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Friday, 22 November, 2024
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कपिल मिश्रा जिन पर है दिल्ली में दंगा भड़काने का आरोप, बता चुके हैं मोदी को आईएसआई एजेंट

जिस दिन कपिल मिश्रा ने जाफराबाद में बयान दिया उसके बाद कहा जा रहा है कि दिल्ली के उत्तर-पूर्व के कई क्षेत्रों में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा अपने बयानों को लेकर विवादों में बने हुए हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें उन्होंने शाहदरा क्षेत्र के डीएसपी की उपस्थित में कहा था कि अगर पूर्वोत्तर दिल्ली में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोग तीन दिनों के अंदर में नहीं हटे तो वो पुलिस की भी नहीं सुनेंगे और सड़कों पर उतरेंगे.

पूर्वोत्तर दिल्ली में तीन दिनों से चल रही हिंसा में अबतक 24 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शांति की अपील की है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कपिल मिश्रा का नाम लिए उनके इस बयान के सहारे निशाना साधा और दिल्ली में भड़के दंगों का कारण बताया.

गौरतलब है कि जिस दिन मिश्रा ने यह बात कही उसके अगले ही दिन से दिल्ली के उत्तर-पूर्व के कई क्षेत्रों में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई.

मिश्रा के बयान के बाद मंगलवार को ट्विटर पर #HarHinduKapilMishra नाम से हैशटेग टॉप ट्रेंड करने लगा.

ये कोई नई बात नहीं है जब कपिल मिश्रा ने इस तरह का कोई बयान दिया हो. उनके बयान लगातार विवाद बढ़ाते आए हैं.

मिश्रा ने बुधवार को एक ट्वीट किया, ‘जिन्होंने कभी बुरहान वानी और अफ़ज़ल गुरु तक को आतंकवादी नहीं माना. वो कपिल मिश्रा को आतंकवादी बता रहे हैं. जो याकूब मेनन, उमर खालिद और शरजील इस्लाम को रिहा करवाने कोर्ट जाते हैं. वो कपिल मिश्रा को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं. जय श्री राम.’


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मिश्रा ने रमेश सोलंकी के एक ट्वीट को रीट्वीट किया. जिसमें लिखा है, ‘एक कपिल देव था जिन्होंने 1983 में इंडिया को पहले क्रिकेट वर्ल्ड कप जितवाया था. एक कपिल मिश्रा भाई हैं जिन्होंने 2020 में जाफराबाद खाली करवाया है. लिबरल्स और अर्बन नक्सल्स इनके पीछे पड़े हैं क्योंकि इन्होंने हिम्मत दिखाई और दूसरा शाहीन बाग नहीं होने दिया.’

मिश्रा ने मंगलवार को पूर्वोत्तर दिल्ली में जारी हिंसा के बीच एक विवादित ट्वीट किया. जिसमें लिखा है कि ‘जाफराबाद खाली हो चुका है. दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे.’

अपने विवादित बयान के बाद मिश्रा ने ट्वीट कर जान से मारने की धमकी की बात कही.

भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने कपिल मिश्रा के बचाव में एक ट्वीट किया. जिसमें लिखा था, ‘मीडिया के कुछ मित्र और तथाकथित बुद्धजीवी कह रहे हैं कि दिल्ली में हो रही हिंसा के लिए कपिल मिश्रा जी जिम्मेदार हैं, वहीं ये वारिस पठान जैसे लोगों के बयानों पर चुप्पी साध लेते हैं. ये लोग हिंसा रोकना नहीं चाहते, बल्कि हिंसा की आग में अपनी एजेंडा की दुकान चमकाने में लगे हैं.’

मोदी को कह चुके हैं आईएसआई एजेंट

मिश्रा जब आम आदमी पार्टी में थे तब वो नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते थे. मिश्रा ने साल 2016 में नरेंद्र मोदी को आईएसआई का एजेंट बताया था जिसके बाद मोदी समर्थकों समेत भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस पर करारा जवाब दिया था.

कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा था, ‘क्या प्रधानमंत्री के रूप में हमारे पास आईएसआई एजेंट है. यह काफी गंभीर मामला है कि प्रधानमंत्री ने भारत विरोधी ताकतों के आगे सरेंडर कर दिया.’

प्रधानमंत्री मोदी के धुर-विरोधी रहे कपिल मिश्रा पिछले कुछ महीनों में उनके सबसे बड़े समर्थक के रूप में उभरे हैं. आम आदमी पार्टी छोड़ने के बाद वो अगस्त 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे. पार्टी में शामिल होने पर मनोज तिवारी ने कहा था, ‘मोदी की नीतियों और दीनदयाल उपाध्याय समेत श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों के साथ वो दिल्ली की सेवा करेंगे.’

दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान विवादों में रहे

हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान उनके कई बयान विवादों में रहे. चुनाव के दौरान उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि 8 फरवरी को यानी कि मतदान वाले दिन दिल्ली के सड़कों पर भारत और पाकिस्तान का मैच होगा. इस बयान के बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दायर की थी और चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था.


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दिल्ली चुनाव के दौरान उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि ‘दिल्ली में छोटे छोटे पाकिस्तान बने.’

कपिल मिश्रा करावल नगर से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे. लेकिन वो 11 हज़ार वोटों से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी से हार गए.

शुरूआती एक्टिविज़्म

कपिल मिश्रा (39) काफी पहले से राजनीति के क्षेत्र में हैं. पूर्वोत्तर दिल्ली के करावल नगर में वो काम करते आए हैं जहां उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा भाजपा से मेयर भी रह चुकी हैं.

शुरूआत में मिश्रा इंटरनेशनल नॉन-प्रोफिट ग्रीनपीस एंड एमनेस्टी के लिए पब्लिक पॉलिसी कैंपेनर के तौर पर काम कर चुके हैं. उन्होंने दिल्ली स्थित ‘यूथ फॉर जस्टिस’ की शुरूआत की.

एक्टिविज्म से जुड़े मिश्रा अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़ गए. इस कैंपेन में उन्होंने 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में पर्यावरण और लेबर नियमों से जुड़े मुद्दे उठाए.

केजरीवाल के राजनीति में आने के बाद मिश्रा भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. वो पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे.

आप के टिकट पर उन्होंने 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 2015 में वो करावल नगर विधानसभा सीट से जीते.

आम आदमी पार्टी के विश्वस्त ले लेकर मोदी समर्थक तक

2015 में आम आदमी पार्टी के भारी जीत के बाद उन्हें जल समेत पर्यटन मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई. वो उन कुछ मंत्रियों में से थे जिन्होंने संस्कृत में अपने पद की शपथ ली थी.

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लगातार यमुना का मुद्दा उठाया. उन्होंने शीला दीक्षित सरकार के दौरान कथित वॉटर टैंक घोटाले में एक रिपोर्ट भी तैयार की थी.

लेकिन 2017 में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर दो करोड़ रूपए की घूस लेने का आरोप लगाया और 400 करोड़ के टैंकर स्कैम में देरी का आरोप लगाया. केजरीवाल सरकार को सीबीआई और लोकायुक्त ने हालांकि क्लीन चिट दे दी थी.

इस मामले के बाद मिश्रा को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.


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2019 के लोकसभा चुनावों में मिश्रा द्वारा भाजपा के समर्थन में प्रचार करने पर एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद अगस्त 2019 में मिश्रा भाजपा में शामिल हो गए.

नफरत भरे बयान बर्दाश्त करने वाले नहीं

पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने मंगलवार को कहा कि जो भी कोई हिंसा फैला रहा है उसके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाए.

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. जिस किसी ने भी ये किया है उसके ऊपर सख्त कदम लिया जाए चाहे वो भाजपा, आप या कांग्रेस से हो. कपिल मिश्रा का बयान उचित नहीं है. यह किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं दिल्ली का मसला है.’

दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने भी कहा कि जो नेता नफरत भरे बयान देते हैं उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए.

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