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Friday, 22 November, 2024
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गहलोत को लेकर ख़ामोशी और कांग्रेस के प्रति वफादारी क्यों दिखा रहा है सचिन पायलट ख़ेमा

कांग्रेस की ओर से बाग़ियों को अयोग्य क़रार देने की याचिका दिए जाने के बाद, बुद्धवार को राजस्थान स्पीकर सीपी जोशी ने, 19 बाग़ी विधायकों को नोटिस जारी कर दिया. बाग़ियों को अपने जवाब शुक्रवार तक भेजने हैं.

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जयपुर/नई दिल्ली: राजस्थान में सियासी बग़ावत को देखते हुए, सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है, और साथ ही उनके समर्थकों के मंत्रालय भी छिन गए हैं. लेकिन उनमें से कोई भी सार्वजनिक तौर पर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है.

पायलट अभी तक यही कह रहे हैं, कि वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं, जबकि हरियाणा के मानेसर के एक होटल में कैंप कर रहे, दूसरे बाग़ी विधायक भी कांग्रेस की वफादारी का दम भर रहे हैं.

सचिन पायलट के क़रीबी सहयोगी विश्वेंद्र सिंह, जिन्हें मंगलवार को कैबिनेट पद से हटा दिया गया था, ने दिप्रिंट से कहा कि वो अभी भी कांग्रेस पार्टी के साथ हैं. उन्होंने कहा,’मैं कांग्रेस का एक वफादार सिपाही हूं, और मैं पार्टी का ही हिस्सा हूं.’

कुछ दूसरे बाग़ी विधायक जिनसे दिप्रिंट ने बात की, वो भी इसी लाइन पर क़ायम थे. और ये उसके बावजूद है कि कांग्रेस की ओर से, बाग़ियों को अयोग्य क़रार दिए जाने की याचिका के बाद, राजस्थान स्पीकर सीपी जोशी ने बुद्धवार को 19 बाग़ी विधायकों को नोटिस जारी कर दिए.

गहलोत समर्थक और कांग्रेस रणनीतिकार इन विधायकों के सीएम पर खुला हमला करने से बचने से प्रभावित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये अयोग्य क़रार दिए जाने से बचने की एक चाल है, जिसकी सूरत में बाग़ियों को फिर से चुनकर आना होगा.

इस बीच पायलट ख़ेमे का कहना है कि चूंकि सदन सत्र में नहीं है, इसलिए रविवार और मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में हिस्सा लेने का पार्टी व्हिप उनपर लागू नहीं होता, जिस कारण उन्हें दल बदल विरोधी क़ानून के तहत, अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता. और अगर वो खुले तौर पर पार्टी के खिलाफ नहीं बोलते, तो फिर पार्टी की सदस्यता छोड़ने के लिए, कांग्रेस के पास उन्हें अयोग्य घोषित कराने का, कोई कारण नहीं बनता.


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लीडरशिप की अवमानना अयोग्य करा सकती है

लेकिन संविधान विशेषज्ञ स्थिति को दूसरी नज़र से देखते हैं. पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचारी का कहना है, कि सदन का सत्र न होने की स्थिति में, व्हिप जारी नहीं किया जा सकता, लेकिन पायलट ख़ेमे का मीटिंग में शिरकत न करना, उसे अयोग्य क़रार दिए जाने का एक कारण बन सकता है, और इसे इस तरह देखा जा सकता है, कि दल-बदल विरोधी क़ानून के तहत पार्टी सदस्यता स्वेच्छा से छोड़ी जा रही है.

आचारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘विधायक दल बैठक के लिए पार्टी नेतृत्व का सदस्यों को निर्देश जारी करना, दल-बदल विरोधी क़ानून के दायरे में नहीं आता. दल-बदल विरोधी क़ानून सिर्फ उस व्हिप को मानता है, जो सदस्यों को सदन में आने, और वोट करने या न करने के लिए कहता है.’

‘ऐसे कोई नियम नहीं हैं जिनमें कहा गया हो, कि किन परिस्थितियों में सदस्य को इस आधार पर अयोग्य ठहराया जा सकता है, कि उसने स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता त्याग दी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अंदर इस तरह के मामले रहे हैं’.

एक मिसाल देते हुए आचारी ने कहा: ‘अगर कोई सदस्य पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल होता है, या विपक्ष के साथ राज्यपाल के पास जाकर सरकार को बर्ख़ास्त करने, या उन्हें एक वैकल्पिक सरकार बनाने की अनुमति देने के लिए कहता है…ये कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जो सदस्यों के अमल को, दल-बदल विरोधी क़ानून के दायरे में ले आती हैं’.

उन्होंने आगे कहा: ‘पार्टी निर्देश की अवहेलना इस निष्कर्ष पर पहुंचने का एक कारण बन सकती है, कि उन्होंने स्वेच्छा से अपनी सदस्यता छोड़ी है. ये बात निश्चित रूप से उन्हें अयोग्य क़रार देने का एक कारण बन सकती है- कि उन्होंने बैठक में शिरकत नहीं की, और इस बात का स्पष्टीकरण भी नहीं दिया, कि उन्होंने शिरकत क्यों नहीं की. इसका मतलब है कि उन्होंने नेतृत्व की नाफरमानी की है, और वो विधायक दल का हिस्सा नहीं बने रहना चाहते, इसलिए ये मान लिया जाता है कि उन्होंने स्वेच्छा से पार्टी की अपनी सदस्यता छोड़ दी है.’

संविधान विशेषज्ञ प्रोफेसर फ़ैज़ान मुस्तफा आचारी से सहमत थे, कि तकनीकी रूप से पायलट सही थे, ‘जब पार्टी विधायक दल की बैठक कर रही है, तब आदर्श रूप में उन्हें जाकर उसमें शरीक होना चाहिए, क्योंकि दल-बदल विरोधी क़ानून में, ये ज़रूरी नहीं कि सदस्य पार्टी के खिलाफ वोट करे.’

मुस्तफा ने कहा, ‘आप अपने आचरण की वजह से अयोग्य क़रार दिए जाएंगे, क्योंकि ऐसा लगता है कि आप पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जा रहे हैं’.

उन्होंने ये भी कहा,’आचरण भी दल-बदल विरोधी क़ानून के दायरे में आता है. इसलिए पायलट की सिर्फ ये बात सही है कि सदन सत्र में नहीं है. लेकिन सदन का सत्र में होना आवश्यक नहीं है, अगर अपने आचरण से आप पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं.’

‘फिलहाल स्पीकर ने सिर्फ उनसे अपने आचरण की सफाई मांगी है… नोटिस के जवाब में अगर वो माफी मांग लेते हैं, और अपनी वफादारी को दोहराते हैं, तो पार्टी इस बारे में नर्म रवैया अपना सकती है.’


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पायलट ख़ेमे ने कहा- नोटिस ‘दबाव की तरकीब’

ऐसा माना जा रहा है कि बाग़ी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग को लेकर, तेज़ी से उठाया गया कांग्रेस का क़दम, एक ‘दबाव की रणनीति’ है, ताकि कम से कम कुछ विधायकों को, पार्टी में वापस लाया जा सके. 200 सदस्यीय राजस्थान विधान सभा में, कांग्रेस हालांकि 105 विधायकों के समर्थन का दावा करती है, लेकिन पायलट समेत 16 विधायकों की बग़ावत के बाद, पार्टी की अपनी संख्या 107 से घटकर 91 रह गई है.

एक कांग्रेस लीडर ने कहा कि ग़ैर-कांग्रेसी विधायकों पर निर्भरता की मजबूरी ने, गहलोत सरकार की स्थिति थोड़ कमज़ोर कर दी है. लेकिन पार्टी सुनिश्चित कर रही है कि पायलट ख़ेमा, नोटिसों से निपटने में ही उलझा रहेगा, और बीजेपी के साथ कोई डील नहीं कर पाएगा.

एक दूसरे नेता का कहना था, कि बाग़ियों के ख़ुद को अभी भी कांग्रेसी कहने का एक कारण ये है, कि वो विधायक बने रहना चाहते हैं, भले ही पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद वो असंबद्ध बने रहें. ये देखना अभी बाक़ी है कि क्या वो सच में पार्टी में वापसी चाहते हैं. उनके लिए अभी भी दरवाज़े खुले हैं, लेकिन वो ब्लैकमेल नहीं कर सकते”.

अयोग्य घोषित हेने का ख़तरा देखते हुए, पायलट ख़ेमे ने दिप्रिंट से कहा कि वो ‘पक्के तौर पर पार्टी के साथ हैं, जब तक पार्टी ही उन्हें निकालने का फैसला नहीं कर लेती’.

पायलट का समर्थन कर रहे एक सीनियर लीडर ने कहा: ‘हम पार्टी के प्रति समर्पित रहे हैं, और हमने ज़मीनी स्तर पर मेहनत की है. जो नोटिस दिया गया है, वो पूरी तरह ग़ैर-क़ानूनी है. जब सदन का सत्र ही नहीं चल रहा, कोई बिल ही पास नहीं होना है, तो फिर व्हिप कैसे जारी हो सकता है? हम निश्चित ही नोटिस का जवाब देंगे’.

सूत्रों ने ये भी कहा कि पायलट कैम्प वकीलों के भी संपर्क में है. एक सूत्र ने कहा, ‘अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन अगर नौबत आई, तो तमाम विकल्प इस्तेमाल करने के बाद, हम क़ानूनी रास्ता भी अपनाएंगे.’

एक अन्य सूत्र ने कहा कि पायलट कैम्प वकीलों से सलाह करके एक कॉमन जवाब तैयार करने की योजना बना रहा है.

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