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Thursday, 24 July, 2025
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अजित पवार क्यों फंसे हैं माणिकराव कोकटे के मामले में – NCP के विवादित मंत्री जो हर बार बच निकलते हैं

कोकटे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधानसभा में रम्मी खेलने की बात से इनकार किया, लेकिन आग बुझाने की कोशिश में उन्होंने एक और विवाद खड़ा कर दिया, जिससे अजित पवार की एनसीपी मुश्किल में पड़ गई है.

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मुंबई: अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर विपक्ष का जबरदस्त दबाव है कि वह राज्य के कृषि मंत्री और अपनी ही पार्टी के नेता माणिकराव कोकटे के खिलाफ कार्रवाई करे. कोकटे का वीडियो सामने आया है, जिसमें वह विधानसभा के भीतर ऑनलाइन रम्मी खेलते नज़र आ रहे हैं. साथ ही, पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई विवादित बयान भी दिए हैं. उनका ताज़ा बयान भी पार्टी प्रमुख अजित पवार पर परोक्ष कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है.

अब तक उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कोकटे के इन बयानों को नज़रअंदाज़ किया है और रम्मी खेलने के ताज़ा विवाद पर भी चुप्पी साध रखी है.

पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं (जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बात की) ने कहा कि इस बार एनसीपी नेता उम्मीद कर रहे हैं कि अजित पवार कोकटे के खिलाफ कुछ कार्रवाई ज़रूर करेंगे.

एक नेता ने कहा, “उनके बयानों से अब पार्टी की छवि पर असर पड़ने लगा है. शायद उन्हें मंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित दादा (अजित पवार) मिलकर उनका विभाग बदल सकते हैं.”

इसी बीच, एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, “अजित दादा (अजित पवार) ही पार्टी के मुखिया हैं. वे कोकटे से बात करेंगे या इस मुद्दे पर कोई निर्णय लेंगे.”

तटकरे ने इससे ज़्यादा कुछ नहीं कहा. उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने न तो कोकटे से बात की है और न ही पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर कोई चर्चा की है.

उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “हम सबकी जिम्मेदारी है कि जो कुछ भी बोलें, वह मर्यादित और सटीक हो.”

कोकटे ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने विधानसभा के अंदर रम्मी खेलने से इनकार किया और उनका वीडियो साझा कर रहे राजनीतिक नेताओं को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी.

लेकिन जहां उन्होंने एक विवाद को शांत करने की कोशिश की, वहीं एक और नया विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की वित्तीय हालत पर बात करते हुए “भिखारी” शब्द का इस्तेमाल कर डाला. यह बात उन्होंने अपने एक पुराने विवादास्पद बयान को स्पष्ट करने के प्रयास में कही थी, जिसमें उन्होंने किसानों के संदर्भ में कहा था कि “भिखारी भी एक रुपया भीख में नहीं लेता, लेकिन यहां राज्य सरकार फसल बीमा एक रुपये में दे रही है.”

नाम न बताने की शर्त पर एनसीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब आपकी ही पार्टी का नेता वित्त मंत्री हो, तब महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति के लिए ‘भिखारी’ जैसा शब्द इस्तेमाल करना पूरी तरह से अनुचित है. इससे पार्टी की छवि खराब होती है. इसलिए इस बार पार्टी के अंदर चर्चा है कि कोकटे पर कार्रवाई हो सकती है.”

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कोकटे के “भिखारी” वाले बयान की निंदा की.

अगले दिन, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (विरोधी गुट) के विधायक रोहित पवार ने सुझाव दिया कि कोकटे का कृषि विभाग अजीत पवार खुद संभालें.

अजित पवार के भतीजे रोहित ने कहा, “जब अजित दादा पर आरोप लगे थे, तो उन्होंने खुद मंत्री पद छोड़ दिया था. अब जबकि वे पार्टी के प्रमुख हैं, उन्हें अपने साथियों के लिए भी वही नैतिकता दिखानी चाहिए. आर.आर. आबा (पूर्व मंत्री आर.आर. पाटिल) ने भी सिर्फ कुछ गलतफहमी वाले हिंदी शब्दों के लिए इस्तीफा दे दिया था.”

गौरतलब है कि जब कांग्रेस और एकजुट एनसीपी की सरकार में पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री थे, तब अजित पवार उपमुख्यमंत्री थे और 2012 में सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. आर.आर. पाटिल, जो उस वक्त गृह मंत्री थे, उन्होंने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद अपने इस बयान — “बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं” — के कारण पद छोड़ दिया था.

इसी हफ्ते की एक अलग घटना में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी पार्टी के युवा मोर्चा अध्यक्ष सूरज चव्हाण को उनके खिलाफ मारपीट के आरोपों के बाद इस्तीफा देने का निर्देश दिया. चव्हाण पर आरोप है कि उन्होंने लातूर में तटकरे की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोकटे के इस्तीफे की मांग कर रहे छावा संगठन के कार्यकर्ताओं से झड़प की थी.


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भुजबल का तोड़ बने कोकटे

जब से माणिकराव कोकटे ने दिसंबर में मंत्री पद की शपथ ली है, वे लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जो महायुति सरकार और अजित पवार की एनसीपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. कभी प्याज की कम कीमत के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो कभी फसल बीमा योजना में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं. हाल ही में उन्होंने राज्य की प्रमुख ‘लाडकि बहिन योजना’ को वित्तीय बोझ का कारण बता दिया.

कोकटे, जिनका पार्टी बदलने का लंबा इतिहास रहा है, अजित पवार के शरद पवार की एनसीपी से अलग होने के बाद सबसे पहले उनके साथ जाने वाले विधायकों में शामिल थे. नासिक जिले से आने वाले मराठा नेता कोकटे पहले भी एनसीपी के सीनियर नेता छगन भुजबल से टकरा चुके हैं. ऐसे में, उन्हें कैबिनेट में शामिल करना भुजबल जैसे प्रभावशाली ओबीसी नेता के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति माना जाता है.

छगन भुजबल को पहले महायुति 2.0 की कैबिनेट से बाहर रखा गया था, लेकिन इस साल मई में उन्हें तब वापस लाया गया जब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे ने इस्तीफा दे दिया था.

डॉ. आंबेडकर आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर नितिन बिर्मल ने कहा, “कोकटे और भुजबल एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी माने जाते हैं. कोकटे की कैबिनेट में मौजूदगी भुजबल के प्रभाव को संतुलित करने के लिए है, जहां भुजबल ओबीसी समुदाय के नेता हैं, वहीं कोकटे नासिक में मराठा वोटरों को साधने में मदद कर सकते हैं, जो आने वाले स्थानीय चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं.”

अजित पवार और भुजबल के बीच पहले भी रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं.

एनसीपी कोकटे को शायद सीधे कैबिनेट से बाहर नहीं करेगी, क्योंकि इससे पार्टी को एक और नुकसान झेलना पड़ेगा.

मार्च में धनंजय मुंडे को उस समय मंत्री पद छोड़ना पड़ा था जब उनके करीबी सहयोगी को बीड जिले में एक सरपंच की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

नितिन बिर्मल ने कहा, “मुंडे पर लगे आरोप बेहद गंभीर थे, क्योंकि उनका करीबी हत्या जैसे जघन्य अपराध में जांच के घेरे में था. इसके मुकाबले कोकटे पर जो आपत्तियां हैं, वे केवल उनके बयानों को लेकर हैं और ऐसे बयान समय के साथ ठंडे पड़ जाते हैं. यही उम्मीद अजित पवार कोकटे के मामले में भी है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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