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Friday, 26 April, 2024
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कहां हैं आरएसएस प्रचारक राम माधव, जो एक समय पीएम मोदी के मैन फ्राइडे हुआ करते थे

भाजपा महासचिव अब पीएम के विदेशी दौरों को नहीं संभालते और पार्टी ने पूर्वोत्तर में हिमंता बिस्वा सरमा व जम्मू-कश्मीर में अविनाश राय खन्ना को लगा रखा है.

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को जब ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ थे तो उस वक्त पीएम मोदी के विदेशी दौरों के पहले ग्राउंड तैयार करने वाले प्रचारक और बीजेपी महासचिव राम माधव बेंगलुरू में बुद्धिजीवियों को धारा 370 खत्म किए जाने के महत्व को समझा रहे थे.

कैमरों ने भीड़ में विजय चौथाईवाला को खोजा जो बीजेपी की विदेश विभाग सेल के प्रमुख हैं. जो कि माधव के साथ मोदी के पहले अप्रवासियों तक पहुंच में अहम भूमिका निभाते थे. यहां तक की चीन संबंधों के विशेषज्ञ माने जाने वाले राम माधव उस 11 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल से भी नदारद थे जो बीजेपी महासचिव अरुण सिंह के नेतृत्व में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले कम्युनिश्ट पार्टी से संबंध प्रगाढ़ करने गया था. इस प्रतिनिधिमंडल में महासचिव अरुण सिंह के साथ विजय चौथाईवाला शामिल थे.

इससे पहले इसी महीने मंगोलिया में 7-9 सितंबर को ग्लोबल हिन्दू बौद्ध सम्मेलन हुआ जिसके आयोजन में विवेकानंद फाउंडेशन और विनय सहस्त्रबुद्धे की आईसीसीआर शामिल थी से भी राम माधव नदारद थे. प्रधानमंत्री कार्यालय के कहने पर भारत का प्रतिनिधित्व विनय सहस्त्रबुद्धे और लद्दाख के युवा सांसद जम्यांग सेरिंग नामग्याल ने किया.


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राम माधव के पास उत्तर पूर्व के राज्य और कश्मीर की ज़िम्मेदारी है. पर उत्तर पूर्व में मुख्यमंत्रियों और सरकार से समन्वय का काम देखने के लिए अमित शाह ने असम के ताकतवर मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा को भी लगा रखा है और कश्मीर मामलों को अब खुद बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह देखते हैं और प्रभारी के रूप में उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना साथ में हैं.

बीजेपी के एक नेता नाम न छापने की शर्त पर बतातें हैं कि शाह ने धारा 370 खत्म करने के फैसले की जानकारी राम माधव को पहले नहीं दी गई थी, राम माधव जम्मू कश्मीर बीजेपी नेताओं की बैठक वाले दिन 28 जुलाई को चुनाव आयोग से कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे थे.

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पीएम के गुडबुक्स में शामिल राम माधव सिर्फ विदेश मंत्रालय से बाहर नहीं हुए, बीजेपी की राजनीति में भी उनकी जगह भूपेन्द्र यादव और अनिल जैन ने ले ली. आज की तारीख में शाह के विश्वस्त सिपाह सलाहकार में महाराष्ट्र के प्रभारी भूपेन्द्र यादव और छत्तीसगढ़, हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन शामिल हैं.

संसद से लेकर अमित शाह के रोड शो में जो दो व्यक्ति हमेशा अमित शाह के नज़दीक दिखते हैं वो महासचिव भूपेन्द्र यादव और अनिल जैन हैं. जेपी नड्डा के पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद राम माधव सत्ता की सीढ़ी से और नीचे खिसक गए हैं. बडे़ राज्यों की ज़िम्मेदारी भूपेन्द्र यादव, अनिल जैन, कैलाश विजयवर्गीय, मुरलीधर राव, उपाध्यक्ष ओम माथुर, महासचिव संतोष पांडे के पास है. तो सवाल यह है कि आरएसएस प्रचारक और मोदी के एक समय में मैन फ्राइडे रहे राम माधव का ग्राफ़ गिर क्यों रहा है?

शाह को गुजरात के ज़माने से जानने वाले एक उपाध्यक्ष के मुताबिक शाह बैकरूम में रहकर नतीजा देने वाले नेताओं को ज्यादा पसंद करते हैं, इसलिए उनकी टीम में शामिल ज्यादातर महासचिव मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं. राम माधव इसके उलट अपने राजनयिकों से संबंधों को दिखाने में परहेज़ नहीं करते थे जो मोदी सरकार के दो प्रभावशाली मंत्रियों को बिल्कुल पसंद नहीं था. पार्टी के एक नेता के मुताबिक खुद शाह ने एक मौके पर अहसास किया कि माधव पीएम की ब्रैंडिंग के साथ अपने व्यक्तित्व निर्माण पर भी ध्यान दे रहे हैं और विदेश मंत्री के रूप में अपनी पोजिशनिंग कर रहें हैं.


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शाह और मोदी की केमेस्ट्री जानने वाले इस नेता के मुताबिक शाह-मोदी और अपने बीच की केमेस्ट्री में किसी तीसरे के घुसने की संभावना को कभी एक सीमा से आगे नहीं जाने देते, उन्हें पता होता है लगाम कहां लगानी है. राम माधव एक समय में पीएम के विदेशी दौरों की तैयारी, राजनयिकों से मिलने, कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनवाने से लेकर त्रिपुरा, नागालैंड में सरकार बनवाने में हर जगह थे. शाह ने माधव को पहला झटका मार्च में दिया जब 18 राज्यसभा की सीटों में उनसे जूनियर प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा, अनिल जैन मीडिया प्रमुख, अनिल बलूनी को राज्यसभा टिकट दे दिया. महासचिव अरुण सिंह और राम माधव बाहर रह गए.

दूसरा मौका नवंबर 2018 के कैबिनेट में फेरबदल के समय आया जब राम माधव के कैबिनेट मंत्री के रूप में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चाएं दिल्ली के पावर कॉरिडोर में आग की तरह फैली थीं पर माधव का नंबर तब भी नहीं आया. माधव तब किसी अच्छे मंत्रालय की उम्मीद कर रहे थे हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वो प्रचारक हैं उन्हें संगठन में काम करने के लिए संघ ने भेजा है पर सरकार और पार्टी में उनके बढ़ते कद से चिंतिंत कुछ मंत्रियों ने शाह के कान भरे हों इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

रही सही कसर राम माधव ने लोकसभा चुनाव से पहले ब्लूमवर्ग को दिए गए इंटरव्यू में पूरा कर दिया जब शाह बीजेपी के 300 सीटों की बात कर रहे थे. राम माधव बीजेपी के पूर्ण बहुमत से कुछ कम पर अटक जाने की बात कर रहे थे. नागपुर के चहेते मंत्री नितिन गडकरी को सार्वजनिक रूप से माधव के आकलन का खंडन करना पड़ा.


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संघ के दबाव के बाद सुब्रमण्यम स्वामी को अमित शाह ने राज्यसभा का टिकट तो दे दिया पर संघ के दबाव के बाद भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया. इसी तरह संघ के कहने और मोदी से अच्छी केमेस्ट्री के कारण शाह ने राम माधव को संगठन में महासचिव बनाया पर एक सीमा के बाद ब्रेक लगा दी. ऐसा नहीं है कि राम माधव संगठन में हाशिये पर चले गए हैं पर अब वो उगते सूरज नहीं हैं जिसे सब नमस्कार करते हैं. राम माधव की राजनीतिक पारी अभी खत्म नहीं हुई है लेकिन समय बताएगा कि संघ से बीजेपी में आए राम माधव अपने दूसरे प्रचारक कुशाभाऊ ठाकरे की तरह बीजेपी अध्यक्ष तक पहुंचने में कामयाब होते हैं या मनोहरलाल खट्टर की तरह सत्ता की राजनीति में शीर्ष पर पहुंचते हैं या प्रचारक गोविन्दाचार्य, संजय जोशी, रामलाल की राह पकड़ते हैं?

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