कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद और अभिनेत्री नुसरत जहां को एक रियल एस्टेट कंपनी के साथ अपने कथित संबंधों को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने संपत्ति खरीदारों से पैसे निकाले हैं.
पहली बार की लोकसभा सांसद की मुश्किलें अदालत की एक टिप्पणी ने बढ़ा दी है कि प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ मामला बनाया जा सकता है.
नुसरत कंपनी 7 सेंस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक थीं, जिसे 2017 तक कोलकाता के उपनगरीय इलाके न्यू टाउन में फ्लैट देने की समय सीमा थी. विचाराधीन रियल एस्टेट फर्म पर प्रत्येक से 429 घर खरीदारों से 5.5 लाख रुपये ठगने का आरोप है.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता पीड़ित घर खरीदारों के एक समूह के साथ नुसरत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए मंगलवार को कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय गए.
मामले के शिकायतकर्ता सुशांतो कुमार हाजरा ने शुक्रवार को मीडिया को बताया, “मामले में नामित लोगों को पहले ही ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन नुसरत अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हुईं. उन्होंने अलीपुर कोर्ट से मामले में स्टे ले लिया है.”
हाज़रा ने आगे आरोप लगाया कि नुसरत ने खरीदारों के खाते से ट्रांसफर किए गए पैसे से कोलकाता के एक पॉश इलाके में 1 करोड़ रुपये से अधिक का फ्लैट खरीदा था.
हालांकि, नुसरत ने सभी आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि वे 2017 में ही रियल एस्टेट फर्म के निदेशक पद से इस्तीफा दे चुकी हैं.
पहली बार की लोकसभा सांसद ने बुधवार को कोलकाता प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता में कहा, “मैं यहां कोई स्पष्टीकरण देने नहीं आई हूं क्योंकि मैंने कोई अपराध नहीं किया है. यह एक मीडिया ट्रायल है. मैं किसी भी धोखाधड़ी वाले काम में शामिल नहीं हूं, मैंने मार्च 2017 में इसके निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था. मुझे नहीं पता कि मुझ पर झूठा आरोप क्यों लगाया जा रहा है.”
उसने दावा किया कि उसने 7 सेंस इंफ्रास्ट्रक्चर से 1.16 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था और ब्याज सहित 1.40 करोड़ रुपये लौटा दिए थे.
बुधवार को राज्य सचिवालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस प्रकरण पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके सांसद टिप्पणी करने के लिए सही व्यक्ति थे.
उन्होंने जोर देकर कहा, “नुसरत अपने मामले के बारे में बात करेंगी. कानून को कायम रहने दीजिए.”
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कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ मामला पाया
कोलकाता में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत को 30 जनवरी को कोलकाता पुलिस से एक जांच रिपोर्ट मिली थी, जिसके बाद उसने संयुक्त सीपी, अपराध, जासूसी विभाग को एक जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.
मजिस्ट्रेट ने 30 जनवरी को अपने आदेश में कहा, “एसआई (सब इंस्पेक्टर) रंजीत यादव ने एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है और यह पता चला है कि उनकी पूछताछ के दौरान आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप साबित हुए हैं. शिकायत पर विचार करते हुए, शिकायतकर्ता के शपथपूर्वक बयान और धारा 202 सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. मैंने पाया कि प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/406/34 के तहत मामला बनाया गया है. उपरोक्त अपराध का संज्ञान आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लिया गया है.”
अदालत ने नुसरत सहित आरोपी व्यक्तियों को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 204 के तहत समन भी जारी किया.
घर खरीदारों के पीड़ितों में से एक 70 वर्षीय एस. लखोटिया ने दिप्रिंट से कहा, “हमने 2014 में 7 सेंस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 5.55 लाख रुपये का भुगतान किया. हमें दस्तावेज़ दिए गए, लेकिन हमें हमारे फ्लैट नहीं मिले. कई लोगों ने 2022 में पुलिस शिकायतें दर्ज करना शुरू कर दिया और फिर हमने अपना संगठन – एसोसिएशन फॉर द वेलफेयर ऑफ द हेल्पलेस रिटायर एंड प्रेजेंट बैंक एम्प्लॉइज कोलकाता – बनाया और न्याय के लिए अदालत में मामला दायर किया.”
घर खरीदारों के साथ ईडी कार्यालय पहुंचे भाजपा नेता शंकू देब पांडा ने कथित वित्तीय धोखाधड़ी की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की.
टीएमसी के पूर्व महासचिव पांडा ने दिप्रिंट को बताया, “हम शिकायत की प्रति साझा नहीं कर सकते क्योंकि हमने वित्तीय साक्ष्य जमा कर दिए हैं और नहीं चाहते कि यह सार्वजनिक डोमेन में हों, लेकिन हम चाहते हैं कि ईडी इस मामले की तुरंत जांच करे. अगर वे इस मामले को नहीं उठाते हैं तो हम विरोध करेंगे.”
ईडी ने अब तक मामले को जांच के लिए नहीं उठाया है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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