scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमराजनीतिचुनावी लिस्ट को लेकर पार्टी में बागियों का गुस्सा शांत करने के लिए जेपी नड्डा ने राजस्थान दौरे पर क्या कहा

चुनावी लिस्ट को लेकर पार्टी में बागियों का गुस्सा शांत करने के लिए जेपी नड्डा ने राजस्थान दौरे पर क्या कहा

भाजपा प्रमुख जे.पी.नड्डा इस सप्ताह राजस्थान में थे और उन्होंने इस चिंता के बीच स्थानीय नेताओं के साथ लगातार बैठकें कीं कि पहली सूची से पैदा हुआ असंतोष दूसरी सूची के साथ और गहरा हो सकता है.

Text Size:

नई दिल्ली: “पार्टी में महत्वाकांक्षा स्वाभाविक है लेकिन एक निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक ही व्यक्ति को टिकट मिलेगा.” आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची से पैदा हुई नाराजगी को कम करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की राजस्थान इकाई को यह संदेश दिया है.

इस सप्ताह नड्डा राजस्थान में थे और उन्होंने दूसरी सूची से असंतोष गहराने की चिंता के बीच पार्टी सदस्यों को शांत करने के लिए क्षेत्रीय भाजपा नेताओं के साथ बैक-टू-बैक बैठकें कीं.

भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं से कहा कि उम्मीदवारों की लिस्ट में नाम न होने की वजह से उन्हें निराश नहीं होना चाहिए. उन्होंने वादा किया कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद अवसर आएंगे.

उन्होंने पार्टी नेताओं को राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ गति बनाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के साथ अधिक जुड़ाव का नुस्खा भी दिया.

राजस्थान के भाजपा प्रभारी नड्डा ने तीन दिनों में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की छह बैठकों को संबोधित किया – पहले उदयपुर और जोधपुर में, फिर कोटा, बूंदी और झालावाड़-बारां क्षेत्रों के साथ-साथ अजमेर में.

उन्होंने मुख्य रूप से नेताओं से भाजपा की जीत सुनिश्चित करने और हर बूथ पर बढ़त सुनिश्चित करने के लिए अगले 30 दिनों के लिए अपने मतभेद भूलने को कहा.

इस उद्देश्य से, उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को छोटे समूहों में सामुदायिक बस्तियों या गांवों का दौरा करना चाहिए, न कि काफिले या बड़े दल के हिस्से के रूप में.

बैठकों की जानकारी रखने वाले भाजपा नेताओं ने कहा कि नेताओं का व्यवहार उस मित्र जैसा होना चाहिए जो आपसे मिलने आया है.

ऐसा समझा जाता है कि उन्होंने कहा कि लोगों की चिंताओं को सुनने पर ध्यान होना चाहिए, न कि भाषण देने पर, क्योंकि “इससे मतदाताओं के साथ एक स्थायी बंधन बनाने में मदद मिलेगी”.

भाजपा कोटा जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी ने कहा, “पार्टी अध्यक्ष का संदेश बूथ जीतना था क्योंकि यही चुनाव जीतने की कुंजी है.”

उन्होंने कहा, “उनका जोर बूथ कार्यकर्ताओं के साथ लगातार जुड़ने और समुदाय के साथ बातचीत करने पर था, लेकिन एक नेता की तरह नहीं – एक दोस्त की तरह – ताकि लोगों के बीच अधिक स्थायी प्रभाव बनाया जा सके.” उन्होंने चुनाव के दौरान अधिक समर्थन पाने के लिए कई सुझाव दिए हैं.

राज्य में 25 नवंबर को मतदान होना है.


यह भी पढ़ेंः राजस्थान चुनाव में टिकट न पाने वाले BJP नेताओं में बगावत, सीनियर नेता गुस्से को शांत करने में जुटे 


‘जिम, फुटबॉल मैदान और दलित मंदिर जाएं’

झालावाड़-बारां में बोलते हुए, नड्डा ने पार्टी नेताओं से एससी/एसटी पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.

दलित बस्तियों का दौरा करते समय, नेताओं को निवासियों के घरों में भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्हें कई लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो सकता है, नड्डा ने कथित तौर पर कहा, इसके बजाय वे उनके साथ पानी पी सकते हैं.

उन्होंने कहा कि नेताओं को बहुत अधिक समर्थकों के बिना समुदाय के धार्मिक स्थल पर जाने की प्रथा भी बनानी चाहिए.

नड्डा ने आगे कहा कि युवा वर्ग को “संवेदनशील” बनाने और उन्हें भाजपा की नीतियों के प्रति आकर्षित करने के लिए, नेताओं को खेल और अन्य गतिविधियों के माध्यम से उनके साथ जुड़ने का प्रयास करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी नेताओं को फुटबॉल या क्रिकेट मैदानों या जिमों में जाकर लोगों तक पहुंच बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि नेताओं को युवाओं की समस्याएं सुननी चाहिए और उन्हें दूर करने का रास्ता निकालना चाहिए.

बारां के बीजेपी जिला अध्यक्ष जगदीश मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि ‘पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि युवाओं को जोड़ने के लिए हमें उनके हित को देखना चाहिए.’

उन्होंने कहा, “खेल या जिम के माध्यम से उनके साथ जुड़ना वास्तव में एक अलग रणनीति का उपयोग करके बूथ जीतने के लिए एक संगठनात्मक बैठक है.”

नड्डा का एक और संदेश था कि प्रमुख मतदाताओं को न भूलें, खासकर उन लोगों को जिनके पास दर्जी और हेयर ड्रेसर जैसे बड़े नेटवर्क हैं.

‘सत्ता आएगी तो मिलेगा मौका’

जब से भाजपा ने राजस्थान चुनाव के लिए 41 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा की है – राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं – एक दर्जन से अधिक सीटों पर असंतोष है.

पार्टी अपनी दूसरी सूची जारी करने के लिए तैयार है, ऐसे में नड्डा कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने और विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं से मुलाकात कर उनके गुस्से को शांत करने के लिए एक के बाद एक क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं.

कोटा बैठक के दौरान, भाजपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव से पहले अपनी संभावनाओं को खराब न करने के लिए मनाने की कोशिश की.

उन्होंने कहा, ”पार्टी में महत्वाकांक्षा स्वाभाविक है लेकिन एक निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक ही व्यक्ति को टिकट मिलेगा.” साथ ही यह भी कहा कि, ”पार्टी को सत्ता में लाने के लिए बाकी सभी को अपनी पूरी ऊर्जा के साथ काम करने की जरूरत है.”

उन्होंने कहा, “विधान सभा का चुनाव एक मात्र चुनाव नहीं है. पार्टी के सत्ता में आने पर इन कार्यकर्ताओं को अन्य अवसर मिलेंगे.” इसलिए, सत्ता पाने और लोगों की सेवा करने के लिए बड़े लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. इसके लिए कार्यकर्ताओं को अगले 30 दिनों तक एकजुट होकर संघर्ष करना होगा.”

राजस्थान में कोटा बीजेपी के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है.

यह हाड़ौती क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है और इसमें 17 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 10 पर पार्टी का कब्जा है.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला कोटा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हाड़ौती का हिस्सा है.

अशोक गहलोत सरकार में इस क्षेत्र से तीन मंत्री हैं – कोटा से शांति धारीवाल, बारां से प्रमोद जैन और बूंदी से अशोक चांदना.

कोटा संभाग के चार जिले पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के अंतर्गत आने वाले 13 जिलों में से हैं और गहलोत सरकार केंद्र से इस परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग कर रही है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बारां जिले से इस मुद्दे पर पार्टी के अभियान की शुरुआत की.

इस मुद्दे के जरिए कांग्रेस का लक्ष्य अपने पूर्वी राजस्थान के चुनावी मैदान को बचाना और हाड़ौती क्षेत्र में सेंध लगाना है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः  राजपूत कार्ड, मेवाड़ पर नज़र – राजस्थान BJP महाराणा प्रताप के वंशज और करणी सेना के उत्तराधिकारी को क्यों लाई


 

share & View comments