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Sunday, 17 August, 2025
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UP की बागी विधायक पूजा पाल, जिन्हें योगी की तारीफ करने के कुछ घंटों बाद ही SP से निकाल दिया गया

पति की हत्या, दल-बदल और अब निष्कासन: यूपी की इस ओबीसी नेता ने अपने विधायक पति की कथित तौर पर गैंगस्टर अतीक अहमद द्वारा हत्या के बाद अपना राजनीतिक सफर कैसे तय किया.

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लखनऊ: राजनीति में आने के जितने भी कारण होते हैं, उनमें से उसका कारण सबसे अजीब था: हत्या. और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने ही पूजा पाल को चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था, जब उनके विधायक पति राजू पाल की शादी के सिर्फ नौ दिन बाद ही कथित तौर पर गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ अतीक अहमद ने हत्या कर दी.

प्रयागराज जिले के कटघर इलाके के एक बेहद गरीब ओबीसी परिवार से आने वाली पूजा ने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में आएंगी. एक पंचर की दुकान चलाने वाले की बेटी होने के नाते उन्होंने पढ़ाई के साथ छोटे-मोटे काम किए और आखिरकार इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. गुजारा करने के लिए उन्होंने दफ्तरों और एक अस्पताल में झाड़ू लगाने का काम भी किया.
अस्पताल में काम करते समय ही उनकी मुलाकात प्रयागराज पश्चिम के स्थानीय कारोबारी राजू पाल से हुई. दोनों ने शादी कर ली, लेकिन सिर्फ नौ दिन बाद ही राजू की हत्या हो गई.
उसके बाद पूजा की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. मायावती के कहने पर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर बसपा से निष्कासित हुईं. फिर सपा विधायक बनीं. और अब एक बार फिर निष्कासित कर दी गई हैं.
करीब दो दशक बाद पूजा पाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार वजह है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विधानसभा में सार्वजनिक रूप से तारीफ करने के बाद समाजवादी पार्टी से उनका निष्कासन.
14 अगस्त को समाजवादी पार्टी ने कौशांबी जिले की चायल सीट से अपनी विधायक पूजा पाल को “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के आरोप में निष्कासित कर दिया. कार्रवाई ठीक उसी दिन हुई जब पूजा पाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराध के खिलाफ उनकी “ज़ीरो-टॉलरेंस पॉलिसी” की तारीफ की. निष्कासन पत्र में पार्टी ने साफ लिखा कि वह लगातार पार्टी हितों के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रही हैं.
समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों के अनुसार, फरवरी 2024 में पूजा पाल उन सात सपा विधायकों में शामिल थीं जिन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ को राज्यसभा चुनाव में वोट दिया। तब से वह “पार्टी विरोधी गतिविधियों” में शामिल रहीं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार किया, लेकिन पार्टी ने उन्हें एक और मौका दिया. हालांकि, सुधार न दिखने पर अब कार्रवाई की गई है.
निष्कासन के बाद दिप्रिंट से बातचीत में पूजा पाल ने कहा, “मैंने गलत क्या किया. मैंने सिर्फ मुख्यमंत्री के कानून-व्यवस्था के काम की तारीफ की और यह सच है. मुझे न्याय योगी जी की वजह से मिला. अतीक और उसका परिवार मेरे पति के हत्यारे हैं. मैं कभी मुलायम सिंह यादव के साथ नहीं रही, लेकिन मुझे विश्वास था कि अखिलेश दूरदर्शी नेता हैं. इसलिए मैं 2022 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुई. लेकिन अतीक की हत्या के बाद समाजवादी पार्टी के नेता सवाल उठाने लगे. इससे मुझे चोट पहुंची.”
“मैंने अभी तय नहीं किया कि मैं आगे क्या करूंगी. लेकिन मैं उन्हीं के साथ रहूंगी जिन्होंने मुश्किल समय में मेरा साथ दिया,” उन्होंने आगे कहा.

योगी की कानून व्यवस्था की तारीफ

पूजा पाल, जिनके पति और बसपा विधायक राजू पाल की 2005 में कथित तौर पर गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ अतीक अहमद के साथियों ने हत्या कर दी थी, ने यूपी विधानसभा में अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री योगी के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की. उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार और अपने पति के मामले में न्याय दिलाने का श्रेय मुख्यमंत्री की नीतियों को दिया.
“सब जानते हैं कि मेरे पति की हत्या किसने की। मैं मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे न्याय दिलाया जब कोई और नहीं कर सका. उनकी जीरो-टॉलरेंस पॉलिसी से अतीक अहमद जैसे अपराधियों का खात्मा हुआ. आज पूरा राज्य मुख्यमंत्री को भरोसे के साथ देखता है,” उन्होंने कहा. योगी की और तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे पति के हत्यारे अतीक अहमद को मुख्यमंत्री ने मिट्टी में मिलाने का काम किया.” उन्होंने याद किया कि जब वह न्याय की लड़ाई में निराश हो गई थीं, तब मुख्यमंत्री योगी की कार्रवाई ने उन्हें उम्मीद दी.

कैसे पति की हत्या ने उन्हें राजनीति में लाया

पति की हत्या के बाद मायावती ने पूजा को उपचुनाव में बसपा का टिकट दिया. लेकिन पूजा हार गईं. हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अतीक के भाई अशरफ को हराया. प्रयागराज पश्चिम सीट पर मायावती ने खुद उनके लिए प्रचार किया. वह मायावती की खास थीं, लेकिन 2018 में, 2017 के चुनाव में भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह से हारने के बाद जब वह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने गईं तो मायावती ने उन्हें निकाल दिया.
इसके बाद पूजा 2019 लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं.
पाल के करीबी सूत्रों के अनुसार, उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्नाव के बृजेश वर्मा से दोबारा शादी की. समाजवादी पार्टी ने उन्हें उन्नाव से उतारा, लेकिन दस्तावेज अधूरे होने की वजह से उन्होंने नाम वापस ले लिया. 2022 में सपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया और उन्होंने कौशांबी के चायल से विधानसभा चुनाव जीता.
फरवरी 2023 में, राजू पाल हत्याकांड के अहम गवाह उमेश पाल की प्रयागराज के सुल्तान सराय इलाके में हत्या कर दी गई. अतीक और अशरफ, जो मुख्य आरोपी थे, बाद में गिरफ्तार किए गए लेकिन 15 अप्रैल 2023 को अस्पताल ले जाते समय पत्रकार बनकर आए हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी.
ये हत्याएं पूजा पाल के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुईं. 2024 राज्यसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ वोट दिया, जिससे समाजवादी पार्टी के साथ उनका टकराव शुरू हो गया.
इस साल जून में, राज्यसभा चुनाव के दौरान बगावत करने वाले आठ सपा विधायकों में से करीब 16 महीने बाद पार्टी ने तीन को निकाल दिया: अभय सिंह (गोशाइंगंज), राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज), और मनोज पांडेय (ऊंचाहार)। लेकिन उस समय पूजा पाल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कहा गया कि पाल सपा की ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति का हिस्सा थीं और पार्टी उन्हें एक और मौका देना चाहती थी. अब, पाल सवाल कर रही हैं कि कार्रवाई के बाद ‘पीडीए नैरेटिव’ कहां चला गया.
भाजपा के सूत्रों के अनुसार, पाल यूपी भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं और अगले विधानसभा चुनाव से पहले वह सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो सकती हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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