नई दिल्ली: नाटकीय घटनाक्रम में, उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस सांसद राकेश राठौर को बलात्कार के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया.
हैरानी की बात यह रही कि सीतापुर से सांसद राठौर की गिरफ्तारी पर राजनीतिक विरोधियों ने चुप्पी साध ली, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसका कारण उनकी विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़ाव हो सकता है.
आरोपित बलात्कार की घटना उस समय की बताई जा रही है जब राठौर 2017 से 2022 के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक थे.
उनकी गिरफ्तारी इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के एक दिन बाद हुई.
35 वर्षीय महिला ने 15 जनवरी को दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया कि 2018 में उनकी पहचान सांसद राकेश राठौर से हुई, जब उन्होंने उनकी राजनीतिक करियर बनाने में मदद करने का वादा किया.
महिला के अनुसार, राठौर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उसका भरोसा जीता और उसे अपनी ओबीसी संस्था ‘तैलिक महासंघ’ की जिला इकाई में पद दिया. ओबीसी नेता राठौर ने 1990 के दशक के अंत में इस संगठन की स्थापना अपने समुदाय की समस्याओं को उठाने के लिए की थी.
हालांकि, मार्च 2020 में, राठौर ने कथित तौर पर महिला को अपने घर में बंधक बनाकर उसके साथ बलात्कार किया. उन्होंने उसे शादी और राजनीतिक करियर संवारने का वादा कर चुप रहने को कहा और कथित उत्पीड़न जारी रखा.
राठौर का उत्तर प्रदेश की चार प्रमुख पार्टियों—बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा)—से जुड़ाव रहा है. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर बसपा से शुरू किया और 2012 में सीतापुर से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 2017 चुनाव से पहले वह बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, जहां उन्होंने उसी सीट से जीत दर्ज की.
उत्तर प्रदेश भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार, उस समय राठौर को पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण नेता माना जा रहा था.
“2017 में, हम गैर-यादव ओबीसी नेताओं की तलाश कर रहे थे, जिनके पास कम से कम 10-15,000 व्यक्तिगत वोट हों,” भाजपा पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया. “राठौर उस समय सही विकल्प थे क्योंकि वह सीतापुर में एक ओबीसी संगठन चला रहे थे, जिसका राज्य में, खासकर तैली (ओबीसी जाति) समुदाय में प्रभाव था. तैली समुदाय सीतापुर क्षेत्र में 7 प्रतिशत से अधिक है, इसलिए वे हमारे लिए उन दिनों एक बड़ी संपत्ति थे.”
बीजेपी पदाधिकारी ने आगे बताया कि राठौर के भाजपा से रिश्ते 2020 में तब बिगड़ने लगे, जब उन्होंने योगी सरकार की कोविड महामारी के दौरान “कुप्रबंधन” पर सवाल उठाया. “फिर एक कथित ऑडियो टेप वायरल हुआ, जिसमें वे प्रधानमंत्री की ‘थाली बजाओ-ताली बजाओ’ अपील का मजाक उड़ाते सुनाई दिए.”
भाजपा पदाधिकारी के अनुसार, एक और कथित ऑडियो क्लिप सामने आई, जिसमें राठौर ने सीधे तौर पर राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए और ब्राह्मणों के खिलाफ बयान दिया.
उन्होंने कहा कि राठौर ने एक पार्टी नेता से बातचीत के दौरान कथित रूप से कहा, “दलितों और पिछड़े वर्गों ने वोट दिया, लेकिन शासन ब्राह्मणों का है. भाजपा ब्राह्मणों का राज कायम करना चाहती है.”
2022 तक यह स्पष्ट हो गया था कि भाजपा उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं देगी. इसके बाद राठौर चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए, इस उम्मीद में कि उन्हें टिकट मिलेगा. लेकिन सपा ने सीतापुर से अपने पुराने वफादार और एक अन्य ओबीसी नेता, राधेश्याम जायसवाल को टिकट दे दिया.
बाद में, राठौर ने 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में अपने समर्थकों के लिए टिकट पाने की कोशिश की, लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी.
सपा के सूत्रों के अनुसार, स्थानीय नेतृत्व उनके पार्टी में शामिल होने के पक्ष में नहीं था, क्योंकि उनका झुकाव पार्टी एकता से ज्यादा व्यक्तिगत राजनीति की ओर था. आखिरकार, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्थानीय नेतृत्व की चिंताओं को सुना और उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया.
SP से कांग्रेस तक का सफर
उत्तर प्रदेश की तीन प्रमुख पार्टियों से ठुकराए जाने के बाद कांग्रेस राठौर के लिए आखिरी विकल्प बनी. जून 2023 में, उन्होंने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी जॉइन की, इस उम्मीद में कि वे 2027 के विधानसभा चुनाव लड़ सकेंगे.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हमें पता था कि राठौर स्थानीय निकाय चुनावों के बाद सपा में नाखुश थे. इसलिए हमने उनसे संपर्क किया और वह बिना किसी शर्त के कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार हो गए. वह यूपी में और अधिक स्थानीय ओबीसी वोटरों को कांग्रेस से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे.”
कांग्रेस पदाधिकारी ने आगे बताया कि राज्य चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी इच्छा के बावजूद, उन्होंने अप्रत्याशित रूप से 2024 लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल कर दिया. पार्टी नेतृत्व के दबाव में ऐसा हुआ, क्योंकि दो संभावित उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी.
“2024 लोकसभा चुनावों के दौरान, किसी को उम्मीद नहीं थी कि हम सीतापुर सीट जीत सकते हैं. हमारी शीर्ष नेतृत्व ने उस क्षेत्र में रोड शो तक नहीं किया क्योंकि हमें भरोसा नहीं था कि वहां जीत होगी. लेकिन उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की लहर के कारण, हमने यह सीट अच्छे अंतर से जीत ली,” कांग्रेस पदाधिकारी ने बताया.
“मुझे याद है, यूपीसीसी के वार रूम में, नतीजों के दिन एक वरिष्ठ नेता ने कहा था, ‘जब राठौर जीत रहा है तो सोचो कैसी लहर थी जो हम समझ नहीं पाए.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस मामले के सामने आने से पहले कांग्रेस नेतृत्व राठौर को राज्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका देने पर विचार कर रहा था, क्योंकि वह एक गैर-यादव ओबीसी नेता हैं. हालांकि, अब यह अनिश्चित लग रहा है, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल सकती है.
एक वरिष्ठ यूपी कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा इस मामले पर इसलिए चुप है क्योंकि 2020 में जब यह कथित घटना हुई, तब राठौर भाजपा विधायक थे. एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि महिला ने उनसे 2018 में मुलाकात की थी, जब वह अभी भी भाजपा में थे.
इसी तरह, बसपा, जिसने सबसे पहले राठौर को टिकट दिया था, भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है.
FIR के बाद फरार, घर से गिरफ्तार
15 जनवरी को एफआईआर मिलने के बाद, सीतापुर पुलिस ने 17 जनवरी को राठौर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत बलात्कार, आपराधिक धमकी और आग्नेयास्त्र से डराने-धमकाने के आरोप में मामला दर्ज किया.
एफआईआर दर्ज होने के बाद से राठौर कथित रूप से फरार थे. उनकी संस्था, तैलिक महासंघ, ने कई जिला अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपकर उनके खिलाफ दर्ज मामले का विरोध किया. ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि यह मामला पुलिस प्रशासन की सहमति से सिर्फ सीतापुर सांसद की छवि खराब करने के लिए दर्ज किया गया है.
इसके बाद, राठौर ने अग्रिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया. अदालत में, राठौर के वकील ने दलील दी कि चार साल बाद दर्ज किया गया यह मामला पूरी तरह राजनीतिक साजिश है और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है.
लेकिन अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. सीतापुर जिला पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “जब पुलिस अधिकारियों को पता चला कि राठौर गुरुवार को अपने आवास पर मौजूद हैं, तो हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वह पिछले दो हफ्तों से फरार थे.”
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