चंडीगढ़: विधानसभा के चुनाव से पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सरकार ने हिसार जिले में अग्रवाल समुदाय के अग्रोहा धाम को सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े स्थल राखीगढ़ी के जैसा ही पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की है.
खट्टर ने अग्रोहा धाम स्थल में एक म्यूज़िम बनाने की रविवार को घोषणा की और कहा कि केंद्र ने पहले ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और हरियाणा के पुरातत्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से स्थल और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास को मंजूरी दे दी है. बता दें कि रविवार को महाराजा अग्रसेन जयंती भी थी.
इसके लिए एएसआई और हरियाणा सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
खट्टर ने पंचकुला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह म्यूज़िम हरियाणा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खजाने को संरक्षित और प्रस्तुत करने का केंद्र होगा. इसका दौरा एक शैक्षिक अनुभव के समान होगा और एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गंतव्य के रूप में अग्रोहा के महत्व को बढ़ावा देगा. इसके अलावा, सरकार राखीगढ़ी की तर्ज पर एक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल अग्रोहा को विकसित करने जा रही है.”
1976-1984 के बीच निर्मित अग्रोहा धाम एक हिंदू मंदिर है जो अग्रोहा में देवी महालक्ष्मी, सरस्वती और महाराज अग्रसेन को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि महाराजा अग्रसेन का जन्म महाभारत काल में हुआ था, वे अग्रवाल समुदाय में पूजनीय हैं.
अनुमान के अनुसार, हरियाणा में अग्रवाल आबादी 4-5 प्रतिशत है. एस्सेल ग्रुप के चेयरपर्सन सुभाष चंद्रा अग्रोहा विकास ट्रस्ट, अग्रोहा धाम के संरक्षक हैं.
शहरी स्थानीय निकाय और आवास मंत्री कमल गुप्ता इसी समुदाय से आते हैं और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता भी इसी समुदाय से आते हैं.
हरियाणा विधानसभा में कमल गुप्ता (हिसार), असीम गोयल (अंबाला सिटी), सुधीर सिंगला (गुरुग्राम), दीपक मंगला (पलवल), नरेंद्र गुप्ता (फरीदाबाद), ज्ञान चंद गुप्ता (पंचकूला), घनश्याम सराफ (भिवानी) और गोपाल कांडा (सिरसा) अग्रवाल समुदाय से विधायक हैं, जबकि पहले सात बीजेपी से हैं, कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी का नेतृत्व करते हैं जो राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा का समर्थन करती है.
महाराजा अग्रसेन जयंती पर लोगों को बधाई देते हुए खट्टर ने कहा कि पुरातात्विक स्थल भी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस स्थल का विकास न केवल इसे आस्था के प्रतिष्ठित केंद्र के रूप में स्थापित करेगा, बल्कि इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी पहचान मिलेगी.
खट्टर ने कहा कि पूरे हरियाणा में 100 से अधिक पुरातात्विक स्थलों की पहचान की गई है और इन्हें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है.
हालांकि, अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस प्रवक्ता बजरंग दास गर्ग ने कहा कि अग्रोहा धाम की मांग पर केंद्र द्वारा खुदाई की मंजूरी दी गई थी.
उन्होंने कहा कि 30 करोड़ रुपये की लागत से दो संग्रहालयों का निर्माण पहले से ही प्रगति पर है और खुदाई के दौरान बरामद कलाकृतियों को उन संग्रहालयों में रखा जाएगा.
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए हरियाणा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि खट्टर ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. कृष्ण रेड्डी को पत्र लिखकर इस पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण स्थल के महत्व पर प्रकाश डाला, जिस पर केंद्र ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.
अधिकारी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य हरियाणा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करना है, इस परियोजना का उद्देश्य इस साइट को हरियाणा के भीतर एक भव्य विरासत स्थल में बदलना है.
अधिकारी ने कहा, “पिछली खुदाई के दौरान अग्रोहा से सिक्कों की खोज, महाभारत सहित प्राचीन साहित्य में पाए गए इसके प्राचीन नाम ‘अग्रदोका’ के संदर्भ के साथ, महाराजा अग्रसेन के गणराज्य के मुख्यालय के रूप में इसकी स्थिति का समर्थन करने वाले पर्याप्त सबूत देते हैं. अग्रोहा तक्षशिला और मथुरा को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग पर रणनीतिक रूप से स्थित था, जिससे यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र और राजनीतिक गतिविधि क्षेत्र बन गया. पिछली खुदाई ने इसकी क्षमता को रेखांकित किया है, जिसमें लगभग चौथी शताब्दी से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक फैले पांच अलग-अलग सांस्कृतिक काल के साक्ष्य सामने आए हैं.”
हरियाणा पुरातत्व विभाग की वेबसाइट के अनुसार, अग्रोहा के अतीत की खोज के प्राथमिक प्रयास 1888-89 में सी.जे. रॉजर्स की देखरेख में किए गए थे, जो पंजाब सर्कल में पुरातत्व सर्वेक्षणकर्ता थे.
हरियाणा पुरातत्व विभाग की वेबसाइट पर लिखा है, “हालांकि, प्रारंभिक खुदाई छोटे पैमाने पर थी और केवल 15 दिनों के लिए 16 फीट की गहराई तक की गई थी और ठोस ईंट की दीवारें और फर्श, पक्के रास्ते और ढेर सारी राख और जलने के निशान मिले थे. जो वस्तुएं बरामद की गईं उनमें सिक्के, मोती, मूर्तियों के टुकड़े और टेराकोटा शामिल थे. वर्ष 1938-39 में खुदाई दोबारा शुरू की गई, हालांकि, इस बार भी द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इसे लंबे समय तक नहीं चलाया जा सका, लेकिन इसने अग्रोहा के अस्तित्व के लिए प्रमुख ऐतिहासिक जानकारी प्रदान की.”
इसमें कहा गया, “1978-79 में पुरातत्व विभाग ने खुदाई का काम शुरू किया…यही वो समय था जब लोगों को इस महान साम्राज्य की सीमा के बारे में पता चला. विभाग द्वारा अग्रोहा में दो और सत्र यानी 1979-80 और 1980-81 आयोजित किए गए और लगभग चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक की पांच सांस्कृतिक अवधियों का खुलासा किया गया.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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