scorecardresearch
Monday, 6 May, 2024
होमराजनीतिममता बनर्जी के लिए 'लेफ्टिनेंट' फिरहाद हाकिम की गिरफ्तारी क्यों निजी तौर पर एक झटका है

ममता बनर्जी के लिए ‘लेफ्टिनेंट’ फिरहाद हाकिम की गिरफ्तारी क्यों निजी तौर पर एक झटका है

नारदा स्टिंग मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए फिरहाद हाकिम आजादी के बाद कोलकाता के पहले मुस्लिम मेयर और तारकेश्वर मंदिर बोर्ड के पहले मुस्लिम अध्यक्ष हैं.

Text Size:

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम एक अन्य मंत्री समेत तृणमूल कांग्रेस के उन तीन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई ने पिछले हफ्ते कथित नारदा स्टिंग मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. लेकिन हाकिम की नामौजूदगी का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता दिख रहा है.

फिलहाल घर में नजरबंद हाकिम को ममता के सबसे भरोसेमंद सहयोगी के तौर पर जाना जाता है. पिछले पूरे सप्ताह टेलीविजन पर अपने लगभग हर बयान में ममता ने हकीम का उल्लेख किया और कहा कि वह घर से ही स्थितियों पर पूरी नज़र रखे हैं- चाहे कोविड प्रबंधन से जुड़ी हों या फिर चक्रवात यास के संबंध में राहत एवं बचाव कार्यों की तैयारी.

हाकिम, जिन्हें दीदी उनके उपनाम ‘बॉबी’ कहकर बुलाती हैं, ममता बनर्जी के लिए शहरी विकास और शहरों संबंधी अन्य मामलों में संकटमोचक के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को पार्टी के करीब लाने में अहम भूमिका निभाने वाले भी रहे हैं.

वह आजादी के बाद कोलकाता के मेयर की कुर्सी संभालने वाले पहले मुस्लिम ही नहीं हैं बल्कि हुगली के प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल तारकेश्वर मंदिर के विकास बोर्ड के पहले मुस्लिम अध्यक्ष भी हैं.

इस साल कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के बीच विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने हाकिम को ही सौंपी थी. जब वह ईंधन की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ विरोध जताना चाहती थीं, तो वो हाकिम ही थे जो उन्हें उनके आवास से नबन्ना तक एक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन पर ले गए थे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

नंदीग्राम में चुनावी अभियान के दौरान एक कथित दुर्घटना में ममता बनर्जी के पैर में चोट लगने के बाद हाकिम को ही व्हीलचेयर से चल रही मुख्यमंत्री को इधर-उधर ले जाते देखा गया.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी निजी जीवन में भी हाकिम पर बहुत भरोसा करने के लिए जानी जाती हैं, जिन्होंने उनकी मां के बीमार होने पर स्वेच्छा से रक्तदान किया था.

हाकिम के परिवार के सदस्य बताते हैं कि दोनों के बीच भाई-बहन जैसा रिश्ता है. हाकिम की बड़ी बेटी प्रियदर्शिनी ने कहा, ‘मेरे पिता मुख्यमंत्री के लिए केवल एक सहयोगी भर नहीं हैं, बल्कि उनके छोटे भाई हैं. करीब 35 साल हो गए जबसे मेरे पिता दीदी के घर भाई फोन्टा (भाई दूज) मनाते आ रहे हैं.’

टीएमसी के अंदर हाकिम को ममता के एक भरोसेमंद लेफ्टिनेंट के तौर पर देखा जाता है जो कभी उनसे सवाल नहीं करते और हमेशा ही उनके पक्ष में खड़े होते हैं.


यह भी पढ़ें: वाराणसी में ‘कोविड सुधार’ करने वाले मोदी के करीबी को UP में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है BJP


अपने ‘भाई’ का बचाव

राज्य के पूर्व शहरी विकास मंत्री और कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के अध्यक्ष हाकिम को सीबीआई ने 17 मई को नारदा मामले में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी शामिल थे, जिन्होंने 2019 में भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस छोड़ी थी और इस मार्च में भाजपा से इस्तीफा दे दिया.

उन्हें शुरू में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था लेकिन 21 मई को कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें नजरबंद कर दिया गया.

गिरफ्तारी के बाद ममता सीबीआई कार्यालय पहुंच गई थीं और जांच एजेंसी से कहा कि या तो उन नेताओं को रिहा करें या फिर उन्हें गिरफ्तार करें. बाद में वह हाकिम के आवास पर उनके परिवार के सदस्यों से मिलने भी पहुंचीं.

बनर्जी पहले भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी झेल चुकी हैं. उदाहरण के तौर पर 2015 में पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा और तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय को सीबीआई ने कथित सारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. लेकिन यह पहली बार है जब उन्हें इनकी रिहाई की मांग को लेकर जांच एजेंसी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए देखा गया.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के सीबीआई मुख्यालय में छह घंटे तक बैठे रहने और नेताओं की ‘बिना शर्त रिहाई’ की मांग करने की मुख्य वजह हाकिम ही थे.

हाकिम की बेटी प्रियदर्शिनी ने कहा कि ममता बनर्जी ‘अपने आधिकारिक पद मुख्यमंत्री के तौर पर सीबीआई कार्यालय नहीं पहुंची थीं बल्कि एक बड़ी बहन के नाते वहां गई थीं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने अपने भाई की गिरफ्तारी का विरोध किया. बेशक, ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में वह अपने भाई को याद कर रही हैं. लेकिन वह स्थिति से निपटने और लोगों की सेवा से जुड़े रहने के लिए उनका मार्गदर्शन करती हैं.’ साथ ही उन्होंने अपने पिता के खिलाफ आरोपों को भी खारिज किया.’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें 5 लाख रुपये लेते देखा गया लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि उन्होंने पैसे क्यों लिए. यह पार्टी को दिया गया चंदा था न कि किसी काम के लिए रिश्वत. सभी राजनीतिक दल चंदे पर निर्भर रहते हैं और भाजपा भी इससे अलग नहीं है. मेरे पिता को फंसाया गया था.’


यह भी पढ़ें: ‘भाई और बाप तो विपक्ष को गिरफ्तार करने में व्यस्त हैं’- रामदेव के बयान पर TMC सांसद महुआ मोइत्रा का निशाना


‘सीबीआई की कार्रवाई अनैतिक’

दिप्रिंट से बातचीत में तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हाकिम ‘दीदी के लेफ्टिनेंट’ हैं.

उक्त नेता ने कहा, ‘अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को आगे बढ़ाते समय जब दीदी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से प्रतिरोध और आक्रोश का सामना करना पड़ रहा था तब भी बॉबी हाकिम उनके साथ खड़े थे. उन्होंने दीदी के फैसले पर कभी सवाल नहीं उठाया, बल्कि उनका समर्थन ही किया.’

केएमसी के पूर्व डिप्टी मेयर अतिन घोष ने बताया कि निगम उनके साथ रोजाना कम से कम छह वर्चुअल मीटिंग कर रहा है.

उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी ‘सीबीआई का एक अनैतिक कदम’ है.

घोष ने कहा, ‘यह सारी प्रक्रियाओं के खिलाफ है. यह ओछी राजनीति का एक उदाहरण है, जिसे भाजपा ने शुरू किया है. जनता का करोड़ों का धन लेकर लोग देश से भाग गए और इसकी अनुमति दी गई. लेकिन एक मंत्री जिसने जांच में सहयोग किया और कभी भागा नहीं, उसे नजरबंद कर दिया गया. सीबीआई ऐसी स्थिति में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर हमारी सरकार को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: चुनावी हार से नाराज बंगाल BJP दिल्ली को जिम्मेदार ठहरा रही, ‘वे बंगाली मानसिकता को नहीं जानते थे’


 

share & View comments