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Friday, 15 November, 2024
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‘हीरानंदानी से जिरह करना चाहती हूं’- मोइत्रा ने लोकसभा पैनल को पत्र लिख गवाही के लिए और समय मांगा

एथिक्स पैनल पहले ही बीजेपी सांसद दुबे और मोइत्रा के पूर्व पार्टनर वकील जय अनंत देहाद्राई को सुन चुका है. सांसद ने लिखा, यह "प्राकृतिक न्याय के आदेश के खिलाफ" था.

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, जिन्हें उनके खिलाफ ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ आरोपों के सिलसिले में 31 अक्टूबर को लोकसभा आचार समिति ने तलब किया है, ने गवाही देने के लिए 5 नवंबर के बाद की तारीख मांगी है. उन्होंने मामले में पेश किए गए हलफनामे के संबंध में उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से जिरह की भी मांग की है.

उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को “प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बदनामी अभियान” बताया और कहा कि “यह भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है कि मुझे अपना बचाव करने की अनुमति दी गई है”.

मोइत्रा पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में अडानी समूह पर सवाल उठाने के लिए हीरानंदानी से “नकद और उपहार” लेने का आरोप लगाया है. आचार समिति के समक्ष दायर अपने हलफनामे में हीरानंदानी ने दावा किया है कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बदनाम और शर्मिंदा” करने के लिए उद्योगपति गौतम अडानी को निशाना बनाया, जिनकी “त्रुटिहीन प्रतिष्ठा” ने विपक्ष को उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं दिया. मोइत्रा ने हलफनामा खारिज करते हुए कहा कि हीरानंदानी को इसे लिखने के लिए मजबूर किया गया था.

लोकसभा आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर को लिखे अपने पत्र में मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे को संदर्भित किया है – जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था.

टीएमसी सांसद ने लिखा, “उनका हलफनामा…इस बात की कोई वास्तविक सूची नहीं देता है कि उन्होंने कथित तौर पर मुझे क्या दिया है.” “आरोपों की गंभीरता को देखते हुए और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि मुझे श्री हीरानंदानी से जिरह करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दी जाए. यह भी जरूरी है कि वह समिति के समक्ष उपस्थित हों और कथित तौर पर मुझे प्रदान किए गए कथित उपहारों और उपकारों की एक विस्तृत सत्यापित सूची प्रदान करें.

मोइत्रा ने अपने पत्र में आगे कहा कि हीरानंदानी के मौखिक साक्ष्य के बिना कोई भी जांच “अधूरी, अनुचित और कंगारू अदालत आयोजित करने के समान” होगी.

एथिक्स पैनल पहले ही बीजेपी सांसद दुबे और मोइत्रा के पूर्व पार्टनर वकील जय अनंत देहाद्राई को सुन चुका है. सांसद ने लिखा, यह “प्राकृतिक न्याय के आदेश के खिलाफ” था.

उसने लिखा, “…अगर मैं विनम्रतापूर्वक कहूं, तो (समिति ने) मुझे, कथित आरोपी को सुनवाई का मौका देने से पहले 26/10/2023 को शिकायतकर्ताओं श्री (दुबे) और श्री देहाद्राई को बुलाया और सुना.”


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‘जरूरी है कि मुझे अपनी बात रखने की अनुमति दी जाए’

मोइत्रा ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण देते हुए आचार समिति के सामने पेश होने के लिए बाद की तारीख मांगी, जिन्हें विशेषाधिकार समिति ने बसपा के दानिश अली के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी पर तलब किया था लेकिन उनकी पूर्व-निर्धारित राजनीतिक व्यस्तताओं के कारण उन्हें बाद की तारीख दी गई थी.
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सांसद ने लिखा: “मैं पश्चिम बंगाल राज्य का प्रतिनिधित्व करती हूं जहां दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. मैं पहले से ही 30 अक्टूबर से 4 नवंबर 2023 तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में कई पूर्व-निर्धारित विजय दशमी सम्मेलनों/बैठकों (सरकारी और राजनीतिक दोनों) में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध हूं और 31 अक्टूबर 2023 को दिल्ली में नहीं रह सकती.”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, मैं 5 नवंबर 2023 के बाद समिति की पसंद की किसी भी तारीख और समय पर समिति के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध करती हूं.”

मोइत्रा ने आगे लिखा: “यह देखते हुए कि मैं विभिन्न कॉर्पोरेट घोटालों और राष्ट्रीय महत्व से संबंधित मुद्दों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए जिम्मेदार विपक्ष का एक मुखर सदस्य हूं, यह भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने के लिए महत्वपूर्ण है कि मुझे अपना बचाव करने और अपनी सफाई देने की अनुमति दी जाए.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: कृष्ण मुरारी)


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