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Monday, 29 April, 2024
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झारखंड में भाजपा की हार से ईसाई समुदाय आखिर इतना खुश क्यों है

झारखंड चुनाव में जीत हासिल करने के बाद हेमंत सोरेन सीधे रांची के पुरुलिया रोड स्थिति कार्डिनल हाउस पहुंचकर आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो से आशीर्वाद लेते हैं. यहां बिशप फादर मास्करेन्हांस कहते हैं इस दिन का पांच साल से इंतजार था.

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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम 23 दिसंबर को आता है. झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन को बहुमत मिलता है. जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय होता है. इधर राज्य में 4.30 प्रतिशत जनसंख्या वाला ईसाई समाज क्रिसमस की तैयारी में जुटा ही था, कि उसकी खुशी दोगुणी हो गई. हेमंत सोरेन अपने पिता से आशीर्वाद लेने के बाद सीधे रांची के पुरुलिया रोड स्थिति कार्डिनल हाउस पहुंचते हैं. आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो से आशीर्वाद लेते हैं. यहां बिशप फादर मास्करेन्हांस कहते हैं इस दिन का पांच साल से इंतजार था.

दिसंबर 25 को रांची शहर सहित राज्यभर में धूमधाम से खुशियां मनाई जा रही थी. वहीं बिशप हाउस में पत्रकारों के साथ बातचीत में आर्च बिशप ने फिर एक राजनैतिक बयान दिया. स्थानीय अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक उन्होंने कहा पिछली सरकार में हमलोग तनाव में रहते थे. गिरिजाघरों में एक साल से विशेष प्रार्थना पढ़ी जा रही थी. जिसमें ये कहा जाता था कि इस सरकार के बाद कोई ऐसी सरकार आए, जो संविधान के अनुसार लोगों के लिए काम करे. फेलिक्स टोप्पो ने यह भी कहा कि नई सरकार में हमारे शिक्षा के क्षेत्र के काम के लिए अधिक समर्थन मिलेगा. सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा और अविश्वास का माहौल दूर होगा. पिछली सरकार में मिशन के लोक कल्याणकारी कामों की गति धीमी पड़ गई थी.


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उनके ऐसा कहने के बाद बीजेपी ने इसका विरोध किया. पार्टी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि धर्मगुरूओं को राजनीतिक बयानबाजी से दूर रहना चाहिए. वहीं आर्च बिशप के प्रवक्ता डेविड आनंद ने कहा कि फादर फेलिक्स टोप्पो ने लोगों के मन की बात कही है, इसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है.

इन मामलों में परेशान हुआ था ईसाई समुदाय

ईसाई मिशनरियों के संदर्भ में पिछले पांच साल के घटनाक्रम को देखें तो सबसे चर्चित मामला था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के ऊपर बच्चा चोरी का आरोप लगना. इसमें सिस्टर कोंसिलिया सहित दो अन्य का जेल जाना, फिर जमानत पर रिहा होना. कैथोलिक युवा कुलदीप तिर्की कहते हैं, ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टर्स के पास मोबाइल नही होता, जब वहां वह जाती हैं तो पहले अपना बाल काट लेती हैं, मतलब ये होता है कि निजी मोह-माया से दूर बस लोगों की सेवा करना है, ऐसे लोगों पर बीजेपी सरकार ने गलत आरोप लगाए, दुख तो होगा न. ये सबसे ज्यादा त्याग और काम करनेवाली संस्था है.’

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दूसरी घटनाक्रम थी खूंटी के कोचांग गैंगरेप में कोचांग चर्च के फादर अल्फांसो आइंद पर रेप की जानकारी होने के बावजूद इसकी सूचना पुलिस को न देने के आरोप का लगना. फिर उसका साबित होना और निचली अदालत से उन्हें सजा होना.

तीसरी घटनाक्रम है मिशनरीज की 88 संस्थाओं को अब तक मिले विदेशी फंड की जांच. सीआईडी जांच के बाद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा भी केंद्र सरकार से कर दी है. इससे संबंधित पत्र गृह मंत्रालय को भेजा जा चुका है. यही नहीं विवादित पत्थलगड़ी आंदोलन में सरकार के एक धड़े का यह मानना था कि मिशनरी संस्थाएं मदद कर रही है.


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इसके साथ ही रांची कैथोलिक आर्चडायसिस को 01.04.2009 से 08.07.2018 तक के अवधि में एक्सिस बैंक के खाता संख्या 916010031628285 के कुल रकम 1,30,49,248.55 रुपए की जांच की गई थी.

मिशन की संस्थाओं का राज्यभर में जो जमीन है, उसकी जांच करवाना. जांच हुई भी, लेकिन क्या गड़बड़ी और क्या सही निकला, इसका जिक्र सरकार ने नहीं किया. चौथा घटनाक्रम था, मिशन के सबसे बड़े शैक्षणिक संस्थान सेंट जेवियर कॉलेज में वार्षिक समारोह के दौरान आरएसएस के लोगों द्वारा उपद्रव और फिर उसके बाद कार्यक्रम का बंद होना. यह कार्यक्रम पुलवामा हमले के बाद हो रहा था. हालांकि इसी दौरान रांची के ही बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भी एनुअल फेस्ट आयोजित किए गए, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, लेकिन उसे बंद नहीं किया गया था.

बिशप थियोडोर मास्करेन्हांस ने इस पूरे मसले पर चर्च का पक्ष रखा और कहा. ‘पूरे ईसाई समुदाय में बीजेपी को लेकर आक्रोश नहीं है. क्योंकि इस चुनाव में कुल 24 प्रतिशत ईसाई मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया है. हम केवल इस बात के लिए प्रार्थना कर रहे थे कि ये जो विभाजनकारी सरकार है, उसे बदलना चाहिए. जहां तक बात धर्मांतरण की बाद है, लोग राजनैतिक धर्मांतरण (दलबदल) कर लेते हैं, इसपर कोई कुछ नहीं बोलता. वहीं कुछ लोग अगर अपनी मर्जी से धर्म बदलते हैं तो इसको लेकर आरएसएस हम पर आरोप लगाता है.’

संघ को आशंका, दबाए जा सकते हैं मामले

वहीं वनवासी कल्याण केंद्र के अखिल भारतीय सह शिक्षा प्रमुख बृजमोहन मंडल कहते हैं, ‘पिछली सरकार ने मिशनरियों के खिलाफ जो कार्रवाई की है, वर्तमान सरकार उसे ठंढे बस्ते में डाल देगी. इसका नुकसान यह होगा कि एक बार फिर से राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण की प्रक्रिया तेजी से बढ़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात का अंदेशा कम है कि संघ के अनुषांगिक संगठन जो काम कर रहे हैं, उसके साथ चर्च के इशारे पर वर्तमान सरकार बदले की भावना से कार्रवाई करेगी.’


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मास्करेन्हांस कहते हैं, ‘आरएसएस को डर इसलिए है कि सभी केस फॉल्स हैं. इसलिए बंद किए जाएंगे. अब बदले हुए माहौल में मिशन की ओर से संचालित 1000 से अधिक स्कूल और 100 से अधिक छोटे-बड़े स्वास्थ्य केंद्र राज्य के गरीबों की सेवा खुलकर कर पाएगा.’

ईसाइयों के राजनैतिक प्रभाव को देखें तो सिमडेगा, कोलेबिरा और गुमला ईसाई मतदाता बहुल विधानसभा क्षेत्र है. इसमें से दो विधायक इस समुदाय से आते हैं. एक कोलेबिरा क्षेत्र से कांग्रेस के विक्सल कोंगारी और सिमडेगा से कांग्रेस के ही भूषण बाड़ा. इसी समुदाय की लुईस मरांडी जो कि दुमका से हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी, इस बार चुनाव हार गई हैं.

बीजेपी सरकार में ईसाई समुदाय के पॉल दिनाकरण द्वारा संचालित कारुण्या यूनिवर्सिटी का एमओयू हो चुका है. इसके अलावा मेटास सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट को भी यूनिवर्सिटी खोलने की इजाजत मिल चुकी है. वहीं पूर्व कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की महत्वाकांक्षी योजना रांची जिले के मांडर में 500 बेड के अस्पताल का बनना संभव हो पाया है.


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आर्च बिशप से मिलने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, जेवीएम विधायक बंधू तिर्की सहित कई अन्य शामिल हैं. देखने वाली बात होगी कि जिन मामलों की जांच चल रही है, वह निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद बंद होगी या फिर फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

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