नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने कहा है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की ताकत के बलबूते ही 2018 में राज्य की सत्ता में आई थी, जिन्होंने उनके राज्य इकाई के अध्यक्ष रहने के दौरान सालों तक कड़ी मेहनत की थी. माना जा रहा है कि ऐसे बयान के जरिये वह परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं.
जुलाई 2020 में पायलट को उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था, जब उन्होंने गहलोत के साथ अपने विवादों को सुलझाने के लिए पार्टी नेतृत्व की तरफ से बुलाई गई बैठकों के दूसरे दौर में हिस्सा नहीं लिया था.
पायलट ने सोमवार को कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता सामूहिक रूप से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी किसानों, युवाओं और गरीबों के समर्थन से विजयी हुई थी.
उन्होंने कोटा में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘जब मैं कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष था, तब मैंने और तमाम कार्यकर्ताओं ने कड़ा संघर्ष किया था. हाड़ौती में हमने क्षेत्र के किसानों और गरीबों के लिए लड़ाई लड़ी. हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि हमारे जो भी कार्यकर्ता और पदाधिकारी हैं, वे आम जनता, किसानों, युवाओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर खरे उतरें. हम साथ काम कर रहे हैं. हम सभी का लक्ष्य 2023 में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाना है.’
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पायलट की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुर्सी पर बने रहने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से गहलोत को हटाने और पायलट को कुर्सी पर बैठाने के स्पष्ट संकेत के बाद मुख्यमंत्री समर्थकों की बगावत को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल अपने अगले कदम के बारे में बहुत स्पष्ट नहीं किया है.
सचिन पायलट का भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन जाते समय कोटा दौरा प्रतीकात्मकता और संदेशों से भरा रहा.
कोटा राजस्थान के कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल का गृह क्षेत्र है, जो गहलोत के कट्टर वफादार हैं. कांग्रेस विधायक दल की बैठक, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगला मुख्यमंत्री तय करने के लिए अधिकृत किया गया, को छोड़कर कांग्रेस के कई विधायक धारीवाल के घर में ही जुटे थे.
अहीर समुदाय की तरफ से आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने के लिए वसुंधरा के गढ़ आकर पायलट ने कहीं न कहीं यह साबित करने की कोशिश की है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री को सीधी चुनौती दे रहे हैं. उनकी मां रमा पायलट ने 2003 में झालरापाटन से राजे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, जीतने में असफल रही थीं.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘उन्होंने गहलोत का नाम नहीं लिया, लेकिन जिस तरह से उन्होंने राजस्थान की जीत में कार्यकर्ताओं में संघर्ष और राज्य इकाई के प्रमुख के नाते अपने संघर्ष की याद दिलाई है, वह मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में काफी अहम है.’
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री ने ट्रेन से यात्रा की थी और इस दौरान जनता में खासा उत्साह दिखा. कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा, ‘हजारों कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए जुटे थे. इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा सकता है क्योंकि यह राजे का गढ़ है और एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेसी मंत्री शांति धारीवाल कोटा (उत्तर) से विधायक हैं.’
2023 में प्रस्तावित राजस्थान चुनावों से पहले हाड़ोती डिवीजन में पायलट की तरफ से यह आयोजन पार्टी के पहले प्रमुख राजनीतिक कार्यक्रमों में से एक है. टोंक विधायक पायलट बाद में अपने गृह क्षेत्र पहुंचे जहां उन्होंने मंगलवार को लोगों से मुलाकात की और बेमौसम बारिश से फसल को हुए नुकसान का जायजा लिया.
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