“माँ, पत्नी, पत्रकार और योद्धा” के रूप में उनके अनुभवों के बारे में रेहम खान की आगामी पुस्तक की एक पाण्डुलिपि कथित रूप से लीक हो गयी है, जिसने राजनीतिक तूफ़ान को जन्म दे दिया है। कथित तौर पर रेहम खान ने लिखा है कि उनके पूर्व पति इमरान खान ‘सादिक और आमीन’ (ईमानदार और नेक) नहीं हैं।
आलोचकों ने रेहम खान पर पाकिस्तान के आम चुनावों से पहले इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तेहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को बदनाम करने के उद्देश्य से राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा बनने का आरोप लगाया है। पुस्तक ने उनके पहले पति वसीम अकरम द्वारा एक अभियोग को भी न्योता दिया।
दिप्रिंट का सवाल: पूर्व पत्नी की अप्रकाशित किताब से इमरान खान इतना परेशान क्यों हैं?
इमरान खान बेचैन नहीं है, वह उनकी तरफ आने वाली हर चीज़ से सीधे भिड़ जाते हैं।
सिकन्दर फ़य्याज़ भदेरा
सदस्य, कार्यकारी समिति, पीटीआई
इमरान खान के लिए विवाद कोई नहीं बात नहीं हैं। जहाँ तक हमें याद है, वह विवादों में घिरे रहे हैं लेकिन यह जरूर है कि विवादों ने शायद ही कभी उन पर या उनके करियर पर असर डाला है।
जब वह 1996 में राजनीति में शामिल हुए, तो प्रतिद्वंदी राजनीतिक दलों ने उनके प्रवेश को कमजोर करने के लिए उनके अतीत की सभी घृणित कहानियों को खोद-खोद कर बाहर निकाला और वे अभी भी ऐसा कर रहे हैं। लेकिन इस सब के बावजूद वह धीरे-धीरे लेकिन सधे तरीके से शिखर की ओर बढ़ रहे हैं।
अनेकों बार, राजनीति में उनके उदय को कमजोर करने के लिए उनको बदनाम करने की साजिशें रची गयी हैं। हमने शायद ही कभी खान को घबराते हुए देखा है। वह उनकी तरफ उछाली गयी हर चीज को पकड़ लेते हैं, आमना-सामना करते हैं और बाहर निकल आते हैं।
दो महीनों में, पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव को खान के लिए उस ‘लौह सिंहासन’ पर वास्तव में बैठने के अंतिम अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर वह पिछले 20 सालों से नज़र गड़ाए हुए हैं।
राजनीतिक रूप से प्रेरित रेहम खान की निन्दात्मक किताब, जिसके बारे में कई लोग सोचते हैं कि यह खान के कठोर प्रतिद्वंदी नवाज़ शरीफ़ और उनकी पार्टी को समर्थन देती है, का विमोचन इस अति महत्वपूर्ण चुनाव में खान की पार्टी की संभावनाओं को संभावित रूप से क्षति पहुँचा सकती है।
इमरान खान ने अपने तलाक के बाद से रेहम खान के आरोपों पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है जबकि वह लगातार उन पर निशाना साधती रही हैं। यह किताब सिर्फ उन पर ही निशाना नहीं साधती है बल्कि खान के विरोधियों के समर्थन के साथ रेहम ने एक ही लक्ष्य, इमरान खान, को दिमाग में रखते हुए बहुत सारे लोगों के ऊपर आरोप लगाए हैं।
लेकिन कोई भी इसे चुपचाप सहन करता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। जब से उनका हस्तलेख लीक हुआ है तब से लोग उन्हें कोर्ट में घसीट रहे हैं और साथ ही साथ राष्ट्रीय मीडिया पर उनका पर्दाफाश भी कर रहे हैं। इसने, चुनावों से एक हफ्ते पहले रिलीज़ होने वाली इस किताब के खतरे को नष्ट कर दिया है। चुनाव के समय तक यह किताब अतीत की बात हो जाएगी।
रेहम की किताब हकीक़त में जो कुछ भी कहती हो, लेकिन इसने असाधारण लोक-प्रसिद्धि हासिल कर ली है
रज़ा रूमी
संपादक, डेली टाइम्स, कॉर्नेल विश्वविद्यालय और इथाका कॉलेज में विसिटिंग फैकल्टी
रेहम खान की किताब अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है लेकिन इसने पाकिस्तान की मीडिया में भूचाल ला दिया है। टेलीविज़न चैनल क्रिकेट सुपरस्टार वसीम अकरम सहित उनके पूर्व पति इमरान खान और उनके सहयोगियों को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए रेहम को भला-बुरा कहते रहे हैं।
पाकिस्तान अगले आम चुनाव की तरफ बढ़ रहा है, जो कि 25 जुलाई के लिए निर्धारित हैं। इमरान बेहद आश्वस्त हैं क्योंकि नवाज शरीफ अदालत के फैसलों, जिन्होंने उन्हें आजीवन अयोग्य घोषित किया है, के कारण इस दौड़ से बाहर हैं। मीडिया और पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि इमरान की पार्टी गठबंधन बनाने में सक्षम हो सकती है।
फिर भी स्थिति नाज़ुक है और यदि रेहम खान की किताब में ऐसा कुछ है जो इमरान खान के चुनाव प्रचार को प्रभावित कर सकता है तो यह एक चुनौती है जिसका समाधान निकालने की आवश्यकता है। यही कारण है कि खान के राजपक्ष समर्थक रेहम की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि रेहम टीम के एक मुखबिर से एक मसौदा मिला है और खान के ईमेल ‘स्वतंत्र रूप से’ हैक किए गए थे (इसका जो भी मतलब हो) और इसका कुछ हिस्सा सार्वजनिक किया गया था।
इमरान के समर्थन आधार में शहरी-मध्यम वर्ग शामिल है, जो जनता की राय को आकार देता है और जीत या हार की चुनावी ‘लहर’ बनाता है। आप याद कीजिए, पाकिस्तान में एक रुढ़िवादी समाज भी है और संयोगवश शहरी झोपड़ियों या खेतों वाले गरीब मतदाताओं की तुलना में अधिक नैतिकवादी है। यही कारण है कि इमरान की टीम रेहम की किताब के दुकानों तक पहुँचने के पहले ही रेहम को अपयश देने के लिए मुख्यधारा की मीडिया और अनगिनत सोशल मीडिया खातों के माध्यम से एक आक्रमण की शुरुआत करने में तेज थी।
किताब चाहे जो कुछ भी कहती हो, और हमें जल्द पता चल जायेगा, इसने असाधारण प्रसिद्धि प्राप्त की है। लेकिन रहस्योद्घाटनों, यदि कोई हों, ने शायद कोई प्रभाव नहीं डाला है, यह देखते हुए कि कथाकार, जो पाकिस्तान के लोकोपकारी और आर्थिक रूप से स्वच्छ नायक को नुकसान पहुँचाना चाहती है, को पहले ही एक दुष्ट चरित्र के रूप में चित्रित किया जा चुका है। इस प्रकार, चल रहे मीडिया अभियान विस्तार से रेहम की जिंदगी और उनकी किताब को बदनाम कर रहे हैं।
यदि रेहम की किताब मुझे इमरान खान के सम्भोग के विषय में बताती है, मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा
जुनैद अकरम
स्टैंड-अप कॉमेडियन, कराची
इमरान खान और उनकी पार्टी की इतनी परेशानी का कारण यह है कि उन्हें डर है कि किताब उनका सामान्य रूप से पर्दाफाश कर देगी, जिस तरह से अन्य लोगों को होता है।
इस उपमहाद्वीप के साथ समस्या यह है कि जनता नेताओं को सिर पर बिठाती है और फरिश्तों के रूप में देखती है, जो कुछ भी गलत नहीं कर सकते हैं।
यदि रेहम की किताब मुझे बताती है कि इमरान खान सम्भोग में हैं, मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। वह प्रसिद्द हैं और दिखने में अच्छे हैं। तो हो सकता है उन्होंने वो चीजें की हों जिनके लिए उन पर संदेह किया जाता रहा है।
मुझे लगता है कि रेहम खान ने एक फर्जी पांडुलिपि जारी की है, जिसके कारण लोगों ने मुकदमे दायर किए हैं। असली हस्तलेख में ये सभी विवरण नहीं भी हो सकते हैं।
उन्होंने एक तीर से दो शिकार किये हैं। रेहम ने उन्हें परेशान किया है और अपनी किताब के लिए पर्याप्त शोर पैदा कर लिया है। पीटीआई को चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान में कुछ ही लोग किताबें पढ़ते हैं। मैं कराची में दो पुस्तकालयों को मुफ्त में चलाता हूं, और वे खाली ही रहते हैं। यदि यह एक फिल्म होती तो हो सकता है कि उनको चिंता करनी पड़ती।
वसीम अकरम की पूर्व पत्नी के बारे में आरोप उस व्यक्ति पर एक स्तरहीन हमला है जो कि एक मृतक है।
मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि कौन किसके साथ सो रहा है जब तक वह देश को सही तरह से चला रहा है। जब तक कि एक राजनेता किसी अवैध गतिविधि में लिप्त नहीं हो जाता, यह मेरे लिए चिंता का विषय नहीं है। मैं एक ऐसे प्रधानमंत्री पर गर्व महसूस करूंगा जो धीमी इंटरनेट स्पीड के बारे में मेरी शिकायत समझ सके।
रेहम खान एक बहुत ही चतुर महिला हैं और वह किताब की प्रतिक्रियाओं और संभावित विवाद को समझती हैं। उन्हें पता है उन्हें समर्थन कौन देगा। हाल ही में वह हुसैन हक्कानी से मिली थीं, वह भी विवादास्पद किताबें लिखते रहें हैं और साथ ही प्रतिक्रियाओ से बच भी जाते हैं। उन्होंने रेहम को मुकदमों से निपटना जरूर सिखाया होगा। वह सही हाथों में हैं। स्पष्ट रूप से वह तलाक के बाद तल्ख़ हो गयी हैं।
लेकिन हर कोई इंटरनेट पर एक हफ्ते में सब कुछ भूल जाता है। बलात्कार, हत्या, बच्चों के खिलाफ हिंसा की कहानियां हमारी याददाश्त को धुंधला कर देती हैं।
रेहम खान की पुस्तक आगामी चुनावों में इमरान खान के विरोधियों की अच्छी मदद कर सकती है
अम्मारा अहमद
लाहौर की स्वतन्त्र पत्रकार
पाकिस्तान के संविधान का प्रसिद्ध अनुच्छेद 62 है, जिसके अनुसार संसद सदस्यों को “सादिक” और “अमीन” (सच्चा और ईमानदार) होना आवश्यक है। असल में, इसका मतलब है, एक बुरे दिन पर, आपके रास्ते में कोई भी रुकावट आ सकती है और आपको अयोग्य घोषित किया जा सकता है। यह अनुच्छेद इमरान खान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अयोग्यता का कारण बना।
अब, इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान, इस बारे में नाराज हैं कि उन्हें संक्षिप्त विवाह में किस प्रकार असहाय महसूस कराया गया था, साथ ही इमरान खान के सहयोगी और नई पत्नी बुशरा मेनका ने उन्हें नियंत्रित किया था।
असफलता के बाद रेहम को कठिन परिस्थितियों ने घेर लिया, उन पर इल्जाम लगाए गये और सार्वजनिक जीवन से बाहर निकलने की उम्मीद होने लगी थी। वह सावधानीपूर्वक एक राजनीतिक दल में शामिल होने या किसी भी सार्वजनिक कार्यालय से दूर रहीं। इसके स्थान पर उहोंने टीवी शो होस्ट करने, टेलीविज़न पर प्रदर्शन करने और एक पुस्तक लिखने का फैसला किया।
पुस्तक में शायद इमरान खान के कुख्यात व्यक्तिगत जीवन की एक झलक शामिल है। इसमें, उनके सुन्दर प्रेम जीवन, व्यसन के साथ संभावित संघर्ष, भावनात्मक चुनौतियों और उनके अविवाहित जीवन में कौन क्या रहा है, इस बारे में कुछ जानकारी हो सकती है। जाहिर है, एक लीक किया हुआ हस्तलेख और कथित ईमेल का आदान -प्रदान पुस्तक के बारे में कोई अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
केवल पुस्तक के प्रकाशित होने पर ही हम जान सकते हैं कि क्या वह (रेहम) इमरान खान के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के प्रभाव में थीं। लेकिन कहने की जरूरत नहीं है, यह आगामी चुनावों में उनकी अच्छी सेवा करेगी। “सच्चे और ईमानदार” का टैग नष्ट होने का खतरा है।
इमरान खान के विरोधी भूखे बैठे हैं। इमरान ने उनकी सरकार गिराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। पुस्तक में सूचीबद्ध कोई भी व्यक्तिगत कमी अभियान का चारा बन सकती है।
इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ टेलीविजन और ऑनलाइन प्रचार के माध्यम से रेहम खान को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। लेकिन यह ज्यादातर मुफ्त प्रचार के रूप में कार्य कर रही है जिससे बाद में पीटीआई को पछतावा हो सकता है। इमरान खान कई निंदा अभियानों से बच चुके हैं। चलिए देखते हैं कि रेहम की पुस्तक इमरान की किसी भी वित्तीय गलती पर प्रकाश डालती है या नहीं।
अब किसी को भी रेहम खान के शयनकक्ष में हुए कबूलनामे में दिलचस्पी नहीं है
आम्ना शाह
विशेष परियोजनाओं के प्रमुख, पीटीआई
पाकिस्तान देश के इतिहास में सबसे दिलचस्प चुनाव देख रहा है। राजनीति एक बड़े पैमाने के साथ लोगो में शीघ्रता से बिक रही है और मीडिया स्वतंत्रतापूर्वक समाचार आउटलेट में व्यक्ति विशेष की आलोचना कर रही है। हम उस परिवर्तन की दहलीज पर हैं, जिसका वादा हमसे बहुत पहले से किया गया है। राजनीति में एक अनुभवहीन नवागंतुक की तरह इमरान खान ने वर्षो के उपहास और मजाक के बाद पकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता बनने के लिये संघर्ष किया है। उन्होंने राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है, मौजूदा परिस्थितियों को चुनौती दी है और हमें आशा प्रदान की है कि कुलीन वर्ग अपरिवर्तनीय नहीं है। अब वे प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में है और उनके विरोधी होने वाले इस बदलाव का विरोध कर रहें है।
मौजूदा कुलीन वर्ग एक नवागंतुक का प्रवेश नहीं चाहता और यह वर्ग उनको रोकने के लिये सब कुछ कर रहा हैं। इस वैकल्पिक सत्य के समय में प्रचार प्रसार भी शीघ्र और अच्छा प्रभाव डाल सकता है । सोशल मीडिया पर कोई नई चीज एक तथ्य के रूप में ली जाती है, और कोई भी इसे प्रमाणित करने की परवाह नहीं करता है जब तक कि यह आप को सोचने पर मज़बूर न करे।
रेहम खान की पुस्तक इसका आदर्श उदाहरण है कि कैसे इमरान खान को बदनाम करने के लिए इसमें वैकल्पिक सत्य और अफवाह का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इमरान इससे भी बदतर परिस्थितियों से बच चुके हैं। हाल ही में किये गए इस प्रयास ने उन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचाई और पाकिस्तानियों ने उन्हें क्षमा भी कर दिया। शयनकक्ष के कबूलनामे में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं है और इमरान का निजी जीवन कोई सामूहिक प्रभाव नहीं डालता।
पुस्तक से इमरान न तो घबराते हैं और न ही यह उनकी राजनीति को प्रभावित करती है। वह बहुत विख्यात हैं और एक विचार की तरह हैं। यह तुच्छ प्रहार उन्हें चोट नहीं पहुँचाएगा, लेकिन यह उन लोगों को चोट पहुँचाता है जो घनिष्ठ और विरल परिस्थिति में उनके पास खड़े हैं।
तो पुस्तक पर किया गया यह पूर्व-निर्णायक हमला उनके बारे में नहीं है, यह उनके अपने लोगों की रक्षा के बारे में है जो व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण इसकी गिरफ्त में आ गए थे।
जेमिमा ने इमरान को अयोग्यता से बचाया, लेकिन रेहम की पुस्तक उनके करियर के लिए खतरा हो सकती है
मुहम्मद डेम फजिल
राजनीति विज्ञान प्रवक्ता , गुजरात सियालकोट कैंपस विश्वविद्यालय, पाकिस्तान
क्रिकेटर से राजनेता बने, इमरान खान, एक बार फिर मुश्किल परिस्थितियों में हैं। इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के मामले में उन्हें उनकी पहली पत्नी जेमिमा ने बचाया था। लेकिन उनकी दूसरी पत्नी रेहम खान अपनी आगामी पुस्तक में उनके लिये गंभीर परेशानी लेकर आ रही हैं। चुनाव केवल कुछ हफ्ते दूर हैं, और इमरान अपनी पूर्व पत्नी द्वारा स्वयं के भेदों का खुलना बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। इमरान की दूसरी शादी शायद ही कभी सफल रही हो और लोगो द्वार फैलाई गई अफवाह ने यह हलचल बनाये रखी कि, क्यों रेहम ने इमरान से अलग होने का फैसला किया।
कई लोगों का मानना था कि इमरान की ‘समलैंगिक’ जीवनशैली तलाक के लिए मुख्य कारण थी। कुछ ने उनके सलाहकारों (नईमुल हक और आवन चौदरी) को इस झगड़े के लिए दोषी ठहराया। इमरान अब तीसरे विवाह में बंधे हैं, और लोग पहले से ही अनुमान लगा रहे हैं कि यह भी लंबे समय तक नहीं टिकेगा।
समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर रेहम की अप्रकाशित पुस्तक को ले कर उथल-पुथल मची हुई है। प्रो-पीटीआई के प्रशंसकों ने उनकी पुस्तक को पूर्व-योजनाबद्ध रणनीति के रूप में देखा है ताकि चुनाव से पहले इमरान के चरित्र को कलंकित किया जा सके। कुछ ने ये भी कहा है कि यह इमरान और रेहम के बीच एक निजी मामला है।
इमरान खान ने एक दशक से अधिक समय तक 11-पुरुषों की टीम का स्थिरता से संचालन किया लेकिन अपनी व्यक्तिगत और राजनीतिक पारी में उसी सिद्धांत का पालन करने में वह बुरी तरह विफल रहे। जब व्यक्तिगत चरित्र की बात आती है तो उनके पास गौरवान्वित करने वाला रिकॉर्ड नहीं है और बार-बार उन्हें विदेशी प्रेस में ‘प्लेबॉय’ का शीर्षक दिया गया है।
राजनीतिक द्रष्टि से इमरान और उनकी पार्टी यू-टर्न लेने के लिए जानी जाते हैं और यही दृष्टिकोण उन्हें परेशान करता रहता है। प्रतिद्वंद्वी दल विशेष रूप से पीएमएल-एन, चुनाव अभियानों में जनता की मनोदशा को बदलने के लिए रेहम की किताब का इस्तेमाल कर सकते हैं।
Read in English : Why is Imran Khan so unsettled by ex-wife Reham Khan’s unreleased book?