नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर सुबह 11 बजे उपलब्ध रुझानों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5,000 से अधिक मतों के साथ गोरखपुर (शहरी) सीट से आगे चल रहे हैं.
आदित्यनाथ के लिए यह पहला विधानसभा चुनाव है – पांच बार संसद सदस्य – जिन्होंने 2017 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, सीएम बनने के बाद विधान परिषद सदस्य बने.
पहले ऐसी अटकलें थीं कि वह हिंदुत्व की राजनीति के केंद्रबिंदु माने जाने वाली अयोध्या सीट से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अंततः पार्टी ने उन्हें गोरखपुर (शहरी) सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया. यह योगी का गृहनगर है, और गोरखनाथ मठ, जिसके वे महंत (प्रमुख) हैं, गोरखपुर में ही स्थित है. 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने साल 1998 के बाद से लगातार गोरखपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था.
बीजेपी ने 2017 में गोरखपुर और उसके आसपास के 10 जिलों की 62 विधानसभा सीटों में से 44 पर जीत हासिल की थी.
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हाई-प्रोफाइल प्रचार अभियान
गोरखपुर में एक हाई-प्रोफाइल चुनावी मुकाबला देखा गया क्योंकि समाजवादी पार्टी ने यहां से भाजपा के पूर्व नेता दिवंगत उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने चेतना पांडे को मैदान में उतारा था. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने ख्वाजा शमसुद्दीन को टिकट दिया है. इस बीच, आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के प्रमुख और एक प्रमुख दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने भी यहां से चुनाव लड़ा था. (परिणाम)
हालांकि आदित्यनाथ को अपनी सीट पर भी ध्यान देना था, फिर भी वह राज्य भर में 200 से अधिक रैलियों को संबोधित करने में सफल रहे.
योगी आदित्यनाथ, त्रिभुवन नारायण सिंह – जो 1971 में यहां से चुनाव हार गए थे – के बाद इस जिले से मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव लड़ने वाले दूसरे नेता हैं.
आरएसएस ने भी योगी आदित्यनाथ के पीछे अपना सारा जोर लगा दिया था और संघ के पदाधिकारियों ने इस पूरे क्षेत्र में वोटों के लिए प्रचार किया था. दिप्रिंट ने पहले बताया था कि कैसे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर गलियारा (जो मंदिर को गंगा नदी के किनारे से जोड़ता है) बनाये जाने, और गोरखनाथ मठ के आसपास के क्षेत्रों के उत्थान का लगातार उनके चुनाव अभियान में जिक्र होता रहता था.
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