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Friday, 27 December, 2024
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झारखंड में सोरेन सरकार के खिलाफ ‘बगावती तेवर’ क्यों दिखा रहे हैं JMM और कांग्रेस के विधायक

हेमंत सोरेन के लिए भी इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ये विधायक उन्हीं मुद्दों पर अपने सरकार को घेर रहे हैं, जिन मुद्दों को लेकर जेएमएम चुनाव के वक्त जनता के बीच गई थी.

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रांची: झारखंड में राजनीतिक पारा अचानक बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के दो विधायक सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आ चुके हैं.

विधानसभा सत्र के दौरान सदन में नहीं बोलने देने का आरोप लगाने का बाद अब लोबिन हेम्ब्रम ने सरकार के खिलाफ ही जनसभा करने का फैसला किया है. वहीं सीता सोरेन ने बीते शुक्रवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर कोयला, बालू, वन भूमि पर कब्जे संबंधी मामलों पर कार्रवाई को लेकर मांगपत्र सौंपा है.

इस घटनाक्रम से पहले खबर आई कि जेएमएम के छह विधायकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ये शिकायत लेकर गए कि जामा विधानसभा से विधायक सीता सोरेन सरकार गिराने की साजिश कर रही हैं. वहीं उनके इस मुहिम में बोरियो विधानसभा से विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी उनका साथ दे रहे हैं.

हालांकि किन विधायकों ने ये शिकायत की है, ये बात अभी तक बाहर नहीं आ पाई.


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‘बीजेपी के संपर्क में नहीं हैं’

संताल इलाके से आने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक स्टीफन मरांडी ने शनिवार को रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लोबिन हेम्ब्रम और सीता सोरेन पार्टी लाइन से बाहर जाकर पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘लोबिन हेम्ब्रम अलग से मीटिंग कर रहे हैं, पार्टी का झंडा और शिबू सोरेन का फोटो लगाकर पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं. यही नहीं, वो विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी के साथ बैठकर मीटिंग कर रहे हैं.’

वहीं सीता सोरेन को लेकर उन्होंने कहा, ‘उन्हें अगर कोई दिक्कत है तो उन्हें अपने देवर से बात करनी चाहिए. सीता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बड़े भाई दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं.’

इस पर सीता सोरेन ने कहा, ‘मेरे बारे में शिकायत की गई है लेकिन हम बिल्कुल भी बीजेपी के संपर्क में नहीं हैं. इसके पीछे क्या षडयंत्र है, ये हम नहीं बता पाएंगे. कुछ विधायक लोग दिल्ली भी गए थे, चार्टड प्लेन से. उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है.’

वो आगे कहती हैं, ‘झारखंड में आए दिन जमीन की लूट चल रही है. बचाने की बात पार्टी करती है लेकिन काम के वक्त चुप रहते हैं. लूट की बात सदन से लेकर सीएम के सामने तक रखा लेकिन एक भी सही जवाब नहीं मिला. पदाधिकारी पर कार्रवाई की बात कही तो उल्टे उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है.’

सीता सोरेन पहले भी कह चुकी हैं कि शिबू सोरेन और स्व. दुर्गा सोरेन के खून-पसीने से खड़ी की गई पार्टी वर्तमान में दलालों और बेईमानों के हाथ में चली गई है.

लोबिन हेम्ब्रम ने दिप्रिंट से कहा, ‘स्थानीय नीति, खतियान आधारित नियोजन नीति, सीएनटी एक्ट, पेसा कानून की मांग जेएमएम जब से बनी है, तब से कर रही है. जेएमएम की इस वक्त सरकार है, वो लागू नहीं कर पा रही है. मैं इन्ही चीजों को लागू करने की मांग कर रहा हूं. अब क्या इसको पार्टी विरोधी काम कहा जाएगा.’

वो कहते हैं, ‘नीतीश कुमार से पहले शिबू सोरेन शराब के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. ऐसे में हमारी पार्टी की सरकार होने के बावजूद शराबबंदी न होना, ये गुनाह है. बदले में हमको निशाना बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि हम बीजेपी से मिलकर ऐसा कर रहे हैं. अब पूरे राज्य में घूमकर ये बात मैं लोगों को बताने जा रहा हूं.’

बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने दिप्रिंट को बताया, ‘पाकिस्तान में जब भी समस्या आती है, वहां कोई भी सरकार रहे, कश्मीर का मुद्दा उछाल देती है. ठीक वही बात झारखंड में जेएमएम के साथ है. इस सरकार को जब भी समस्या आती है, ये अपने विधायकों पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर उस पर ही दवाब बनाने लगती है.’

उन्होंने कहा, ‘जबकि बीजेपी का इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है. दरअसल जेएमएम के वादों की तरफ लोबिन और भ्रष्टाचार, इल्लीगल माइनिंग की वजह से सीता सोरेन हेमंत को घेर रही है, यही वजह है कि उन पर नकेल कसने के लिए बीजेपी से सांठगांठ का आरोप लगाया जा रहा है.’


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क्या कांग्रेस में भी हो रही है हलचल

झारखंड में जारी सियासी घमासान के बीच प्रदेश अध्यक्ष, सरकार के चारों मंत्रियों समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली तलब किया है.

कांग्रेस कोटे के विधायक और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पोती के जन्मदिन के मौके पर उनके घर गए और गलबहियां करते हुए फोटो भी खिंचवाई. इस पर उन्होंने कहा, ‘रघुवर दास बड़े भाई जैसे हैं. उनकी पोती का जन्मदिन था, बुलाया तो गए थे.’

राज्य में चल रहे भाषा विवाद और हिन्दी पर उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए मां भारती सबसे पहले है. फिर मेरी पार्टी है, इसके बाद ही मेरे लिए कुछ और है. जिसके मन में देश के प्रति प्रेम नहीं है, वह देश का सपूत नहीं है. मां भारती के लिए कुछ भी कुर्बान किया जा सकता है.’

रघुवर दास से बन्ना गुप्ता की मुलाकात पर कांग्रेस के ही एक विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा, ‘बन्ना गुप्ता पार्टी में रहकर पार्टी के साथ धोखेबाजी कर रहे हैं. पार्टी में रहने के कुछ तौर-तरीके हैं, मर्यादा है. वह इसे पार कर रहे हैं. इससे पहले भी वह सरकार के खिलाफ बोल चुके हैं.’

गौरतलब है कि राज्य में भाषा विवाद आंदोलन के दौरान बन्ना गुप्ता ने वर्तमान सरकार के निर्णय के खिलाफ कई बार बयान दिए हैं.

हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने सीधे-सीधे बीजेपी पर आरोप लगया कि वह उनकी सरकार को गिराना चाहती है. इससे पहले सरकार गिराने के आरोप में रांची में एक फल विक्रेता सहित दो अन्य को गिरफ्तार किया गया था लेकिन 90 दिन बाद भी उन पर चार्जशीट दाखिल न होने के कारण उन्हें बेल मिल गयी.


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कितना संभव है झारखंड में सत्ता परिवर्तन

आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सदस्य चाहिए. विधानसभा में जेएमएम की 30, कांग्रेस की 18, आरजेडी की एक सीट है.

कांग्रेस के एक विधायक बंधू तिर्की की सदस्यता जाने की संभावना है क्योंकि अदालत ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति रखने का दोषी पाया है. ऐसे में बाकी कुल 8 विधायकों को तोड़ना विपक्षी पार्टी के लिए फिलहाल मुश्किल नज़र आ रहा है.

खतरे को भांपते हुए कांग्रेस के राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय ने दो अप्रैल को सभी विधायकों, सांसदों की बैठक बुलाई. बैठक के बाद कांग्रेस नेता और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने रांची में कहा, ‘जेएमएम में क्या चल रहा है, इस पर हम टिप्पणी नहीं करेंगे लेकिन कांग्रेस के सभी विधायक अटूट हैं. वो पूरी तरह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ हैं.’

इन मामलों को लगातार कवर कर रहे पत्रकार मनोज पांडे ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी कुछ नहीं हो पाएगा. मध्य प्रदेश की तरह झारखंड के किसी विधायक में फिलहाल हिम्मत नहीं कि इस्तीफा देकर फिर से चुनाव में जाएं. ऐसे में पार्टी में रहकर अपनी बात मनवा लेना ज्यादा आसान है, बजाय इसके कि इस्तीफा देकर फिर से चुनाव में जाएं.’

लोबिन हेंब्रम के रवैये पर वो कहते हैं, ‘उनको ये पता है कि वो निर्दलीय भी जीत जाएंगे. जेएमएम के टिकट कटने पर स्टीफन और लोबिन दोनों निर्दलीय जीते हुए हैं. दूसरी बात उन्हें लगता है कि शिबू सोरेन के मूल सिद्धातों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. मसलन शराब का विरोध, 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करना आदि. लिहाजा पार्टी कोई भी कार्रवाई करने से पहले दस बार सोचेगी.’

जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार ने झारखंड वेबरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से शराब बेचने का फैसला लिया है जबकि शिबू सोरेन लगातार दारू और हड़िया के इस्तेमाल के खिलाफ बोलते रहे हैं.

जाहिर है, सत्तारूढ़ जेएमएम और कांग्रेस के अंदर चल रहे नूरा-कुश्ती का खेल राज्य के विकास के मुद्दों को भटका रहा है. साथ ही ब्यूरोक्रैट्स के रवैये को भी उजागर कर रहा है. अवैध खनन की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

यही नहीं, इन विधायकों पर कार्रवाई करना, हेमंत सोरेन के लिए भी इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ये विधायक उन्हीं मुद्दों पर अपने सरकार को घेर रहे हैं, जिन मुद्दों को लेकर जेएमएम चुनाव के वक्त जनता के बीच गई थी.

(आनंद दत्त स्वतंत्र पत्रकार हैं)


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