मुंबई: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले, दूध को लेकर एक नई राजनीतिक लड़ाई छिड़ गई है, जिसका केंद्र कोल्हापुर है.
यह रस्साकशी गोकुल मिल्क पर नियंत्रण पाने को लेकर है, जिसे औपचारिक रूप से कोल्हापुर जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ के रूप में जाना जाता है, जो कि महाराष्ट्र की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था है जो मुंबई और पुणे जैसे शहरों में बड़ी मात्रा में दूध की आपूर्ति करती है.
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के नेता यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक हैं कि गोकुल का अध्यक्ष महायुति का उम्मीदवार हो क्योंकि इस साल पंचायत समितियों, जिला परिषदों और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं. महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं.
सहकारी समिति का संचालन वर्तमान में कांग्रेस के सतेज पाटिल और राकांपा (अजित पवार) नेता हसन मुश्रीफ के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा किया जाता है, जो महायुति सरकार में मंत्री हैं, लेकिन कोल्हापुर में अपने आप में एक शक्ति केंद्र भी रखते हैं. पाटिल महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य हैं.
सत्तारूढ़ गठबंधन की योजनाओं से दोनों दिग्गजों की राजनीतिक ताकत को खतरा है. इसके अलावा, गोकुल में अपना खुद का अध्यक्ष रखने की महायुति की दिलचस्पी ने मुश्रीफ और पाटिल के बीच हुए समझौते में खलल डाल दिया है, जब दोनों नेताओं के नेतृत्व वाले पैनल ने 2021 में सहकारी चुनाव जीते थे.
व्यवस्था के अनुसार, सहकारी समिति का अध्यक्ष हर दो साल में बदलना चाहि, लेकिन मौजूदा अध्यक्ष अरुण डोंगले, जो इस्तीफा देने वाले हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के कथित सीधे अनुरोध का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया है.
गोकुल सहकारी समिति हर साल 60 करोड़ रुपये से अधिक दूध का प्रबंधन करती है. 2023-24 में, इसने 3,640.09 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार दर्ज किया. इसके पास गोकुल ब्रांड के तहत कई प्रोडक्ट हैं, जैसे लस्सी, श्रीखंड, घी, मक्खन और पनीर, जो पूरे राज्य में लोकप्रिय हैं. सहकारी समिति पर नियंत्रण से कोल्हापुर जिले में राजनीतिक ताकत बढ़ती है.
कोल्हापुर के राजनीतिक टिप्पणीकार वसंत भोसले ने दिप्रिंट से कहा, “महा विकास अघाड़ी (एमवीए) इस संस्था पर नियंत्रण खोना नहीं चाहता है और महायुति इस पर नियंत्रण पाना चाहती है क्योंकि यह आर्थिक रूप से बहुत शक्तिशाली है. इसका टर्नओवर अब 4,000 करोड़ रुपये से अधिक है और कोल्हापुर जिले के हर गांव में गोकुल नेटवर्क में कम से कम दो-तीन दूध उत्पादक समूह हैं. यह सब स्थानीय चुनावों के लिए ज़मीनी स्तर पर समर्थन जुटाने में मदद करता है.”
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गोकुल में राजनीतिक लड़ाई
मुश्रीफ और पाटिल ने गोकुल डेयरी सहकारी के लिए 2021 के चुनावों के लिए सहयोग किया था और हर दो साल में अध्यक्ष बदलने की उनकी व्यवस्था, अब तक काफी हद तक आदर्श रही है.
दोनों नेता 2021 में एमवीए का हिस्सा थे. तब गठबंधन में कांग्रेस, अविभाजित शिवसेना और अविभाजित एनसीपी शामिल थे. इसके बाद, शिवसेना और एनसीपी दोनों अलग हो गए और मुश्रीफ महायुति के हिस्से, अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ चले गए.
मुश्रीफ और पाटिल के पैनल के पहले अध्यक्ष विश्वास पाटिल ने दूसरे नामांकित अरुण डोंगले के लिए रास्ता बनाने के लिए 2023 में इस्तीफा दे दिया, जिन्हें नए अध्यक्ष के लिए रास्ता बनाने के लिए इस महीने इस्तीफा देना था.
हालांकि, गुरुवार को डोंगले ने मीडियाकर्मियों को बताया कि फडणवीस और शिंदे ने उन्हें बैठक के लिए बुलाया था और उन्हें पद न छोड़ने के लिए कहा था. उन्होंने कहा, “जिले के नेताओं ने मुझे पद छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन सीएम और डिप्टी सीएम की राय है कि गोकुल का चेयरमैन महायुति का उम्मीदवार होना चाहिए. यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं चेयरमैन के पद पर बना रहूं या नहीं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि अगर मैं इस्तीफा देता हूं तो अगला चेयरमैन कौन होगा.”
कोल्हापुर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अगर अब चेयरमैन बदलता है, तो कांग्रेस के पाटिल यह सुनिश्चित करेंगे कि वह अपना उम्मीदवार नियुक्त करें, जो महायुति का वफादार नहीं होगा. नेता ने कहा, “मुश्रीफ के संबंध में जिले में उनकी अपनी राजनीतिक पूंजी है, इसलिए वह चाहते हैं कि डोंगले अपना इस्तीफा दे दें, जैसा कि उन्होंने तय किया था और आदेश दिया था.”
मुश्रीफ ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र में सहकारी समितियां अलग तरीके से काम करती हैं और इन निकायों के कामकाज में कोई “राजनीति या अनैतिक प्रतिस्पर्धा” नहीं होनी चाहिए.
राज्य मंत्रिमंडल में मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट संभालने वाले मुश्रीफ ने कहा, “चार साल पहले जब हमारे पैनल ने मौजूदा बोर्ड के खिलाफ चुनाव जीता था, तब यह तय हुआ था कि विश्वासराव पाटिल दो साल के लिए अध्यक्ष होंगे, डोंगले दो साल के लिए अध्यक्ष होंगे और पांचवें साल के लिए सभी नेता एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि अध्यक्ष कौन होना चाहिए. पाटिल ने जब इस्तीफा देना था, तब दिया, लेकिन डोंगले ने आखिरी समय में मना कर दिया. मैं अब भी उनसे अनुरोध करूंगा कि वे अपना इस्तीफा दे दें, जैसा कि तय हुआ है.”
उन्होंने कहा कि सीएम या डिप्टी सीएम के साथ कोई मतभेद नहीं होगा. उन्होंने कहा, “मैं महायुति का हिस्सा हूं, सीएम मुझे बता सकते थे कि उन्हें क्या चाहिए. हम हफ्ते में तीन दिन मुंबई में रहते हैं. हम उन्हें बताएंगे कि हम किसे अध्यक्ष नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं…मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि गोकुल जैसी सहकारी समितियों में, जो राज्य में नंबर एक है, कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पार्टियों को मजबूत करने के लिए हमारे पास अभी भी वक्त है. हम अधिक महापौर, जिला परिषद, नगर परिषद पाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.”
गोकुल का राजनीतिक इतिहास
कोल्हापुर से राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता धनंजय महादिक ने दिप्रिंट को बताया कि गोकुल का प्रबंधन कभी भी पार्टी लाइन पर नहीं रहा है और 30 वर्षों तक सहकारी संघ का प्रबंधन भाजपा के महादेव महादिक और कांग्रेस के पी.एन. पाटिल के समर्थकों द्वारा किया गया.
सांसद ने कहा, “इससे पहले, पार्टियों और समूहों को देखने के बजाय, महादिक साहब, पी.एन. पाटिल साहब सुशासन प्रदान करने के लिए एक साथ आए. एमवीए सरकार आने के बाद, यहां के नेताओं ने तत्कालीन सीएम (उद्धव ठाकरे) की मदद ली और अपना खुद का पैनल बनाया. इसलिए अब सहकारी को यह रूप (राजनीतिक रूप) मिला है. इसलिए अब यह स्वाभाविक है कि हर कोई चाहेगा कि अगला अध्यक्ष महायुति से हो.”
हालांकि, सतेज पाटिल ने इस आरोप से इनकार किया कि उन्होंने और मुश्रीफ ने गोकुल सहकारी में पार्टी की राजनीति लाई.
उन्होंने कहा, “सहकारी समितियों में कोई दलीय राजनीति नहीं होती. आमतौर पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री किसी जिले में होने वाली घटनाओं में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है. यह संभव है कि डोंगले पद छोड़ना नहीं चाहते थे और उन्होंने अपनी मर्ज़ी से मुख्यमंत्री से मुलाकात की और कहा कि वह पद नहीं छोड़ना चाहते हैं. अगर कोई ऐसा कहता है तो उसके सामने बैठा नेता यह नहीं कहेगा कि नहीं, आपको पद छोड़ देना चाहिए.”
सहकारी समिति का अगला चुनाव अगले साल की शुरुआत में होना है.
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