कोलकाता: दार्जिलिंग की पहाड़ियां आजकल सियासी पारे से तप रही हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ तक—कई वीआईपी इस महीने पहाड़ी क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे.
हालांकि डोभाल की यात्रा ‘व्यक्तिगत’ बताई गई है, वहीं दो मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग कारण बताए हैं. जो बुधवार शाम धनखड़ की मेजबानी वाली एक चाय पार्टी में मिले थे. ममता ने जहां यह कहा कि वह लोगों का दिल जीतने के लिए वहां पहुंची, वहीं सरमा ने कहा कि उन्हें राज्यपाल ने दार्जिलिंग में ‘जीवन की समानता और विशिष्टता का अनुभव’ करने के लिए आमंत्रित किया था. उनकी यात्रा गोरखा प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अनीत थापा के शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर हुई.
डोभाल और उनका परिवार 2 जुलाई को उत्तर बंगाल के बागडोगरा एयरपोर्ट पर पहुंचा, जिसके स्वागत के लिए भाजपा के दार्जिलिंग के विधायक नीरज जिम्बा एयरपोर्ट पर मौजूद थे. एनएसए और उनका परिवार कुर्सेओंग के पास मकाइबारी चाय बागान में पांच दिनों तक रहा. 4 जुलाई को डोभाल और उनकी पत्नी ने एक प्राइमरी स्कूल का दौरा किया और छात्रों के साथ कुछ समय बिताया. एनएसए की आधिकारिक व्यस्तताओं के बारे में तो कुछ पता नहीं है, लेकिन उनका यह दौरा जीटीए चुनाव परिणामों के तीन दिन बाद और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में राजनीतिक रैली के दो महीने बाद हुआ है.
जिम्बा ने दिप्रिंट को बताया, ‘डोभाल निजी यात्रा पर आए थे. कोई बातचीत नहीं हुई, न राजनीतिक और न ही किसी अन्य तरह की. वह अपने परिवार के साथ समय बिता रहे थे.’
2021 में दार्जिलिंग में एक राजनीतिक रैली के दौरान जिम्बा ने दावा किया था कि डोभाल ने 2017 में गोरखालैंड आंदोलन के दौरान गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के अध्यक्ष मान घीसिंग के साथ दो बैठकें की थीं.
हालांकि, दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने दावा किया कि डोभाल की यात्रा राष्ट्रीय महत्व की थी. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘दार्जिलिंग एक संवेदनशील चिकन नेक क्षेत्र में स्थित है. इसलिए यहां के लोगों के कल्याण के बारे में सोचने में भारत सरकार की स्वाभाविक रुचि है. मेरा मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस क्षेत्र में समय नहीं बिता रहे होते यदि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं होता.’
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तीन महीने में ममता का दूसरा दौरा
11 जुलाई को दार्जिलिंग जाते समय रास्ते में ममता ने भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) प्रमुख और जीटीए के नवनिर्वाचित मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनीत थापा के साथ अपने वाहन से बाहर निकल विजय का चिन्ह दिखाया. शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई ममता ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव के साथ विकास परियोजनाओं पर चर्चा के लिए थापा को कोलकाता बुलाया था. थापा गत 6 जुलाई को ममता को जीटीए शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करने के लिए राज्य सचिवालय नबन्ना गए थे. उन्होंने कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले अभिषेक बनर्जी से उनके कार्यालय में मुलाकात भी की थी.
जीटीए चुनाव करीब एक दशक बाद 26 जून को सम्पन्न हुए थे. यह एक हिंसा मुक्त चुनाव था और मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह में थापा ने हमरो पार्टी के विपक्षी नेता अजॉय एडवर्ड्स के साथ मंच साझा किया.
इससे पहले, 2010 में अखिल भारतीय गोरखा लीग के अध्यक्ष मदन तमांग की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी, जब वह एक राजनीतिक रैली को संबोधित करने जा रहे थे. उस समय उत्तरी बंगाल की इन पहाड़ियों पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) प्रमुख बिमल गुरुंग का राज था. 2017 में गोरखालैंड आंदोलन को छोड़कर यह क्षेत्र आमतौर पर शांतिपूर्ण ही रहा है.
ममता ने मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंच पर कहा कि उन्होंने समारोह के लिए अपने ‘मित्रों’ को आमंत्रित किया है. उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि वह सत्ता पर कब्जा करने के लिए नहीं बल्कि दिल जीतने के लिए दार्जिलिंग आईं हैं. यह पिछले तीन महीने में दार्जिलिंग की उनकी दूसरी यात्रा थी.
टीएमसी ने दार्जिलिंग लोकसभा सीट कभी नहीं जीती है, जिसमें सात विधानसभा क्षेत्र—माटीगारा-नक्सलबाड़ी, सिलीगुड़ी, चोपड़ा, फंसीदेवा (मैदान), दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कुर्सेओंग (पहाड़ी)—शामिल हैं. बीजेपी 2009 से यह सीट जीतती आ रही है.
ममता ने शपथ ग्रहण समारोह में कहा, ‘हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पहाड़ियों में शांति हो, मैं कोई टकराव नहीं चाहती. हम यहां पहाड़ियों पर कब्जा करने नहीं बल्कि लोगों का दिल जीतने आएंगे. अगर पहाड़ शांत हैं, तो दार्जिलिंग की आर्थिक प्रगति बढ़ेगी.’ उन्होंने एक इंडस्ट्री हब सहित कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की, जिसे पश्चिम बंगाल सरकार युवाओं के रोजगार के लिए एक आईटी क्षेत्र के साथ उत्तर बंगाल की पहाड़ियों में स्थापित करने की योजना बना रही है.
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दिप्रिंट को बताया, ‘आप देख सकते हैं कि दार्जिलिंग कितना शांतिपूर्ण है. लेकिन भाजपा इसे समझ नहीं सकती. हम पहाड़ों पर सभी का स्वागत करते हैं, चाहे वह एनएसए अजीत डोभाल हों या भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री. बॉलीवुड भी दार्जिलिंग को चुन रहा है. करीना कपूर खान ने यहां एक फिल्म की शूटिंग की है.’
इस बीच, राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी 13 जुलाई को जीटीए अध्यक्ष अनीत थापा को शपथ दिलाने दार्जिलिंग पहुंचे और शाम को उन्होंने अपने मेहमानों को चाय पर बुलाकर सबको चौंका दिया. असम और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री राजभवन पहुंचे. सरमा ने एक ट्वीट कर जानकारी दी, ‘पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल जगदीप धनखड़ के निमंत्रण पर एक दिन के लिए दार्जिलिंग का दौरा. चाय के लिए ख्यात भूमि दार्जिलिंग में जीवन की समानता और विशिष्टता का अनुभव करने को पूरी तरह तैयार हूं.’
वहीं, ममता ने बाद में राजभवन के बाहर मीडिया से बातचीत की. यह पूछे जाने पर कि क्या आमने-सामने इस बैठक के दौरान एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के नाम पर कोई बात हुई, ममता ने कहा, ‘कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. जब हमारी पार्टियां अलग हैं तो हम राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कैसे कुछ बोल सकते थे?’
उन्होंने कहा, ‘कम्युनिकेशन चैनल को खुला रखना अहम है. बंगाल में तमाम असमिया हैं और असम में तमाम बंगाली. इसलिए अगर कभी जरूरत पड़े तो हमें फोन पर बातचीत करने की स्थिति में होना चाहिए. इसलिए यह चायपान के साथ एक शिष्टाचार भेंट थी.’
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राजनीतिक निहितार्थ
तृणमूल कांग्रेस सहयोगी बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाली जीजेएम ने जीटीए चुनावों का विरोध किया था. गुरुंग भूख हड़ताल पर भी बैठे लेकिन कोई राजनीतिक लहर पैदा करने में असफल रहे. कहा जा रहा है कि गुरुंग की लोकप्रियता घटने के साथ तृणमूल कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले नए खिलाड़ियों—थापा और एडवर्ड्स—के साथ नजदीकी बढ़ाने के लिए उत्सुक है.
भाजपा और जीएनएलएफ सहित उसके सहयोगी दलों ने भी जीटीए चुनावों का बहिष्कार किया था.
एक साल से भी कम समय पहले बनी बीजीपीएम ने 45 सीटों में से 26 सीटें जीतकर और कुल वोट शेयर का 45 प्रतिशत हिस्सा हासिल करके जीटीए चुनाव जीता. जीटीए चुनाव में पहली बार तृणमूल कांग्रेस ने पांच फीसदी वोट शेयर के साथ पांच सीटें जीती हैं. हमरो पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने क्रमशः 23 और 27 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया.
वहीं, बीजेपी सब कुछ चुपचाप नहीं देख रही. डोभाल और सरमा की यात्राओं के बीच पार्टी और उसकी सहयोगी जीएनएलएफ भी दार्जिलिंग में सक्रिय है. भाजपा सांसद राजू बिस्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘अनित थापा 2017 से और शायद उससे पहले से ही टीएमसी के लिए काम कर रहे हैं. हमने तबसे दो चुनाव लड़े हैं—2019 का लोकसभा चुनाव और 2021 का विधानसभा चुनाव. इसमें टीएमसी न केवल हारी, बल्कि उसका सूपड़ा भी साफ हो गया.
उन्होंने कहा, ‘टीएमसी दार्जिलिंग में एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी क्योंकि लोग इस क्षेत्र और यहां के निवासियों के प्रति भेदभावपूर्ण और दोहरे रवैये से वाकिफ हैं. एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी भाजपा को ही दार्जिलिंग क्षेत्र के लोगों के कल्याण की चिंता है.’
हालांकि, टीएमसी ने दावा किया कि ममता हमेशा दार्जिलिंग पर ध्यान केंद्रित करती रही है. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दिप्रिंट को बताया, ‘ममता बनर्जी पहाड़ियों की सत्ता पर दावा नहीं करना चाहतीं. टीएमसी सत्ता पाने के लिए अन्य पहाड़ी दलों के साथ कोई मुकाबला नहीं करना चाहती. वह यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि भावनात्मक रूप से गोरखाओं से जुड़ी स्थानीय पार्टियां शासन करें, और तृणमूल इसमें सहयोग करेगी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘ममता बनर्जी का एकमात्र उद्देश्य पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है. रेल मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दिनों से ही वह इस पर फोकस कर रही हैं. जब हिंसा के कारण कोई नेता दार्जिलिंग नहीं जा सकता था तब भी ममता वहां जाती थी. उन्होंने दार्जिलिंग में लोकतंत्र बहाल किया है और आज यह साबित हो गया है.’
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