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Wednesday, 18 December, 2024
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बिहार में गिरिराज सिंह की नियोजित ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ से BJP-JD(U) में क्यों हो रहा टकराव

जदयू ने गिरिराज सिंह के यात्रा के प्रस्ताव को 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में दंगे भड़काने की कोशिश करार दिया है.

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नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तनाव का एक और कारण तब सामने आया जब केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में मुस्लिम आबादी वाले पांच जिलों में चार दिवसीय ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ का प्रस्ताव रखा.

हाल ही में, भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल जद (यू) ने केंद्र सरकार के विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और आरक्षण को दरकिनार कर पार्श्व प्रवेश नौकरियों में भर्ती के लिए विज्ञापन को लेकर असहमति जताई है.

अब, जेडी(यू) के नेता गिरिराज सिंह की यात्रा के प्रस्ताव की आलोचना कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ेगा और ऐसा लगता है कि यह 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ के लिए दंगे भड़काने की कोशिश है.

हालांकि, अपने आक्रामक बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह ने अपने प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा कि “यात्रा हिंदुओं में एकता लाएगी” और “जो लोग अब आपत्ति जता रहे हैं, उन्होंने तब नहीं किया था जब (राष्ट्रीय जनता दल के नेता) तेजस्वी यादव ने मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने के लिए यात्रा का आयोजन किया था”.

तेजस्वी यादव 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने पार्टी समर्थकों से जुड़ने के लिए बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं.

‘सनातनियों के एकजुट होने का समय’

हिंदुत्व विचारधारा के प्रमुख चेहरे के रूप में देखे जाने वाले गिरिराज सिंह ने कहा कि ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ हिंदुओं को एकजुट करेगी, ताकि “बांग्लादेश के हिंदुओं की तरह उन्हें अलग-थलग न किया जाए”.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत अब बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं करेगा. जिस दिन बांग्लादेश में ये घटनाएं हुईं, मेरे मन में विचार आया कि अब हिंदुओं को एकजुट करने का समय आ गया है. हमारे पूर्वजों ने गलती की. अगर बंटवारे के समय पूरी मुस्लिम आबादी पाकिस्तान चली जाती, तो आज हमें इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता.”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैंने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि अगर हिंदू एकजुट नहीं रहे, तो उन्हें भविष्य में राजनीतिक मोर्चे पर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। अब सनातनियों के एकजुट होने का समय आ गया है.”

उन्होंने कहा कि यात्रा भागलपुर से शुरू होगी, जहां से जेडी(यू) नेता अजय कुमार मंडल सांसद हैं. 18 अक्टूबर को पूजा और हवन के बाद यह यात्रा कटिहार, पूर्णिया और अररिया से होते हुए किशनगंज में समाप्त होगी. ये सभी पांच जिले बिहार के सीमांचल का हिस्सा हैं और इनमें मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है.

कटिहार लोकसभा क्षेत्र में जेडी(यू) नेता दुलार चंद्र गोस्वामी कांग्रेस नेता तारिक अनवर से हार गए. पूर्णिया में निर्दलीय पप्पू यादव ने जेडी(यू) उम्मीदवार संतोष कुमार कुशवाहा को हराया. इसी तरह किशनगंज में कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद ने जेडी(यू) उम्मीदवार मुजाहिद आलम को हराया. हालांकि, अररिया लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है, जहां से प्रदीप कुमार सिंह 2009, 2019 और 2024 में जीत चुके हैं.

भाजपा के साथ गठबंधन होने के बावजूद जेडी(यू) ने गिरिराज सिंह और उनकी यात्रा को विभाजनकारी बताया है, जो पार्टी के हिंदू और मुस्लिम वोटों के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयासों के अनुरूप है, जिसमें नीतीश कुमार को बिहार के ‘विकास पुरुष’ के रूप में पेश किया गया है.

गिरिराज सिंह ने सीधे तौर पर जेडीयू का नाम नहीं लिया, लेकिन आरजेडी पर उंगली उठाते हुए पार्टी की आलोचना की.

उन्होंने कहा, “जब तेजस्वी यादव ने यात्रा निकाली, तो किसी के पेट में दर्द नहीं हुआ. जब प्रशांत किशोर ने यात्रा निकाली, तो किसी के पेट में दर्द नहीं हुआ. उन लोगों ने वोट के लिए यात्रा निकाली. कुछ लोगों ने मुसलमानों को एकजुट करने की बात की, जबकि अन्य ने अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने की कोशिश की, लेकिन, हम इन चीज़ों से आगे बढ़कर लोगों को एकजुट करने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं.”

‘भाजपा की मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की कोशिश’

दिप्रिंट से बात करते हुए जेडी(यू) के महासचिव गुलाम रसूल बलयावी ने कहा, “इरादा साफ है – सांप्रदायिक तनाव भड़काना और इस देश में दंगों की स्थिति पैदा करना, जहां 80 प्रतिशत आबादी हिंदू है. प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक, सभी हिंदू समुदाय से हैं. इस देश में हिंदू असुरक्षित कैसे हो सकते हैं?”

उन्होंने कहा, “जब हिंदू एकता के नाम पर कोई यात्रा आयोजित की जाती है, तो दिमाग में एक ही मकसद आता है कि अल्पसंख्यक समुदाय को असुरक्षित महसूस कराया जाए और अच्छी खासी मुस्लिम आबादी वाले जिलों में अशांति पैदा की जाए.”

जेडी(यू) एमएलसी गुलाम गौस ने दिप्रिंट से कहा, “भाजपा के जिहाद (आरोप) और एनआरसी-सीएए काम नहीं आए. इसलिए भाजपा मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने के लिए एक नया मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.”

उन्होंने कहा, “हर किसी को अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का अधिकार है, लेकिन इससे राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव खराब नहीं होना चाहिए. इस देश के इतिहास में, मुसलमानों और हिंदुओं दोनों ने ही स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिया है और संघर्ष किया है.”

दिप्रिंट से बात करते हुए, जेडी(यू) के आधिकारिक प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “नीतीश कुमार विकास यात्रा के लिए जाने जाते हैं. जब भागलपुर दंगे हुए तो नीतीश कुमार ने ही लोगों का पुनर्वास किया…अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए या नहीं, यह संविधान में लिखा है. क्या गिरिराज जी संविधान के अनुरूप नहीं हैं?”

बीजेपी ने यात्रा को कमतर आंका है. आधिकारिक तौर पर, पार्टी यात्रा का हिस्सा नहीं है, लेकिन अन्य हिंदू संगठन इसका समर्थन कर रहे हैं.

बिहार में बीजेपी के महासचिव जगन्नाथ ठाकुर ने कहा, “हिंदू संगठन गिरिराज जी की यात्रा का समर्थन कर रहे हैं. यह एक अच्छे उद्देश्य के लिए है. किसी को भी इसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए.”


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‘हिंदू मतदाताओं को एकजुट करना’

ऐसा नहीं है कि गिरिराज सिंह भाजपा-आरएसएस की लाइन से अलग चल रहे हैं.

अपने वार्षिक दशहरा भाषण में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाकर हिंदू एकता का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं. हम जहां भी हैं, हमें एकजुट और सशक्त होने की ज़रूरत है और कमजोरी कोई विकल्प नहीं है.”

इस साल 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के मुहावरे को दोहराते हुए महाराष्ट्र के ठाणे में एक रैली में कहा, “हमें इतिहास से सबक लेना होगा. हमें एकजुट रहना होगा. अगर हम बंट गए, तो हमें बांटने वाले जश्न मनाएंगे.”

उसी दिन मोहन भागवत ने राजस्थान में एक भाषण में भाषा, जाति और क्षेत्रीय विवादों को अलग रखते हुए हिंदुओं के बीच एकता का आह्वान किया, जिसे उन्होंने बाद में दशहरा भाषण में मजबूत किया.

कुछ सप्ताह बाद महाराष्ट्र में एक विकास परियोजना के शुभारंभ के लिए एक वीडियो भाषण में मोदी ने कहा, “कांग्रेस के एक भी नेता ने कभी नहीं कहा कि मुसलमानों में इतनी जातियां हैं…लेकिन जब हिंदुओं की बात आती है, तो कांग्रेस जाति के आधार पर बात करती है.”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस हिंदू समुदाय में आग भड़काना चाहती है; वह एक हिंदू समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहती है.”

नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, लोकसभा चुनावों के दौरान, भाजपा की हिंदुत्व की परखी हुई रणनीति काम नहीं आई और विपक्षी दलों को जाति और दलित पहचान के आधार पर चुनाव लड़ने में सफलता मिली, जिससे हिंदुत्व की पहचान टूट गई.

नेता ने कहा, “तब से, भाजपा जातियों के बीच एकजुटता लाने और विपक्ष का मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रही है. कांग्रेस की लापरवाही के कारण हरियाणा में भाजपा गैर-जाट एकीकरण करके हार से बच गई, लेकिन, यह लंबे समय में जीत का पक्का फॉर्मूला नहीं है.”

उन्होंने आगे कहा, “महाराष्ट्र से झारखंड तक, हम चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत से लगे रहेंगे. इसलिए, आरएसएस और पीएम हिंदुत्व को वापस लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम बिहार में गठबंधन में हैं, लेकिन भाजपा ने राज्य में कई सीटें खो दी हैं. अगले साल होने वाले चुनावों के लिए, भाजपा विभिन्न दलों की जाति की राजनीति के खिलाफ लड़ने के लिए हिंदुत्व मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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