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Friday, 22 November, 2024
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कांग्रेस नेता सिंधिया ने बदला ट्विटर प्रोफाइल, मध्य प्रदेश की राजनीति में क्या हैं इसके मायने

कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के खिालाफ हमलावर हैं. यह राज्य कांग्रेस में उभर रहे संकट का संकेत है.

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नई दिल्ली : मध्य प्रदेश से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों अपनी ट्विटर की बायोडेटा बदलने को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने अपने बायो में खुद को लोकसेवक और क्रिकेट प्रेमी लिखा है. ट्विटर से उन्होंने कांग्रेस पार्टी का नाम भी हटा लिया है. वहीं राज्य में सिंधिया समर्थक मंत्री इमरती देवी ने भी अपने प्रोफाइल से मंत्री पद हटा दिया है.

प्रदेश की राजनीति में सिंधिया के अचानक से ट्विटर प्रोफाइल बदलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. कांग्रेस महासचिव लगातार मध्य प्रदेश में अपनी ही सरकार के खिालाफ हमलावर हैं. ऐसे में राज्य की राजनीति में सिंधिया को लेकर तमाम पर प्रकार के सवाल उठने लग गए हैं.

इस सब मामले में दिप्रिंट से बातचीत में सिंधिया ने कहा, ‘बेवजह इस मामले को तूल दिया जा रहा है. इसे मैंने एक माह पहले ही बदल​ दिया था. क्योंकि मुझसे कुछ लोगों ने कहा था कि यह प्रोफाइल बहुत लंबी है. यह आज किसी ने नोटिस किया है. मैं दिल्ली और मध्य प्रदेश दोनों जगह पार्टी के लिए काम रहा हूं.’

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ज्योतिरादित्य सिंधिया का पुराना ट्विटर प्रोफाइल.

गौरतलब है कि ​इससे पहले सिंधिया ने अपने बायों में गुना से पूर्व सांसद 2002—2019, पूर्व ऊर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पूर्व राज्य मंत्री कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कम्युनिकेशन, आईटी लिखा था.

बयानों से कमलनाथ सरकार को ले रहे निशाने पर

राज्य की राजनीति में कांग्रेस नेता सिंधिया की नाराजगी जगजाहिर है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत में सिंधिया ने अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद से वे खुद को राज्य के सीएम पद का दावेदार मान रहे थे. सत्ता आने के बाद यह भी चर्चा थी कि वह सीएम बनेंगे या राजस्थान की तर्ज पर ही कांग्रेस मध्य प्रदेश में उनको ​उपमुख्यमंत्री बना सकती है. लेकिन बाद में कांग्रेस हाईकमान ने उनको नजरंदाज करते हुए कमलनाथ को सीएम बना दिया. इसके बाद से ही उनके समर्थक खेमे में भी नाराजगी बनी हुई है. वह बाद में अपनी परंपरागत लोकसभा सीट गुना— शिवपुरी से हार गए. इसके बाद से ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने की मांग उनके समर्थकों द्वारा की जा रही है लेकिन अभी तक पार्टी हाईकमान ने इस मामले को अटका रखा है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन के एक विश्वस्त सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘मध्य प्रदेश की राजनीति में कई ध्रुव काम करते हैं. पार्टी राज्य में एक ऐसे चेहरे की तलाश में है जो सभी को स्वीकार्य हो. इसलिए इसे तय करने में हाईकमान को समय लग रहा है. पार्टी का यह भी मनना है कि राज्य में 15 वर्ष के वनवास के बाद सत्ता हासिल हुई है. अगर प्रदेश अध्यक्ष के मामले में सभी गुटों को नहीं साधा गया तो और उठापटक होगी जिससे पार्टी संकट में आ जाएगी.’

सूत्र के मुताबिक,’ पार्टी में किसी भी प्रकार से कोई फूट न पड़े इसलिए प्रदेश अध्यक्ष बनाने में भी देरी हो रही है. हाईकमान चाहता है कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बने वह सरकार के किसी भी प्रकार के कामकाज में दखलंदाजी न करे. सिंधिया भी प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार हैं लेकिन यह निर्णय दिल्ली से होना है.’

दिग्विजय सिंह की लगातार है सक्रियता

सांसदी जाने के बाद ही सिंधिया जमीन पर काम करते हुए नजर आने लगे हैं. हार के बाद वे कई सभाओं में कार्यकर्ताओं से कहते नजर आते हैं कि व कोई महाराज नहीं हैं. वह राजनीति इसलिए करते हैं कि वह जनसेवा करना चाहते हैं. उन्होंने इस बात को स्वीकार भी किया है कि जनता से कट गए थे. इसके बाद से केवल अपने क्षेत्र में ही सीमित हैं. एक कारण यह भी है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की सक्रियता बढ़ गई है. कई बार वे सीएम के साथ कैबिनेट बैठक में भी नजर आए थे जिसके लेकर भी राज्य में हंगामा मचा था. हाल ही में एक मंत्री उमंग सिंगार ने भी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाया था कि वे पर्दे के पीछे से सरकार के कामों में दखलंदाजी करते हैं. इस मामले को लेकर भी विवाद उठा था. सिंधिया ने उस समय भी सिंगार का समर्थन किया था.

किसानों की कर्जमाफी पर नाराजगी, धारा 370 हटाने का किया था समर्थन

वहीं इससे पहले कांग्रेस नेता सिंधिया ने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर केंद्र सरकार के कदम का स्वागत किया था. इसको लेकर भी राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ था. इसके बाद सिंधिया के आए दिन ऐसे बयान सामने आए थे जिससे लग रहा था कि उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है. साथ ही सिंधिया अपनी ही पार्टी से मध्य प्रदेश के किसनों की कर्जमाफी को लेकर नाराज चल रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए यह तक कह दिया था कि हमने 2 लाख रुपए तक के किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन उनका केवल 50 हजार रुपए ही कर्ज माफ हुआ है. इसके अलावा उन्होंने बाढ़ राहत राशि के लिए सर्वे और बिजली कटौती, अफसरों के आए दिन हो रहे तबादले को लेकर भी कमलनाथ सरकार को निशाने पर लिया था.

समर्थकों को सरकार में नहीं मिल रही प्राथमिकता

हाल ही में कमलनाथ सरकार के कई मंत्रियों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इनमें से अधिकांश सिंधिया गुट के ही थे. इतना ही नहीं कैबिनेट बैठक में सीएम कमलनाथ के सामने ही दो मंत्रियों ने हंगामा किया था. इसके बाद से ही राज्य सरकार दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है.

जानकारी के अनुसार, सीएम ने मंत्रियों के हंगामे पर यह तक कह दिया था कि मुझे पता है यह ​सब आप किसके इशारे पर कर रहे हैं. वहीं कई बार सिंधिया समर्थक मंत्री भी आरोप लगाते हैं कि प्रदेश के अफसर उनकी बातों को तवज्जों नहीं देते हैं. सिंधिया के साथ अपना प्रोफाइल भी बदलने वाली मंत्री इमरती देवी ने उस दौरान यह तक कह दिया था कि हमारे विभाग के अफसरों का तबादला हो जाता है और हमें भनक तक नहीं लगती है.

मामले में कांग्रेस मध्य प्रदेश के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने इसको लेकर भाजपाइयों को निशाने पर लिया है. उन्होंने भाजपा के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की बदली हुई प्रोफाइल को शेयर करते हुए दिखाया है कि उन्होंने भी अपनी ट्विटर प्रोफाइल बदली थी और ‘दि कॉमन मैन ऑफ एमपी’ लिखा था.

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