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Saturday, 4 May, 2024
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मिथुन 2.0 के साथ बंगाल को नई ताकत मिलेगी? अभिनेता की हाई-प्रोफाइल ‘वापसी’ के BJP के लिए क्या मायने है

2021 में भाजपा में शामिल होने के बाद पहली बार कोलकाता स्थित पार्टी मुख्यालय का दौरा करने पर सुपरस्टार का बेहद धूमधाम से स्वागत किया गया. उनके 2024 में व्यापक स्तर पर प्रचार करने की संभावना है, लेकिन उन्होंने फिर संसद न जाने के अपने इरादे साफ कर दिए हैं.

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कोलकाता: लाइट्स, कैमरा, मिथुन! कोलकाता में सोमवार को खचाखच भरे भाजपा मुख्यालय में जोरदार नारों के बीच सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती का स्वागत किया गया. पार्टी में एक बार फिर वही उत्साह नजर आया जो पिछले साल विधानसभा चुनावों में हार के बाद न जाने कहां गायब हो गया था.

मध्य कोलकाता की एक भीड़भाड़ वाली गली के बीच स्थित भाजपा मुख्यालय के बाहर तैनात गार्ड ने मजाक में कहा कि उन्होंने इतने दिनों में कभी भी पार्टी के इतने सारे कार्यकर्ताओं को किसी नेता के स्वागत में इंतजार करते नहीं देखा है.

भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार के साथ सेल्फी के इच्छुक कार्यकर्ता एक हाथ में गुलदस्ता और दूसरे में सेलफोन लेकर खड़े थे.

Mithun Chakraborty after greeting party workers at the BJP headquarters in Kolkata Monday | Sreyashi Dey | ThePrint
सोमवार को कोलकाता में भाजपा मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं का अभिवादन करने के बाद मिथुन चक्रवर्ती | श्रेयशी डे | दिप्रिंट

लेकिन हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक खत्म होने के एक दिन बाद मिथुन कोलकाता में भाजपा मुख्यालय क्यों पहुंचे? क्या यह सिर्फ हल्ला-गुल्ला कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक शिष्टाचार भेंट थी, जो एक-दूसरे पर चढ़े जा रहे लोगों की भीड़ के बीच फिल्म अभिनेता के साथ एक तस्वीर खिंचाने के लिए उत्सुक थे?

इस दौरे के राजनीतिक निहितार्थ कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं—लोकसभा चुनाव में केवल दो साल बचे हैं और भाजपा ने 2021 के राज्य चुनावों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराने में विफल रहने के बाद बंगाल पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं.

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मिथुन चक्रवर्ती विधानसभा चुनाव से पहले 7 मार्च 2021 को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड, जिसे आमतौर पर ‘मैदान’ के नाम से जाना जाता है, में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए थे.

यह कदम उन्होंने पांच साल राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद उठाया था, जिसके लिए उन्हें 2014 में ममता ने नामित किया था.

प्रधानमंत्री के पैर छूते हुए अभिनेता ने कहा था कि वह दिन उनके लिए किसी सपने जैसा है.

अब एक साल बाद मिथुन फिर लौटे हैं. पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार की तरफ से सम्मानित अभिनेता और राज्य में पार्टी के नेताओं ने एक घंटे तक बंद कमरे में बैठक की.

बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मिथुन ने कहा, ‘हमने एक अच्छी चर्चा की, सुकांत ने मुझे कुछ काम सौंपे हैं लेकिन उनके बारे में मैं बात नहीं कर सकता. यह दिल्ली, मुंबई या बंगाल से संबंधित हो सकता है. यह दिल्ली से संचालित होता है, वे जो कहेंगे, मैं उसका पालन करूंगा. बीच में स्वास्थ्य खराब हो गया था, लेकिन अब मैं ठीक हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने एक (राज्य) सभा से इस्तीफा दे दिया था और किसी अन्य सभा (लोकसभा या विधानसभा) में नहीं जाऊंगा. मैं बंगाल सभा में विश्वास करता हूं.’

मिथुन के साथ बैठक में मौजूद रहे भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मिथुन चक्रवर्ती का पार्टी कार्यालय आना भाजपा को एक बड़ी ताकत देने वाला था. यह पहली बार है जब उन्होंने कोलकाता में पार्टी मुख्यालय का दौरा किया, यह हमारे कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा.’

मिथुन चक्रवर्ती के साथ न केवल सिल्वर स्क्रीन बल्कि एक ही राजनीतिक मंच साझा करने वाली भाजपा सांसद लॉकेट चक्रवर्ती ने इस बारे में बात की कि सुपरस्टार के लिए पार्टी की क्या योजनाएं हो सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘मिथुन जी ने 2021 के चुनाव अभियान में एक अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने लगभग 294 निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया था. हमारी पार्टी के पश्चिम बंगाल (2021) में पहली बार 77 सीटें जीतने का श्रेय भी उन्हें दिया जाना चाहिए.

उन्होंने मिथुन को ‘भाजपा के लिए एक संपत्ति’ बताया. उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि पार्टी उन्हें सिर्फ चुनाव प्रचार तक ही सीमित नहीं रखेगी. लेकिन क्या वह चुनावी लड़ाई का हिस्सा बनेंगे, इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व उचित समय पर लेगा.’

72 वर्षीय मिथुन 2024 के आम चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार कर सकते हैं. उन्होंने सोमवार को भाजपा मुख्यालय में मीडिया से कहा, ‘मैंने विधानसभा चुनाव के दौरान 55 दिनों तक बिना रुके प्रचार किया. अगली बार मैं 60 दिनों तक प्रचार करूंगा.’


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बंगाल में झटकों का सिलसिला

2021 के राज्य चुनावों में ममता के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रचंड जीत के बाद पिछले एक साल में भाजपा को पश्चिम बंगाल में अपनी संगठनात्मक ताकत बनाए रखने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.

अपनी राज्य इकाई के शीर्ष नेतृत्व में फेरबदल के बावजूद भाजपा ने पांच विधायक और दो लोकसभा सांसद तृणमूल के हाथों गंवा दिए हैं.

इस सबके बीच, केंद्रीय भाजपा आलाकमान—केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा—ने मई और जून में एक के बाद एक राज्य का दौरा किया और राज्य के नेताओं के साथ बैठकें कर हालात की समीक्षा की.

एक ओर, विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत नेताओं के पार्टी छोड़ने पर रोक नहीं लगा पाए हैं. दूसरी ओर, पार्टी को आसनसोल में अप्रैल में हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो—जो सीट 2014 से पार्टी के पास थी जब उसने राज्य में केवल दो लोकसभा सीटें जीती थीं.

भाजपा को एक और झटका तब लगा जब वह इस साल मार्च में बंगाल की 108 नगरपालिकाओं में से किसी में भी जीत हासिल करने में नाकाम रही. कुल 2,171 वार्डों में से भाजपा केवल 63 पर जीती. 13 फीसदी वोटशेयर के साथ वह माकपा से भी पीछे रह गई, जो पिछले राज्य चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

उसी माह, भाजपा ने सुकांत मजूमदार की अध्यक्षता में कोलकाता में एक ‘चिंतन बैठक’ आयोजित की, जिसमें पार्टी ने चुनाव बाद की हिंसा और ‘पुलिस के दबाव’ को जिलों में अपना संगठनात्मक आधार गंवा देने का कारण माना.

क्या मिथुन फैक्टर काम करेगा?

क्या मिथुन फैक्टर बंगाल में पार्टी को उबारने में मदद कर सकता है?

कोलकाता स्थित रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती की मानें तो सुपरस्टार भाजपा की खोई जमीन वापस दिलाने में कोई खास मदद नहीं कर सकते.

उन्होंने आगे कहा, ‘मिथुन मौसमी नेता हैं. भाजपा को सुवेंदु पर भरोसा करना होगा क्योंकि वे भाजपा का चिर-परिचित चेहरा बन चुके हैं. सुकांत मजूमदार एक जननेता नहीं हैं, जबकि मिथुन भीड़ आकर्षित कर सकते हैं, जैसा हमने 2021 के चुनाव प्रचार के दौरान देखा था.’

साथ ही जोड़ा, ‘लेकिन यह भीड़ पार्टी के लिए वोटों में तब्दील नहीं होती. इसके दो कारण हैं—संगठनात्मक स्तर पर बात करें तो राज्य भाजपा टूट गई है, और उनके पास पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समर्थन नहीं है.’

तृणमूल सांसद सौगत रॉय का कहना है, ‘पश्चिम बंगाल की राजनीति में मिथुन का कोई असर नहीं होगा. तृणमूल ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया था, लेकिन उन्होंने जल्द ही इस्तीफा दे दिया. एक व्यक्ति जो अपनी बात पर कायम नहीं रह सकता, वह पश्चिम बंगाल में बदलाव नहीं ला सकता. उन्हें बॉलीवुड तक ही सीमित रहना चाहिए.’

गैंगस्टर स्टेट: द राइज एंड फाल ऑफ द सीपीआई (एम) इन वेस्ट बंगाल के लेखक और राजनीतिक विश्लेषक सौर्य भौमिक ने मिथुन को ‘चुकी हुई ताकत’ करार दिया. उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक तौर पर वह इस समय बंगाल की राजनीति में महत्वहीन हैं. दूसरी तरफ, भाजपा की उम्मीद सुवेंदु पर टिकी है, जो एक बेहतरीन वक्ता हैं और स्पष्टवादी हैं. वह मुख्यमंत्री से सीधे टकराने से भी नहीं कतराते.’

हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘मिथुन चक्रवर्ती बंगाल के हैं, और वह भाजपा के साथ हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वह एक लोकप्रिय स्टार हैं और बंगाल के लोगों के लिए काम करना चाहते हैं. इतनी उम्र के बावजूद वह बेहद उत्साही हैं और निश्चित तौर पर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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