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Friday, 20 December, 2024
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महाराष्ट्र में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच क्यों जारी है जुबानी जंग

जानकारी मिली है कि सहयोगी दलों ने 288 में से 260 सीटों पर सहमति बना ली है, लेकिन अब सभी 3 प्राथमिक दल शेष सीटों के लिए होड़ कर रहे हैं, यहां तक ​​कि छोटे सहयोगी भी अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं.

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मुंबई: महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है. हालांकि, गठबंधन का दावा है कि वह राज्य की 288 में से 260 सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं, लेकिन अंतिम कुछ सीटों पर गतिरोध जारी है.

गठबंधन के तीनों प्रमुख दल शेष सीटों पर दावा कर रहे हैं और यहां तक ​​कि एमवीए का समर्थन करने वाले छोटे दल भी अधिक सीटें चाहते हैं.

इन सीटों को लेकर गतिरोध इस हद तक पहुंच गया है कि शिवसेना (यूबीटी) ने धमकी दी है कि अगर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले इसमें शामिल होते हैं तो वे बातचीत में हिस्सा नहीं लेंगे. हालांकि, शनिवार को मीडिया से बात करते हुए शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने इस तरह का रुख अपनाने से इनकार किया.

इस बीच, पटोले और राउत के बीच जुबानी जंग भी जारी है, जहां शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संयम बरतने का आग्रह किया है, वहीं कांग्रेस के राज्य प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे. यह बैठक शनिवार को होने की उम्मीद है और इसका उद्देश्य गतिरोध को खत्म करना है.

सूत्रों के अनुसार, फिलहाल सीट बंटवारे का फॉर्मूला 100-80-80 (260 सीटों के लिए) है, जिसमें कांग्रेस को 100 सीटें मिलेंगी, लेकिन पार्टी और शिवसेना यूबीटी इससे ज़्यादा सीटें चाहती है.

दोनों पार्टियों के बीच खास तौर पर विदर्भ की सीटों को लेकर टकराव है, जहां शिवसेना (यूबीटी) का लक्ष्य बीजेपी विरोधी भावना का फायदा उठाना है, जबकि कांग्रेस और ज़्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “बातचीत एक या दो दिन में सुलझ जानी चाहिए. यह सिर्फ कुछ सीटों का मामला है. इस तरह की असहमतियां होना लाज़िमी था, क्योंकि सीटों की संख्या लोकसभा से ज़्यादा है, लेकिन हम इसे शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लेंगे.”

जिन सीटों पर विवाद है, उनमें मुंबई की कम से कम तीन सीटें — बांद्रा ईस्ट, बायकुला और वर्सोवा शामिल हैं, जहां कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दोनों ही चुनाव लड़ना चाहती हैं.

वर्तमान में वर्सोवा भाजपा के पास है, बायकुला शिवसेना के पास है (इसकी विधायक यामिनी जाधव शिंदे सेना के पास हैं) और बांद्रा ईस्ट कांग्रेस के पास है (विधायक जीशान सिद्दीकी).

सेना (यूबीटी) के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया, सेना (यूबीटी) इन निर्वाचन क्षेत्रों में मराठी और मुस्लिम वोट बैंकों को लक्षित कर रही है. हालांकि, कांग्रेस अपने मूल अल्पसंख्यक मतदाताओं को छोड़ने के लिए अनिच्छुक है.


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गतिरोध

राउत और पटोले के बीच जुबानी जंग शुक्रवार को और भी उग्र हो गई.

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए राउत ने कहा, “अब बहुत कम समय बचा है और सीट बंटवारे पर फैसला जल्द होना चाहिए. चूंकि, कांग्रेस के राज्य नेताओं को हर बात दिल्ली भेजनी है, इसलिए ऐसा लगता है कि वह फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा की जानी चाहिए.”

इसके जवाब में नाना पटोले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पलटवार करते हुए कहा, “हम अपने नेतृत्व का सम्मान करते हैं. अगर संजय राउत उद्धवजी को दरकिनार करते हैं, तो यह उनका मुद्दा है. हमारी जिम्मेदारी अपने नेतृत्व को जवाब देना है. मैं संजय राउत के बारे में बात नहीं करना चाहता.”

इस बयान के बाद शुक्रवार को सीट बंटवारे को लेकर कोई बैठक नहीं हुई.

हालांकि, उद्धव ने नुकसान को नियंत्रित करने की कोशिश की है.

उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकरे ने कहा, “सहयोगियों के बीच इस तरह की तकरार टूटने की स्थिति तक नहीं पहुंचनी चाहिए. मैं इस बारे में और जानकारी लूंगा. हालांकि, मैंने अपने पार्टी नेताओं से एमवीए के भीतर इस तरह के किसी मुद्दे के बारे में नहीं सुना है.”

विवादित सीटें

एमवीए के भीतर अधिकांश विवादित सीटें कांग्रेस और सेना (यूबीटी) के बीच हैं, दोनों ही पार्टियां इन पर अपना दावा ठोक रही हैं.

बांद्रा ईस्ट के मामले में, सेना एमएलसी अनिल परब ने बुधवार को घोषणा की कि युवा सेना नेता वरुण सरदेसाई इस सीट से चुनाव लड़ेंगे, जिस पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी हैं.

विदर्भ में तीनों ही पार्टियां एक ही सीट पर अपना दावा ठोकने की कोशिश कर रही हैं.

उदाहरण के लिए रामटेक में सेना (यूबीटी) टिकट मांग रही है, यह सीट उसने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को दे दी थी.

वर्धा जिले के हिंगना, मराठवाड़ा के गणपति और परभणी के जिंतूर में, एनसीपी (शरद पवार) कांग्रेस के साथ विवाद में है, दोनों ही पार्टियां इन सीटों के लिए होड़ कर रही हैं.

न केवल प्रमुख पार्टियां, बल्कि छोटी पार्टियां भी एमवीए को अल्टीमेटम दे रही हैं.

सोलापुर के पूर्व विधायक दीपक सालुंखे, जो शिवसेना (यूबीटी) में शामिल हो गए हैं, को सांगोला सीट दिए जाने की उम्मीद है, जो परंपरागत रूप से किसानों और श्रमिकों की पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के पास है. शुक्रवार को, पीडब्ल्यूपी ने एमवीए को एक अल्टीमेटम जारी किया, जिसमें सांगोला सहित उनकी पारंपरिक सीटें आवंटित नहीं होने पर बाहर निकलने की धमकी दी गई.

समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख अखिलेश यादव — जो इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं — पार्टी के अभियान को शुरू करने के लिए शुक्रवार को महाराष्ट्र पहुंचे. सपा ने एमवीए को 12 सीटों की सूची दी है, जो मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल हैं, जिन्हें वह टारगेट कर रहे हैं.

यादव ने मीडिया से कहा था, “मैं सीट बंटवारे पर एमवीए के साथ बातचीत करने के लिए महाराष्ट्र में रहूंगा. हमारे पास वर्तमान में 2 विधायक हैं और हमने सीटों की एक सूची साझा की है. हमें और सीटें मिलने की उम्मीद है.”

उन्होंने शुक्रवार को मालेगांव में एक जनसभा को संबोधित किया. सपा बायकुला, वर्सोवा और अणुशक्ति नगर सहित अन्य सीटों पर भी चुनाव लड़ रही है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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