नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सस्पेंस खत्म हो चुका है. पार्टी नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगा दी है. राज्य में सीएम के चेहरे पर दो दावेदारों के नाम को लेकर पार्टी असमंजस की स्थिति में थी, लेकिन अब यह खत्म हो चुकी है. पार्टी ने सिद्धारमैया को राज्य की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है. वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पार्टी अध्यक्ष डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री बनेंगे.
कौन हैं सिद्धारमैया?
12 अगस्त 1948 को जन्मे सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री ली और बाद में वहीं से कानून की पढ़ाई की. राजनीति में आने से पहले सिद्धारमैया वकालत करते थे.
उन्होंने 1983 चामुंडेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया. वह इस निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार जीते और तीन बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा.
सिद्धारमैया ‘कन्नड़ कवलू समिति’ के पहले अध्यक्ष थे. यह एक निगरानी समिति थी जिसे रामकृष्ण हेगड़े के मुख्यमंत्री रहने के दौरान कन्नड़ को आधिकारिक भाषा के रूप में कार्यान्वयन करने की जिम्मेदारी मिली थी. बाद में वे पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री भी बने.
1992 में, सिद्धारमैया को जनता दल के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. 1994 में वे देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार में वित्त मंत्री बने और बाद में 1996 में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया. हालांकि, उन्हें 1999 में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया जिसके बाद वे जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए.
2004 से लेकर 2005 तक कांग्रेस और जेडी (एस) की गठबंधन सरकार में वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि, 2005 में देवगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद उन्हें जेडी (एस) से निकाल दिया गया. साल 2006 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए.
कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्धारमैया जनता दल के कई गुटों के सदस्य रह चुके थे.
साल 2013 से 2018 के बीच उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दी. वह बीते 40 साल में पहले व्यक्ति बने थे जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. साथ ही देवराज उर्स के बाद कर्नाटक के इतिहास में दूसरे मुख्यमंत्री ने जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. इसके साथ ही वह 13 बार राज्य के बजट पेश करने वाले नेता रहे हैं जोकि एक रिकॉर्ड है.
हालांकि, साल 2018 के चुनाव में वह मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैसूर के चामुंडेश्वरी सीट से जेडी (एस) के जी टी देवगौड़ा से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने बादामी सीट से जीत हासिल की थी.
इस साल के विधानसभा चुनाव में वह वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 46,163 मतों के अंतर से हराकर भारी जीत दर्ज की.
कुरुबा समुदाय से है ताल्लुकात
सिद्धारमैया कर्नाटक के कुरबा समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं. यह राज्य में आबादी के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है. साल 2005 में जब देवेगौड़ा से मतभेदों के कारण उन्हें जेडी(एस) से निकाला गया था तब उन्होंने राजनीति छोड़ने की घोषणा की थी और अपने पुराने पेशे वकालत में लौटने की बात कही थी. उसके बाद बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों ने उन्हें अपने यहां आने का निमंत्रण दिया था. हालांकि, उन्होंने उस वक्त बीजेपी के आमंत्रण को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि बीजेपी से उनकी विचारधारा नहीं मिलती है और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया था.
सिद्धारमैया हमेशा कांग्रेस नेतृत्व के स्वीकार्य रहे हैं. इस चुनाव से पहले ही उन्होंने घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी चुनाव है.
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