नुकसान को नियंत्रित करने के लिए केटीआर ने इसे अफवाह बताया और गुरुवार को वारंगल में एक सार्वजनिक बैठक में अंजैया – जो चुनावी रूप से महत्वपूर्ण यादव समुदाय से हैं – को यह स्पष्ट करने की अनुमति दी कि “यह कोई अफवाह नहीं थी.” यह उनके (बाबू) प्रति मंत्री एर्राबेली के स्नेह का प्रतीक है, जिसे गलत समझा गया.”
पूर्व आईपीएस अधिकारी कुमार ने पूछा, “अब, क्या होगा अगर बीआरएस विधायक एर्राबेली को थप्पड़ मारता है और उसे इसे स्नेहपूर्ण भाव की तरह लेने के लिए कहता है, मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर बेचारा कांस्टेबल भी कल गृह मंत्री अली के बारे में इसी तरह का बयान दे.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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