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Friday, 15 November, 2024
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कौन हैं कांग्रेस नेता सतीश जारकीहोली, जिनकी ‘हिंदू’ शब्द को गंदा बताने के लिए हो रही आलोचना

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष 60 वर्षीय जारकीहोली ने 'हिंदू' शब्द की उत्पत्ति के बारे में अपनी टिप्पणी, जिसने राजनैतिक तूफान खड़ा कर दिया है. इसकी उनकी अपनी पार्टी और भाजपा दोनों ने आलोचना की है,

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बेंगलुरू: साल 2018 में, कांग्रेस नेता सतीश जारकीहोली ने कहा था कि वह विधानसभा चुनाव के लिए राहु कलम- जिसे भारतीय वैदिक कैलेंडर के अनुसार अशुभ माना जाता है – के दौरान अपना नामांकन पत्र दाखिल करने की अपनी परिपाटी को जारी रखेंगे. उनका कहना था कि इस तथाकथित अशुभ घड़ी में अपना नामांकन दाखिल कर वह उन अंधविश्वासों को दूर करने का प्रयास करेंगे, जो समाज में निरंतर रूप से व्याप्त हैं.

इस कांग्रेसी नेता को कम-से-कम दो दशकों से जानने वाले उनके एक सहयोगी ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा, ‘सतीश हर साल 6 दिसंबर को (जो डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस भी है) अपना एक पूरा दिन कई अन्य प्रगतिशील विचारकों और संतों के साथ सदाशिवनगर इलाके (बेलागवी, कर्नाटक में) में स्थित एक श्मशान में बिताते हैं. वे अंधविश्वास को दूर करने के मकसद से पूरी रात भी वहीं रहते हैं.’

हालांकि, कर्नाटक के बेलगावी जिले से आने वाले इस 60 वर्षीय शख्श ने हिंदू शब्द की उत्पत्ति के बारे में अपनी विवादस्पद टिप्पणी के साथ यह दावा करते हुए कि इस शब्द का अर्थ काफी ‘गंदा’ है, एक राजनैतिक तूफान खड़ा कर दिया है.

जारकीहोली ने रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, ‘हिंदू धर्म और अन्य धर्म… हिंदू शब्द कहां से आया है? क्या यह हमारा है? क्या यह फारसी है? ईरान, इराक, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान… इसका भारत से क्या संबंध है? तो, यह आपका (दर्शकों को संबोधित करते हुए) कैसे बन गया है?’

उन्होंने कहा: ‘इस पर चर्चा होनी चाहिए. व्हाट्सएप और विकीपीडिया पर देखिये. फारसी… यह शब्द कहां से आया? (यह दावा करते हुए कि यह शब्द फ़ारसी मूल का था) यह आपका नहीं है. फिर क्यों इसका दिखावा कर रहे हो? यह शब्द आपका नहीं है. इसका मतलब समझ में आ जाये तो शर्म आ जाएगी. हिंदू का अर्थ वास्तव में काफी ‘गंदा’ है.’

उसके बाद से, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के पूर्व सचिव और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा इस तरह के व्यक्तत्व के लिए फटकार लगाए जाने के बावजूद वह अपनी टिप्पणियों से पीछे हटने से इनकार कर दिया है.


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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को अपने एक ट्वीट में कहा, ‘हिंदू धर्म जीवन जीने का एक तरीका है और एक सभ्यता संबंधी वास्तविकता है. कांग्रेस ने हर धर्म, श्रद्धा और आस्था का सम्मान करने के लिए हमारे राष्ट्र का निर्माण किया. यही भारत का सार है. सतीश जारकीहोली के हवाले से दिया गया बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और पूर्णतः खारिज करने योग्य है. हम स्पष्ट रूप से इसकी निंदा करते हैं.’

हालांकि, जारकीहोली अपनी काफी ज्यादा आलोचना से अप्रभावित लग रहे हैं.

मंगलवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने ने कहा, ‘इसमें से किसी (आलोचना) से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं हूं. मैं सिर्फ मानवता के पक्ष में हूं. हम जाति या धर्म के आधार पर काम नहीं करते हैं. मैंने इस (बयान) में केवल कुछ बारीकियों की ओर इशारा किया है.’

उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई अन्य नेताओं द्वारा हिंदू धर्म को ‘जीवन जीने का एक तरीका’ बताया गया है, न कि कोई धर्म.

इसके बावजूद, जारकीहोली ने अपने बयानों की वजह से रविवार को कर्नाटक में सभी तरफ से – खासकर सत्तारूढ़ भाजपा की तरफ से – आलोचना का सामना किया और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने उन पर इस तरह के बयानों से समाज का माहौल खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया.

बोम्मई ने कहा, ‘सतीश के बयान से इस देश के तमाम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. कांग्रेस पार्टी सिर्फ वोटों के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और बिना गहराई से अध्ययन किए ऐसे आधे-अधूरे बयान दे रही है. वे इस तरह के बयानों के जरिए अल्पसंख्यक वोट हासिल करने की गलत धारणा के साथ काम कर रहे हैं. ऐसा करके कांग्रेस के नेता हर भारतीय की आस्था की बुनियाद को डगमगाने की कोशिश कर रहे हैं.‘

उन्होंने आगे कहा: ‘किसी भी देश के भीतर समस्याएं पैदा करना ‘राष्ट्रवाद विरोधी’ काम के समान है. ऐसे कृत्यों की सभी को निंदा करनी चाहिए.’

इस सारे विवाद के बीच दिप्रिंट इस कांग्रेस नेता के इतिहास पर एक नजर डाल रहा है

साल 2018 में सिद्धारमैया की जीत के लिए जोर लगाना

जारकीहोली पांच सगे भाइयों में से एक है, जिनमें से चार वर्तमान में सक्रिय राजनीति में हैं.

उनके दो भाई, रमेश और बालचंद्र जारकीहोली, भाजपा के सदस्य हैं, जबकि तीसरे भाई लखन जारकीहोली कर्नाटक विधान परिषद के एक निर्दलीय सदस्य हैं. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में तब यह सीट जीती थी जब उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने उनका चुनाव में खुलकर समर्थन किया था और जिससे भाजपा उम्मीदवार की हार हुई थी.

उनके पिता, आर लक्ष्मणराव जारकीहोली, एक स्थानीय स्तर के शराब ठेकेदार थे और बेलगावी जिले में कई पेट्रोल पंपों के मालिक भी थे. जारकीहोली परिवार अब चीनी उद्योग का मालिक है और साथ ही कई स्कूल और अन्य प्रतिष्ठान चलाता है.

जारकीहोली कर्नाटक के प्रभावशाली नायक/वाल्मीकि समुदाय से संबंधित हैं और इस परिवार के सदस्यों को अक्सर बेलगावी जिले में ‘साहूकार’ कहा जाता है.

पहले-पहल जद(एस) के साथ रहे सतीश जारकीहोली साल 2008 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, और तभी से पार्टी के भीतर के पायदानों के माध्यम से ऊपर उठे हैं और कम-से-कम तीन बार मंत्री के रूप अपनी सेवाएं दी हैं.

वे साल 2008 से ही एक विधायक के रूप में यामाकनमर्दी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहें है.

सतीश को व्यापक रूप से साल 2018 के विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा बादामी सीट से भाजपा के प्रत्याशी बी श्रीरामुलु को नजदीकी अंतर से हराने के पीछे का एक कारण माना जाता है. उन्होंने सिद्धारमैया के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए बादामी में काफी बड़े पैमाने पर काम किया था.

फिर भी, जारकीहोली को बड़े मंचों पर बहुत कम ही देखा जाता है और वे अक्सर लोगों के छोटे-छोटे समूहों के साथ अपना चुनाव अभियान चलाते हैं.

माना जाता है कि जारकीहोलियों और तत्कालीन मंत्री (और अब केपीसीसी अध्यक्ष) डी.के. शिवकुमार के बीच हुए विवाद से एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कर्नाटक गठबंधन सरकार के मुश्किलों की शुरुआत हुई, जो अंततः इसके पतन का कारण बनी.

सितंबर 2018 में, शिवकुमार पर बेलगावी प्राथमिक भूमि विकास बैंक के चुनावों में दखल देने और कांग्रेस विधायक लक्ष्मी हेब्बालकर के समर्थकों की मदद करने का आरोप लगाया गया था. हेब्बलकर रमेश जारकीहोली के पूर्व सहयोगी थे और जारकीहोली परिवार के साथ कटु मतभेद के बाद उससे अलग हो गए थे.

कनकपुरा और रामनगर जिलों में काफी अधिक प्रभाव रखने वाले शिवकुमार ने हेब्बलकर के जरिए अपनी पहुंच का विस्तार करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें जारकीहोलियों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा.

बेलागवी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए साल 2021 में हुए लोकसभा उपचुनावों के दौरान सतीश जारकीहोली भाजपा के मंगला अंगड़ी से केवल 5,000 मतों के नजदीकी अंतर से हार गए थे. भाजपा ने लगातार तीन बार इस सीट से लोकसभा चुनाव जीता हुआ है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवादः रामलाल खन्ना)

(संपादन: इन्द्रजीत)


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