नई दिल्ली: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर आम आदमी पार्टी (आप) के विस्तार की योजनाओं में अहम भूमिका निभा सकते हैं. अभी दोनों राज्यों में सत्ता की कमान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास है.
वैसे तो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के लिए यहां सियासी राह मुश्किलों भरी नजर आ रही है, फिर भी दोनों राज्यों में इसके लिए संभावनाएं बनी हुई हैं. इनमें से किसी भी एक राज्य में जीत आप को राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी के तौर पर आगे बढ़ा सकती है, औऱ इसके कांग्रेस की जगह लेने की संभावना बढ़ जाएगी जो पिछले आठ सालों में चुनावी हार के बाद से जमीनी स्तर पर काफी कमजोर पड़ चुकी है.
वास्तव में देखा जाए तो ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के तौर पर मान्यता हासिल करने के अपने बड़े लक्ष्य को साधने के लिए आप इन राज्यों में अच्छे प्रदर्शन की कोशिश में होगी.
दिल्ली और पंजाब में आप की सरकारें हैं, वहीं गोवा में भी एक ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा हासिल हो गया है, जहां उसे मार्च में दो विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी. चुनाव आयोग की तरफ से इस तरह की एक और मान्यता आप को एक ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के योग्य बनाएगी, और आप के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, इससे 2024 के आम चुनावों में पार्टी के लिए एक मंच तैयार हो जाएगा और राष्ट्रीय स्तर पर एक राजनेता के तौर पर केजरीवाल की छवि मजबूत होगी.
इसलिए, आप आगामी विधानसभा चुनावों में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कोशिश में लगी है और इन दोनों राज्यों में अपने सिपहसालारों को बड़ी जिम्मेदारियां सौंप रही है.
ये हैं आप के वो पांच प्रमुख लोग जो उसके चुनाव अभियान को धार देने में जुटे हैं.
राघव चड्ढा: ‘प्रमुख सहयोगी’
अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी चड्ढा ने पंजाब में पार्टी का अभियान आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके बाद 34 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट को इसी राज्य से राज्यसभा सदस्य बनाया गया. चड्ढा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सलाहकार समिति के भी प्रमुख हैं. आप नेता राघव चड्ढा 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट के समय से ही केजरीवाल के साथ जुड़े हैं.
गुजरात में चड्ढा चुनाव अभियान और मीडिया रणनीति बनाने के साथ-साथ टिकट बांटने की प्रक्रिया में भी शामिल हैं—ये ऐसे कार्य हैं जो पंजाब चुनाव के दौरान भी उनकी भूमिका का हिस्सा थे जहां आप ने मार्च में हुए चुनाव में 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई.
यह भी पढ़ें: कौन हैं गहलोत खेमे को चुनौती देने वाली कांग्रेस की जाट चेहरा दिव्या मदेरणा, जिसने की राजे की तारीफ
संदीप पाठक: ‘विस्तार के रणनीतिकार’
आईआईटी-दिल्ली में प्रोफेसर रह चुके पाठक भी केजरीवाल के एक अन्य निकट सहयोगी हैं जो गुजरात में चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे हैं और साथ ही हिमाचल प्रदेश की तैयारियों पर भी नजर रखते हैं. 2012 में गठन के समय से ही आप के साथ जुड़े पाठक मुख्यत: बैक-एंड रणनीतिकार हैं और केजरीवाल के साथ मिलकर काम करते रहे हैं. पाठक पंजाब से राज्यसभा सदस्य बनने के बाद सुर्खियों में आए, जो आप के कई पदाधिकारियों के मुताबिक, चुनाव से पहले राज्य में उनकी तरफ से किए गए कार्यों का पुरस्कार था.
आप की राष्ट्रव्यापी विस्तार योजना के प्रमुख रणनीतिकारों में शुमार 43 वर्षीय पाठक मुख्य: सर्वेक्षण के साथ-साथ गुजरात में पार्टी का जनाधार मजबूत करने का प्रभार संभाल रहे हैं. राज्यसभा सांसद पाठक हिमाचल प्रदेश के लिए प्रचार और मीडिया रणनीति बनाने में भी शामिल हैं, जहां 12 नवंबर को मतदान होना है.
गोपाल इटालिया: ‘गुजरात पॉइंट मैन’
राजनीति में आने से पहले इटालिया एक कांस्टेबल के तौर पर और बाद में गुजरात के राजस्व विभाग में एक क्लर्क के तौर पर काम करते थे. 2015 में उन्होंने हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पाटीदार आंदोलन में अपनी भूमिका की वजह से केजरीवाल का ध्यान आकृष्ट किया. इटालिया 2020 में आप में शामिल होने से पहले ही गुजरात में एक लोकप्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता बन चुके थे.
33 वर्षीय ये नेता मौजूदा समय में गुजरात में केजरीवाल का पॉइंट मैन बन चुका है. वह अब चंदा जुटाने, सार्वजनिक सभाओं के आयोजन करने और पार्टी का वालंटियर बेस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं. इटालिया ही वह व्यक्ति हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान तैयार की गई रणनीतियों को गुजरात में जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाए.
इटालिया के नेतृत्व में आप ने पिछले साल सूरत नगरपालिका चुनावों में 27 सीटें जीती थीं.
पिछले हफ्ते अपने दो वीडियो सामने आने के बाद से वह फिलहाल विवादों के घेरे में हैं. एक में उन्हें कथित तौर पर मोदी पर टिप्पणी करते सुना गया जिसे राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) प्रमुख ने ‘जेंडर-बायस, स्त्री विरोधी और निंदनीय’ करार दिया है. दूसरे वीडियो में इटालिया कथित तौर पर हिंदू महिलाओं से मंदिरों न जाने की अपील करते नजर आ रहे हैं और उन्हें ‘शोषण के स्थान’ करार देते हैं.
इसुदान गढ़वी: ‘सलाहकार’
वीटीवी न्यूज के संपादक के तौर पर एक चर्चित शो महामंथन की एंकरिंग करने वाले 40 वर्षीय गढ़वी गुजरात में टेलीविजन न्यूज का लोकप्रिय चेहरा रहे हैं. वह जून 2021 में आप में शामिल हुए और जल्द ही उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव नियुक्त किया गया और अंततः वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह बनाने में सफल रहे, जो 11 सदस्यीय राजनीतिक मामलों की समिति के बाद पार्टी की दूसरी सर्वोच्च निर्णायक संस्था है.
आप सूत्रों के मुताबिक, गुजरात चुनाव से पहले गढ़वी का आप में शामिल होना अधिकांश पार्टी पदाधिकारियों के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘जब गुजरात की बात आती है, तो गढ़वी पार्टी प्रमुख (केजरीवाल) के सबसे करीबी सलाहकार होते हैं. एक पत्रकार होने के नाते वह राज्य की नब्ज और उसकी राजनीति को जानते हैं.’
सुरजीत ठाकुर: ‘पहाड़ी राज्य में वन मैन आर्मी’
हालांकि, ठाकुर 2012 में आप में शामिल हुए थे, लेकिन वह कभी इसके शीर्ष नेतृत्व के नजदीकी दायरे में नहीं रहे. उनकी जिम्मेदारी तब बढ़ गई जब कुछ ही महीनों में लगातार दो झटकों के बाद आप के लिए हिमाचल प्रदेश में पार्टी को संभालना मुश्किल हो गया.
पार्टी को उस समय झटका लगा जब उसके प्रमुख नेता, जो करीब आठ वर्षों से आप से जुड़े थे और चुनावी तैयारियों में जुटे थे, अप्रैल में भाजपा में शामिल हो गए.
ऐसे में हिमाचल का पूरा अभियान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और केजरीवाल के करीबी सहयोगियों में से एक दुर्गेश पाठक के कंधों पर आ पड़ा. लेकिन जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने मई में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया और वे अब भी जेल में हैं.
जून में पाठक दिल्ली के राजेंद्र नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बन गए, जो सीट राघव चड्ढा के राज्यसभा में जाने के बाद खाली हो गई थी. इस सबसे पार्टी की हिमाचल इकाई एक तरह से नेता-विहीन हो गई.
आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश में कोई पॉइंट मैन चुनना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती था और कुछ समय के लिए राज्य का प्रभार पंजाब इकाई को देना पड़ा. इसी बीच, सुरजीत ठाकुर का नाम शॉर्टलिस्ट किया गया.’
ठाकुर सोशियोलॉजी में ग्रेजुएट हैं और होटल मैनेजमेंट की डिग्री रखते हैं. पिछले कुछ सालों से वह हिमाचल में किसानों के साथ काम कर रहे थे. आप नेता ने कहा, ‘पार्टी को किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जिसकी युवाओं के साथ-साथ ग्रामीण जनता के बीच भी अच्छी अपील हो. ठाकुर इस तरह की भूमिका में फिट बैठते हैं.’
हिमाचल प्रदेश में, ठाकुर ‘वन मैन आर्मी’ की तरह काम कर रहे हैं, ओर करीब तीन महीने से उन्होंने आप के चुनाव अभियान का मोर्चा संभाल रखा है. पिछले हफ्ते, पंजाब के मंत्री हरजोत सिंह बैंस को आप के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से राज्य प्रभारी नियुक्त किया गया है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘महाराष्ट्रियन कल्चर’ या हार का डर, अंधेरी (ईस्ट) उपचुनाव से पीछे क्यों हटी बीजेपी