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Wednesday, 24 April, 2024
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प्रदेश राजनीति की ताज़ा जानकारी के लिए ट्विटर से ज़्यादा फेसबुक को पसंद करते हैं यूपी के वोटर्स

ये सर्वेक्षण जनवरी के तीन हफ्तों में डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म आईक्यूब्सवायर द्वारा कराया गया. इसमें उत्तर प्रदेश से 1,094 प्रतिभागी शामिल हुए जो अधिकतर 18 से 40 वर्ष की आयु के थे.

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हैदराबाद: चुनाव में जा रहे उत्तर प्रदेश के मतदाता, प्रदेश राजनीति की ताज़ा स्थिति की जानकारी लेने के लिए, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, और ट्विटर जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले फेसबुक को ज़्यादा पसंद करते हैं. ये ख़ुलासा डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म आईक्यूब्सवायर द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में किया गया है.

ये सर्वे ऐसे समय आया है जब महामारी के बीच राजनीतिक पार्टियां, अपना फोकस डिजिटल प्रचार और वर्चुअल रैलियों की ओर मोड़ रही हैं.

उत्तर प्रदेश में 403-सदस्यीय विधानसभा के लिए सात चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं जिनमें पहले दौर का मतदान 10 फरवरी को होगा. चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.

जनवरी के तीन हफ्तों में किए गए इस सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश की अलग-अलग पृष्ठभूमियों से 1,094 प्रतिभागी शामिल हुए, जो अधिकतर 18 से 40 वर्ष की आयु के थे. आईक्यूब्सवायर के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी साहिल चौपड़ा ने दिप्रिंट को बताया कि ये सर्वे कई वेबसाइट्स पर चला, जिनमें गेमिंग और शॉपिंग आदि की साइट्स शामिल हैं.

2010 में स्थापित फर्म आईक्यूब्सवायर हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है, जिसकी बेंगलुरू, कोलकाता और मुम्बई जैसे शहरों में शाखाएं हैं. इसके भागीदारों में एशियन पेंट्स, कोटक महिंद्रा बैंक, और ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां शामिल हैं.

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डिजिटल प्रचार से बदल रही मतदाताओं की पसंद

शुक्रवार को आईक्यूब्सवायर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि जहां सर्वे के 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि प्रदेश राजनीति की जानकारी के लिए वो फेसबुक इस्तेमाल करते हैं. वहीं 17 प्रतिशत ने कहा कि इसके लिए वो यूट्यूब देखते हैं. जबकि 14 प्रतिशत इंस्टाग्राम और 6 प्रतिशत ट्विटर देखते हैं. बाक़ी 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वो इन सभी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं.

42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वो राजनीतिक ख़बरें हिंदी में देखते हैं जबकि 34 प्रतिशत ने अंग्रेज़ी बताया. बाक़ी 24 प्रतिशत ने दोनों भाषाएं  बताईं.

सर्वे में कहा गया कि राजनीतिक दलों के डिजिटल प्रचार पर ज़्यादा बल देने से मतदाताओं की पसंद में भी निरंतर बदलाव आ रहा है.

चौपड़ा ने कहा, ‘हमारे सर्वे ने इस क्षेत्र में कुछ दिलचस्प प्रवृत्तियां दिखाई हैं और हमें लगता है कि आगे चलकर राजनीतिक पार्टियों, नेताओं और उनके सोशल मीडिया प्रचार पर नज़र रखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मतदाता विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करेंगे’.

सर्वे के क़रीब 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई गई अलग अलग सोशल मीडिया रणनीतियां उनकी मतदान प्राथमिकताओं को प्रभावित करती हैं जबकि 19 प्रतिशत ने इससे इनकार किया. बाक़ी 20 प्रतिशत ने तटस्थ जवाब दिए.

सर्वे के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत को लगा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर राजनीतिक विज्ञापन मतदाताओं से जुड़े रहने और उन्हें किसी राजनीतिक पार्टी की ओर खींचने का एक अच्छा तरीक़ा है, जबकि 18 प्रतिशत ने इससे इनकार किया.

क़रीब 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर राजनेताओं के साथ जुड़ते हैं और 85 प्रतिशत ने कहा कि वो राजनेताओं से जुड़े विज्ञापन देखते हैं. कुल 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वो चुनावों के बाद राजनीतिक उम्मीदवारों के सोशल मीडिया पर नज़र रखते हैं. उनमें से 79 प्रतिशत का कहना था कि नेता के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर वो फॉलोअर्स, लाइक्स और सब्सक्राइबर्स की संख्या भी चेक करते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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