अगरतला: त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में धनपुर की सीट बेहद अहम रही है. इसका राज्य के मुख्यमंत्री का चुनाव करने का इतिहास रहा है और यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार को पांच बार विधानसभा में लेकर आई है. 2018 में वाम मोर्चे ने सत्ता गंवा दी थी, तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार बनाई और माणिक सरकार विपक्ष के नेता बने.
त्रिपुरा में गुरुवार को सभी 60 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होने वाले हैं. वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी. हालांकि, वर्तमान मुख्यमंत्री माणिक साहा ने पिछले साल हुए उपचुनाव में टाउन बारडोवली सीट को जीता था और इस बार भी वे यही से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन सभी की निगाहें धनपुर पर हैं.
इस बार मणिक सरकार ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है, तो बीजेपी हलकों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि सीएम के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में धनपुर की किस्मत केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक के साथ वापस आ सकती है, जो इस सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं.
लेकिन केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री और त्रिपुरा पश्चिम सीट से मौजूदा लोकसभा सांसद भौमिक ने मुख्यमंत्री के बदलाव के बारे में चल रही सभी अटकलों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा,‘‘सवाल ही नहीं उठता. हमारे पास पहले से ही एक मुख्यमंत्री है और वैसे भी यह केंद्रीय नेतृत्व का फैसला होगा.’’
तत्कालीन सीएम बिप्लब देब को विधानसभा चुनाव से मुश्किल से 10 महीने पहले हटा दिया गया और उनकी जगह साहा को लाया गया. कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के पद पर साहा को बिठाये जाने का निर्णय आखिरी समय में लिया गया था, लेकिन भौमिक इससे इतर सोचती हैं. उनके मुताबिक, लोगों के दिमाग में यह बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक हाई-प्रोफाइल रैली करने के घंटों बाद सोमवार को दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘‘किसी ने हमसे इसका कारण नहीं पूछा. सिर्फ आप ही हैं जो ऐसा कह रहे हैं.’’ इस रैली को महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संबोधित किया था.
हालांकि, भौमिक खुद त्रिपुरा की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की संभावना को खारिज कर रही हैं, लेकिन उनके राज्य अध्यक्ष इस बारे में गोलमाल तरीके से बात करते नज़र आ रहे हैं. पिछले हफ्ते जब दिप्रिंट ने एक बातचीत में राजीब भट्टाचार्य से पूछा था कि सांसद और केंद्रीय मंत्री भौमिक को धनपुर से टिकट क्यों दिया गया है, तो वह टालमटोल करने लगे.
सीएम के सवाल पर उन्होंने कहा था, ‘‘नेतृत्व जो भी तय करेगा, वही होगा. मैं 1991 से इस पार्टी का सदस्य हूं, लेकिन इसका अध्यक्ष होना या बनमालीपुर से मेरा चुनाव लड़ना, सब नेतृत्व की इच्छा के कारण है. हम सभी पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं.’’
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‘धनपुर में विकास नहीं’
2018 में भौमिक को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. यह त्रिपुरा के इतिहास में पहली बार था. इससे पहले त्रिपुरा का कोई भी निवासी केंद्रीय मंत्री नहीं बना था. अपने लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले और कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री रह चुके संतोष मोहन देब असम के रहने वाले थे. इससे पहले भौमिक ने धनपुर से मणिक सरकार के खिलाफ दो बार 1998 और 2018 के विधानसभा चुनाव लड़े और वे हारे थे.
यह दो दशकों तक मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र रहा है, लेकिन भौमिक का दावा है कि धनपुर ने ज्यादा विकास नहीं देखा है. यह क्षेत्र राजनीतिक हिंसा के लिए जाना जाता है – कथलिया में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार कौशिक चंदा के घर पर पिछले पांच सालों में कथित तौर पर 16 बार हमला किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछली बार यहां से चुनाव हार गए थे. फिर भी यहां भाजपा सरकार ने जितना काम किया है, वह अभूतपूर्व है. हमने पीएम आवास योजना के तहत 8,500 घर दिए हैं और किसान सम्मान निधि के जरिए 7,500 लोगों को फायदा पहुंचाया है. लोग हमारे काम से खुश हैं. उन्हें पता है कि कोविड की वजह से हमें लगभग आधे कार्यकाल में ही काम करने को मिला है. जब हमें पूर्ण कार्यकाल मिलेगा, तो और भी विकास होगा.’’
वह यह भी कहती हैं कि पिछले चुनाव में हारने के बावजूद, यह उनकी पहल का ही नतीजा था कि धनपुर में पहला राष्ट्रीयकृत बैंक आया. उन्होंने पिछले महीने ही पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा का उद्घाटन किया था. उन्होंने कहा,‘‘हमने यहां एक फुटबॉल स्टेडियम बनाया. इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया कि स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों में प्रत्येक पंचायत में चार से छह गहरे नलकूप हों. फिलहाल हमने लगभग 52 फीसदी इलाकों को कवर कर लिया है. अगर हमें एक और कार्यकाल मिल जाता है, तो हम इस काम को पूरा कर लेंगे.’’
(अनुवादः संघप्रिया | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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