scorecardresearch
Wednesday, 17 September, 2025
होमराजनीतिआंध्र प्रदेश में CM नायडू की PPP योजना से मेडिकल कॉलेज बनाने पर विपक्ष ने क्यों जताया एतराज

आंध्र प्रदेश में CM नायडू की PPP योजना से मेडिकल कॉलेज बनाने पर विपक्ष ने क्यों जताया एतराज

Text Size:

हैदराबाद: जगन मोहन रेड्डी द्वारा एक साथ पांच मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किए दो साल हो गए हैं. इस बीच सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) और विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के बीच पिछले आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा योजनाबद्ध बाकी कॉलेजों को विकसित करने के तरीके को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है.

चंद्रबाबू नायडू प्रशासन ने 10 मेडिकल कॉलेजों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल में स्थापित करने का आदेश जारी किया है, जिसका विपक्षी पार्टी ने कड़ा विरोध किया है.

पिछले साल स्वास्थ्य विश्वविद्यालय का नाम बदलकर डॉ वाईएसआर-यूएचएस (जगन के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के नाम पर) से वापस डॉ एनटीआर यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज करने के बाद, इस पीपीपी फैसले को नायडू द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने पूर्ववर्ती की रूपरेखा बदलने के तौर पर देखा जा रहा है.

2019 तक आंध्र प्रदेश में केवल 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे. सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने की योजना के हिस्से के रूप में, जगन ने 17 नए कॉलेज स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि आंध्र प्रदेश के 26 जिलों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज हो.

प्रत्येक कॉलेज को 500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर, 50 एकड़ भूमि पर एक मेडिकल हब के रूप में योजना बनाई गई थी, जो तृतीयक देखभाल को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और गांव क्लीनिकों से जोड़े.

पडेरु, मचलीपट्टनम और पिडुगुराला कॉलेजों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत मंजूरी दी गई. राजामुंदरी, एलुरु और नांद्याल कॉलेजों को विशेष सहायता योजना (सैससी) के तहत वित्त पोषित किया गया और शेष 11 को नाबार्ड के तहत वित्त पोषण से जोड़ा गया.

15 सितंबर 2023 को जगन ने विजयनगरम में एक नया मेडिकल कॉलेज खोला. राजामुंदरी, एलुरु, मचलीपट्टनम और नांद्याल में चार और कॉलेज शुरू किए गए, जहां 2023-24 शैक्षणिक वर्ष से कक्षाएं शुरू हो गईं.

जगन के कार्यकाल में निर्मित एक और कॉलेज पडेरु में पिछले अक्टूबर में खोला गया. वहां भी कक्षाएं चल रही हैं.

अब, विपक्षी नेताओं की आशंकाओं और दावों के बीच, नायडू सरकार ने पिछले हफ्ते आदेश जारी कर जगन की योजना के तहत 17 में से 10 नए मेडिकल कॉलेजों को पीपीपी मॉडल में विकसित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

ये 10 कॉलेज अदोनी, मदनपल्ली, मार्कापुरम, पेनुकोन्डा, पलकोलु, अमलापुरम, नरसिपटनम, बापटल, पर्वतीपुरम और जगन के विधानसभा क्षेत्र पुलिवेंदुला में स्थित हैं.

वाईएसआरसीपी नेताओं ने कहा कि इनमें से कुछ कॉलेजों का निर्माण कार्य अच्छी तरह चल रहा था और पुलिवेंदुला का कॉलेज इस्तेमाल के लिए तैयार था, लेकिन गठबंधन सरकार ने निर्माण और विकास रोक दिया ताकि इसका श्रेय जगन को न मिले.

सोमवार को जगन ने ‘एक्स’ पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने लिखा, “15 सितंबर 2023 मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल का सबसे संतोषजनक दिन था, जब हमने विजयनगरम, राजामुंदरी, एलुरु, मचलीपट्टनम और नांद्याल में मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था. केवल इन पांच कॉलेजों ने 750 एमबीबीएस सीटें जोड़ीं, जो मेरे लिए बहुत बड़ी संतुष्टि का स्रोत था. इसके साथ ही पडेरु और पुलिवेंदुला के मेडिकल कॉलेज भी दाखिले के लिए तैयार किए गए थे.”

उन्होंने आरोप लगाया कि शेष 10 मेडिकल कॉलेजों का निर्माण पूरा करने के बजाय, सरकार उन्हें निजी संस्थाओं को सौंपने की कोशिश कर रही है.

“यह लोगों के साथ बड़ा अन्याय है. राज्य भर के नागरिक इस कदम का विरोध कर रहे हैं और हम दृढ़ता से मांग करते हैं कि सरकार तुरंत इस तरह के प्रयास को वापस ले,” जगन ने लिखा और छह कॉलेजों व पुलिवेंदुला से जुड़े वीडियो का एक मोंटाज पोस्ट किया.

पीपीपी मॉडल आदेश जारी होने के एक दिन बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जगन ने इस कदम को नायडू शासन के भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया.

उन्होंने कहा, “हमने सबकुछ योजना बनाई थी, जमीनें हासिल की थीं और बाकी कॉलेजों में भी निर्माण कार्य चल रहा था. जब हमने पद छोड़ा, तब तक लगभग 3,000 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके थे. शेष 5,000 करोड़ रुपये के लिए नाबार्ड, केंद्र की विशेष सहायता और अन्य संस्थानों के साथ करार हो चुके थे. तो बाकी 10 कॉलेजों को विकसित करने में दिक्कत क्या है?” जगन ने सवाल किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि पीपीपी रास्ता दरअसल कॉलेजों को सत्ता पक्ष के नेताओं के करीबी निजी खिलाड़ियों को सौंपने का जरिया है.

कोविड महामारी के दौरान कुछ कॉरपोरेट अस्पतालों की कथित ज्यादतियों का हवाला देते हुए जगन और अन्य वाईएसआरसीपी नेताओं का कहना है कि सरकारी कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पताल मुफ्त या सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं देकर ऐसे मनमाने निजी खिलाड़ियों पर लगाम लगाएंगे.

वाईएसआरसीपी का यह भी आरोप है कि पीपीपी मॉडल से मेडिकल शिक्षा मध्यवर्गीय माता-पिता के लिए महंगी हो जाएगी, जो अपने बच्चों को डॉक्टर बनते देखने का सपना देखते हैं. पार्टी का कहना है कि ऐसे कॉलेजों में निजी/एनआरआई कोटे में एक एमबीबीएस सीट की कीमत 57.50 लाख रुपये प्रति वर्ष तक होगी, जबकि जगन द्वारा उद्घाटित पांच नए सरकारी कॉलेजों में ऐसी सीट केवल 20 लाख रुपये सालाना है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जगन ने इच्छुक बोलीदाताओं को निविदाओं में हिस्सा लेने से भी चेताया, क्योंकि “वह सत्ता में लौटने के बाद ऐसे सभी समझौते रद्द कर देंगे.” उन्होंने कहा, “हम किसी भी ऐसे मेडिकल कॉलेज को अपने हाथ में ले लेंगे जो पीपीपी मॉडल के तहत संचालित होगा.”

स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन को खुले पत्र में जवाब दिया.

यादव ने दावा किया कि जगन की 17 मेडिकल कॉलेजों की योजना कभी शुरू ही नहीं हुई और उनका मजाक उड़ाते हुए कहा कि “उन्हें निजीकरण और पीपीपी मॉडल में फर्क ही नहीं पता.”

“जगन के तहत केवल 1,451 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो सभी कॉलेज पूरे करने के लिए जरूरी 8,480 करोड़ रुपये का केवल 17 प्रतिशत है,” कुमार ने कहा. उन्होंने जोड़ा कि जगन की योजना के अनुसार भी कॉलेजों को स्व-वित्तपोषण मॉडल पर चलना था.

मंत्री ने जगन पर राजनीतिक दोहरी बात करने और झूठा प्रचार फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि असली योजना 2025-26 तक सभी 17 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2,550 एमबीबीएस छात्रों को दाखिला देने की थी.

लेकिन विकास में देरी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे ने लक्ष्य को बिगाड़ दिया, उन्होंने कहा.

2023 की नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की संशोधित गाइडलाइन का हवाला देते हुए यादव ने कहा कि दाखिले से पहले पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होना जरूरी था. इस वजह से पडेरु जैसे कॉलेजों में दाखिले घट गए “जहां प्रस्तावित 150 की बजाय केवल 50 छात्रों को ही दाखिला दिया जा सका.”

हालांकि वाईएसआरसीपी विरोध जारी रखे हुए है. उसने 19 सितंबर को राज्यव्यापी कार्यक्रम ‘चलो मेडिकल कॉलेज’ की घोषणा की है ताकि सरकार के 10 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों को “निजीकरण” करने के फैसले का विरोध किया जा सके. पार्टी की युवा और छात्र शाखा के कार्यकर्ता इसमें जनता को “तथ्य समझाएंगे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 1995 के वक्फ अधिनियम ने इस्लामी सिद्धांतों और भारतीय कानून के बीच संतुलन साधा, संशोधन विधेयक ने इसे खराब किया


 

share & View comments