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Tuesday, 15 October, 2024
होमचुनाव'बगावत कौन सी थी?' सचिन पायलट ने कहा- उन्होंने नहीं, असल 'विद्रोह' 2022 में गहलोत खेमे ने किया था

‘बगावत कौन सी थी?’ सचिन पायलट ने कहा- उन्होंने नहीं, असल ‘विद्रोह’ 2022 में गहलोत खेमे ने किया था

पिछले महीने, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि सीएम की कुर्सी 'उन्हें नहीं छोड़ेगी'. पायलट का कहना है कि निर्णय निर्वाचित कांग्रेस विधायकों और आलाकमान द्वारा लिया जाएगा.

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टोंक (राजस्थान) : इस विचार का खंडन करते हुए कि उन्होंने 2020 में राजस्थान की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के नाकाम प्रयास में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया था, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बताया कि वास्तविक “विद्रोह” पिछले सितंबर में हुआ था. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी संकेत दिया कि सीएम पद का सवाल खुला हुआ है.

पायलट पिछले सितंबर में उस समय का जिक्र कर रहे थे जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपने प्रति वफादार 90 विधायक – जिनके साथ पायलट का विवाद चल रहा है – राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के नाम के लिए पार्टी के आलाकमान द्वारा बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से दूर रहे थे. यह दो साल बाद हुआ था जब पायलट ने गहलोत के खिलाफ एक महीने तक चले “विद्रोह” का नेतृत्व किया था, जिसके कारण कांग्रेस ने उन्हें डिप्टी सीएम और राज्य पार्टी प्रमुख के पद से हटा दिया था.

गौरतलब है कि कथित तौर पर गहलोत और पायलट के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा मुख्यमंत्री पद रहा है.

Congress leader Sachin Pilot meeting people in his assembly constituency, Tonk | Suraj Singh Bisht | ThePrint
कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों से मुलाकात करते हुए, टोंक | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट.

पायलट ने राजस्थान में 200 सीटों वाली विधानसभा के लिए मतदान से एक पखवाड़े पहले अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक के दौरे के दौरान दिप्रिंट से कहा, “मैंने जो किया वह विद्रोह था, या 25 सितंबर (पिछले साल) जो हुआ वह विद्रोह था? इसे कौन परिभाषित करता है? क्या हमने जो किया उसके लिए एआईसीसी द्वारा हममें से किसी को नोटिस दिया गया?”

पायलट ने कहा कि 2020 में उनका कदम, सरकार में लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों से प्रेरित था.

“मैं मुद्दे उठाता रहा हूं. 2 साल तक हमारे मंत्रिमंडल में एक भी दलित मंत्री नहीं था. अब, हमारे पास चार दलित मंत्री हैं. हमारे बहुत सारे कार्यकर्ताओं को सरकार में कोई पद नहीं दिया गया. अब, कई लोगों को अध्यक्ष, निगम पद और अन्य संगठनों के प्रमुख (बनाए गए) के पद दिए गए हैं,” उन्होंने कहा, दूसरी तरफ, ‘पिछले साल क्या हुआ… लोगों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस दिए गए.’

इस सवाल पर कि अगर कांग्रेस राज्य में सत्ता बरकरार रखती है तो राज्य का सीएम कौन होगा, पायलट ने कहा कि यह तय करना पार्टी आलाकमान और उसके निर्वाचित विधायकों पर निर्भर है.

गहलोत ने पद छोड़ने की अनिच्छा का संकेत दिया है. सीएम ने कथित तौर पर 19 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “मैं कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन कुर्सी मुझे नहीं छोड़ रही है और यह मुझे नहीं छोड़ेगी.”

हालांकि, पायलट के मुताबिक, किसी का भी सीएम पद पर दावा नहीं है. “आपको जिम्मेदारियां दी गई हैं जिन्हें आप बहुत विनम्रता से स्वीकार करते हैं… यह बात इसको लेकर नहीं है कि मुझे (आलाकमान से) क्या आश्वासन मिला है. यह मेरे द्वारा दिये गये आश्वासन के बारे में है. मैंने खरगे जी, राहुल जी को आश्वासन दिया है कि हम आपके लिए राजस्थान में जीत दिलाएंगे. हम मप्र और छत्तीसगढ़ में काम करेंगे. तो यह कुर्सी पर कब्ज़ा करने या कुर्सी के मुझे छोड़ने या न छोड़ने से नहीं जुड़ा है. यह सरकार बनाने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करने के बारे में है.” पायलट ने दिप्रिंट को बताया.

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, कुल मिलाकर पार्टी ही चुनाव जीतती है.

“आज हम बहुमत पाने के लिए लड़ रहे हैं और एक बार जब हम जनादेश हासिल कर लेंगे, तो विधायक बैठेंगे और एक प्रस्ताव पारित करेंगे. पिछली बार की तरह, वे दिल्ली में नेतृत्व को यह तय करने के लिए अधिकृत करेंगे कि कौन क्या पद लेगा… यह कभी भी तय नहीं है कि कौन क्या करेगा,” उन्होंने कहा कि राज्य की ”आने-जाने” वाली राजनीति का रास्ता – यानी, एक बार भाजपा सरकार को चुनना और अगली बार कांग्रेस को – कांग्रेस पार्टी बहुमत के साथ इस धारणा को तोड़ देगी.


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‘1-2 समुदाय आपको चुनाव जिता या हरा नहीं सकते’

पायलट कांग्रेस के सबसे प्रमुख गुर्जर नेताओं में से एक हैं. कुल मिलाकर, राजस्थान के मतदाताओं में गुर्जरों की हिस्सेदारी लगभग 7 प्रतिशत है, जिनका 40 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव है. 2018 में, कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं और राजस्थान में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी – एक ऐसी जीत जिसके लिए राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने सफलतापूर्वक गुर्जर वोटों को कांग्रेस के पक्ष में मोड़ने का श्रेय पायलट को दिया.

हालांकि, तब से, जाति समूह, जो कि मानता था कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, कथित तौर पर कांग्रेस से निराश और परेशान है. लेकिन पायलट इसे “जातिगत कलकुलेशन पर अधिक जोर देने” के रूप में देखते हैं.

Congress leader Sachin Pilot interacting with people in Tonk | Suraj Singh Bisht | ThePrint
कांग्रेस नेता सचिन पायलट टोंक के लोगों से बातचीत करते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

पायलट ने कहा, “राजस्थान में 8 करोड़ लोग हैं. यहां हर समुदाय, हर धर्म के लोग हैं. कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है जो सभी को एक साथ लेकर चलती है… मुझे नहीं लगता कि एक समुदाय या दो समुदाय आपको चुनाव जिता या हरा सकते हैं. 2013 में हम 200 में से 21 सीटों पर सिमट गए थे. 21 से 100 पर आना एक कठिन प्रयास था.”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस एकजुट होकर काम कर रही है. “हम एक साथ काम कर रहे हैं और भाजपा कितना भी प्रचार कर ले, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लोग परफॉर्मेंस को देख रहे हैं और भाजपा की केंद्र सरकार के प्रदर्शन से तुलना कर रहे हैं. भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं में मतभेद हैं और वहीं कांग्रेस पार्टी ने एकजुट नजरिया अपनाया है. ये बहुत निर्णायक कारण हैं कि लोग भाजपा के बजाय कांग्रेस को क्यों चुनेंगे.”

इस साल की शुरुआत में, पायलट ने तीन चीजों की मांग करते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था – पेपर लीक पर एक सख्त कानून, राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग और पुनर्गठित किया जाना, और पिछली भाजपा की नेतृत्व वाली वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की गहन जांच करना.

जुलाई में, राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान परीक्षा (भर्ती में अनुचित तरीकों की रोकथाम के लिए उपाय) (संशोधन) अधिनियम, 2023 पारित किया- जो सरकारी भर्ती परीक्षा पेपर लीक में शामिल लोगों के लिए सजा को 10 साल की जेल से बढ़ाकर आजीवन कारावास तक करता है.

पायलट के मुताबिक उनकी तीनों मांगें काफी हद तक पूरी हो चुकी हैं.

उन्होंने कहा, “मैंने मुद्दे उठाए क्योंकि मुझे लगता है कि पार्टी के लिए उन मुद्दों से जुड़ा होना महत्वपूर्ण है जो लोगों के लिए मायने रखते हैं. यह पार्टियां ही हैं जो सरकार बनाती हैं. सरकारें पार्टियां नहीं बनातीं. जब मैं विपक्ष में था तो हमने कुछ वादे किए थे और मुझे लगता है कि पेपर लीक आदि के मुद्दे वास्तव में राजस्थान के लोगों से जुड़े हैं.”

पायलट ने कहा, दिल्ली नेतृत्व ने पेपर लीक पर कानून बनाने की उनकी मांग पर संज्ञान लिया और राजस्थान सरकार को कानून बनाने का निर्देश दिया, जिससे पेपर लीक में शामिल लोगों को पकड़ा जा सके. पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, “अब सज़ा को बढ़ाकर आजीवन कारावास तक कर दिया गया है. ऐसा करने वाला यह भारत का एकमात्र राज्य है.”

अपनी दो अन्य मांगों को लेकर पायलट ने कहा कि चुनाव घोषित किए जाने के बाद से “समय की कमी” के कारण आरपीएससी में सुधार लागू नहीं किए जा सके. उन्होंने कहा, लेकिन राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर ”न्यायिक क्षेत्र में कुछ कदम” भी उठाए गए.

(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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