कोलकाता: एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, 2012 में रिलीज एक पूर्व सिविल सेवक और विधायक की किताब अब तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए मुसीबत बनी हुई है.
यह किताब ‘‘ममता बनर्जी ऐज आई हैव नोन’’ पूर्व आईएएस अधिकारी और दो बार के विधायक दीपक कुमार घोष ने लिखी थी, जिन्होंने टीएमसी प्रमुख ममता के बारे में अपने दावों और आरोपों की पुष्टि के लिए इसमें सूचना के अधिकार (आरटीआई) से जुड़े तमाम आवेदनों, न्यूज क्लिपिंग और आधिकारिक पत्राचार की प्रतियों को संलग्न किया है.
पिछले हफ्ते कांग्रेस और टीएमसी के बीच तीखी बहस के दौरान यह किताब एक बार फिर सुर्खियों में रही. इस आरोप-प्रत्यारोप के केंद्र में बंगाल कांग्रेस के प्रवक्ता कौस्तव बागची थे जिन्होंने एक टीवी न्यूज़ चैनल पर बहस के दौरान तृणमूल सरकार पर निशाना साधने के लिए इसी किताब का हवाला दिया. बागची को सीएम के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसी दिन ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ममता के राजनीतिक विरोधियों ने तीन बार की मुख्यमंत्री के खिलाफ निशाना साधने के लिए दीपक कुमार घोष की किताब का हवाला दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और कोलकाता दक्षिण के तत्कालीन उम्मीदवार तथागत रॉय ने प्रचार अभियान के दौरान उस समय प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता की टिप्पणियों के जवाब में इसी किताब का हवाला दिया था.
किताब में किए गए दावों पर, टीएमसी प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने मंगलवार को दिप्रिंट से कहा कि इसमें विश्वसनीय साक्ष्यों का अभाव है और इसे सिर्फ छवि खराब करने के इरादे से लिखा गया है. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी में विश्वास रखती है और इसीलिए किताब को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, जबकि इसमें किए गए दावे निराधार हैं.’’
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घोष ने ममता के बारे में क्या किए दावे
हालांकि, घोष ने व्यक्तिगत तौर पर ममता के खिलाफ तमाम आरोप लगाए हैं, लेकिन किताब में न्यूज़ क्लिपिंग और लेखक की तरफ से दायर आरटीआई आवेदनों के सिवाय कोई ठोस सबूत नहीं है.
घोष दो साल तक कांग्रेस और उसके बाद 13 साल तक तृणमूल कांग्रेस के साथ जुड़े रहने से पहले एक आईएएस अधिकारी के तौर पर 37 साल तक पश्चिम बंगाल प्रशासन का हिस्सा रहे हैं. 21-चैप्टर वाली अपनी किताब में उन्होंने केंद्रीय मंत्री और फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी के साथ अपने जुड़ाव, उनके निजी जीवन और उनकी कार्यशैली और नीतियों के बारे में काफी कुछ लिखा है.
घोष दावा करते हैं कि 2006 में टाटा नैनो प्लांट के लिए सिंगूर में ‘जबरन’ भूमि अधिग्रहण के विरोध में अपनी 25 दिनों की भूख हड़ताल के दौरान टीएमसी प्रमुख चॉकलेट और सैंडविच खा रही थीं.
उन्होंने किताब में लिखा है, ‘‘ममता ने इतने रिकॉर्ड दिनों के उपवास में क्या किया? पहले 2/3 दिनों तो उन्होंने थोड़ा नींबू पानी, ग्लूकोज पानी आदि लिया, लेकिन, सोनाली (पूर्व टीएमसी विधायक सोनाली गुहा) के परिदृश्य से गायब होने के बाद वो चार-पांच चिकन/पनीर सैंडविच और फिश फिंगर्स खाती थीं, जो उनके पीए गौतम बसु—जिनका 2008 में निधन हो चुका है—छिपाकर लाते थे. यह सब झोटाला में डलहौजी संस्थान से डेरेक ओ’ब्रायन के सौजन्य से आता था.’’
घोष ने उन पर 2012 में गृह विभाग के पोर्टफोलियो का अनुचित लाभ उठाने का भी आरोप लगाया है.
वे लिखते हैं, ‘‘जब उनके एक भतीजे को यातायात पुलिस अधिकारी की पिटाई के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तो कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम ने मुख्यमंत्री के भतीजे को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था. बाद में जब प्रेस और टीवी चैनल बहुत सक्रिय हो गए तो उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने आईपीसी की ऐसी ज़मानती धाराएं लगाई थीं कि न्यायिक मजिस्ट्रेट को उन्हें उसी दिन जमानत पर रिहा कर दिया था.’’
एक अन्य उदाहरण में, घोष का दावा है कि 2011 में अपनी पहली कैबिनेट बनाते समय ममता ने ‘‘योग्यता, अनुभव और पार्टी के प्रति वफादारी पर कोई विचार नहीं किया’’ बल्कि ‘‘मनमाने तरीके से मंत्रियों को चुना.’’
घोष लिखते हैं, ‘‘उदाहरण के तौर पर, कैसे सरकार ने बांकुड़ा के विधायक स्वर्गीय काशीनाथ मिश्रा को एक आधिकारिक पत्र भेजा. वे राजभवन भी पहुंच गए. लेकिन, आखिरी समय में उन्हें बताया गया कि उनकी जगह बिष्णुपुर के श्यामपद मुखर्जी को मंत्री बनाया गया है. काशी बाबू अनुभवी विधायक थे. वह एकदम शुरुआत में ही पार्टी में शामिल हो गए थे. लेखक से बात करते हुए उस घटना को याद करके काशी बाबू रो पड़े थे.’’
घोष उस समय का भी ज़िक्र करते हैं जब उन्होंने 2006 में प्रतिष्ठित जादवपुर सीट से टीएमसी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पूर्व सीएम और माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेब भट्टाचार्य से हार गए. घोष के मुताबिक, उस समय वह राजनीति छोड़ना चाहते थे और इस पर उन्होंने ममता के साथ चर्चा भी की, जिन्होंने उन्हें पार्टी के साथ बने रहने और 2009 में फिर जादवपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा.
हालांकि, घोष का दावा है कि पार्टी ने 2009 में उन्हें दरकिनार कर दिया और जादवपुर से कबीर सुमन को मैदान में उतारा. किताब में उन्होंने लिखा है, ‘‘उन्होंने (ममता ने) सिंगूर और नंदीग्राम के बाद उनके (पुस्तक लेखक) साथ विश्वासघात किया जब कबीर सुमन अपने गिटार और आत्मिक गीतों के साथ उनके बहुत करीब हो गए थे और महाश्वेता देवी जैसी उनकी पूर्व शुभचिंतकों ने सुमन को ही जादवपुर सीट से उतारने की जोरदार सिफारिश की थी.’’
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‘अगर मैं यह किताब बांटना शुरू कर दूं…’
शनिवार शाम सशर्त जमानत मिलने के बाद कोलकाता की बैंकशाल कोर्ट से बाहर निकलते ही 32-वर्षीय अधिवक्ता कौस्तव बागची ने चुटकी ली कि ‘‘मैं मुख्यमंत्री की नींद उड़ा दूंगा. मैं अपना सिर मुंडवा लूंगा और तब तक ऐसे ही रहूंगा जब तक मैं मुख्यमंत्री को सत्ताच्युत नहीं कर देता.’’
इससे नौ घंटे पहले, कोलकाता पुलिस की एक टीम टीएमसी समर्थक सुमित सिंह की तरफ से बर्टोला पुलिस स्टेशन में कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ दर्ज शिकायत के संबंध में उनकी गिरफ्तारी के लिए बैरकपुर आवास पहुंची थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बागची ने एक न्यूज़ चैनल पर बहस के दौरान ममता के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की थी.
बागची पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 504 (शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (ऐसा कार्य जो किसी व्यक्ति को राज्य या जनता के खिलाफ अपराध के लिए प्रेरित करे), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला का अपमान) और 354ए (यौन उत्पीड़न) आदि के तहत मामला दर्ज किया गया था.
बागची का यह बयान ममता की एक हालिया टिप्पणी के बाद आया है जो उन्होंने सागरदिघी सीट पर उपचुनाव में टीएमसी के कांग्रेस से हारने के तुरंत बाद की थी.
2011 से सागरदिघी में जीत रही टीएमसी से ये सीट छीन लेने के बाद पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी की तरफ से दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया जताते हुए ममता ने 2 मार्च को कहा था, ‘‘वह (चौधरी) आज बड़े बयान दे रहे हैं. यदि मैं उनसे उनकी बेटी की आत्महत्या के बारे में पूछूं, तो क्या वह जवाब दे पाएंगे?’’
टीवी न्यूज़ चैनल पर बहस के दौरान बागची से जब ममता बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने टीएमसी प्रमुख के जीवन पर घोष की किताब का हवाला दिया. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अगर मैं यह किताब मोहल्ले-मोहल्ले बांटना शुरू कर दूं, तो ममता बनर्जी कहीं अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगी. उनका निजी जीवन, शादी से पहले का उनका जीवन, और वे कितने नीचे गिर सकती हैं, यह सब बंगाल के लोगों को अच्छी तरह पता चल जाएगा.’’
(अनुवाद : रावी द्विवेदी | संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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