मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का आक्रामक प्रवासी-विरोधी रुख हिंदुत्व के बड़े एजेंडे को आगे बढ़ाने की पार्टी की महत्वाकांक्षा और अध्यक्ष राज ठाकरे को भगवा आइकन बनाने की कोशिशों में आड़े आ रहा है.
5 जून को ठाकरे की प्रस्तावित अयोध्या यात्रा से पहले, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुजारियों, संतों और नागरिक संगठन के सदस्यों से मनसे प्रमुख को मंदिर वाले शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए समर्थन मांग रहे हैं.
यूपी के कैसरगंज से सांसद सिंह ने पिछले दिनों महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश के प्रवासियों को निशाना बनाने के लिए ठाकरे से सार्वजनिक माफी की मांग की है.
भाजपा सांसद ने विरोध में लगवाए गए पोस्टर पर लिखा है, ‘उत्तर भारतीयों को अपराधी कहने वाले राज ठाकरे माफ़ी मांगो या फिर वापस जाओ.’
पोस्टर में लोगों से अयोध्या में एक रैली में उनके साथ शामिल होने का भी आह्वान किया गया है.
दिप्रिंट संवाददाता ने मनसे के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता बाला नंदगांवकर से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया. ठाकरे ने अपनी आगामी अयोध्या यात्रा पर मीडिया से बात करने पर अपनी पार्टी के भीतर एक आधिकारिक प्रतिबंध लगा दिया है.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे सर्व पदाधिकारी
आणि महाराष्ट्र सैनिकांसाठी… pic.twitter.com/Yf7spS4ccn— Raj Thackeray (@RajThackeray) May 7, 2022
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‘मानो या न मानो, देश सबका है’
ठाकरे ने शिवसेना को छोड़ने के बाद 2006 में मनसे की स्थापना की थी. पहले कुछ सालों में पार्टी ने आक्रामक रूप से ‘धरती पुत्र’ अभियान चलाया था. यह प्रवासियों के विरोध करने के लिए चलाया गया एक विशेष अभियान था, जिसमें भड़काऊ भाषणों के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को निशाना बनाया गया.
इस एजेंडा को लेकर लड़े गए, कुछ शुरुआती चुनावों में पार्टी को सफलता जरूर मिली थी, लेकिन 2014 के बाद से इसे लगातार हार का सामना करना पड़ा है.
बीजेपी सांसद सिंह ने मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘दोस्तों, यह उत्तर भारतीयों को सम्मान देने के लिए एक संघर्ष है. यह आंदोलन देश के हर उस नागरिक का है जिसे क्षेत्र, भाषा, धर्म और संप्रदाय के आतंक में जीना पड़ रहा है.
उन्होंने आगे लिखा, ‘मैं राज ठाकरे से पूछना चाहता हूं कि महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर अत्याचार क्यों किया जाता है. आप मानें या न मानें, देश सबका है’
उधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सिंह को इसका जवाब नहीं दिए जाने पर ठाकरे की आलोचना की है. राकांपा प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा, ‘राज ठाकरे जो महाराष्ट्र में अल्टीमेटम देते रहते हैं, वह भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? … राज ठाकरे अगर उत्तर भारतीयों से माफी मांगते हैं तो वह अपनी अयोध्या यात्रा जरूर पूरी कर पाएंगे, लेकिन महाराष्ट्र की मराठी आबादी के सामने दोबारा मुंह नहीं खोल पाएंगे’
तापसे ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने ठाकरे के अहंकार को कम करने के लिए यह ‘अजीब स्थिति’ पैदा की है.
महाराष्ट्र के भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद अपने राज्य की राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुसार अपना काम कर रहे हैं. इसका महाराष्ट्र बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है. मनसे एक अलग राजनीतिक पार्टी है और इस पर वही अपना जवाब देगी.’
हिंदुत्व की ओर राज ठाकरे
2020 में भाजपा के साथ शिवसेना के विभाजन और उसके बाद के वैचारिक और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और एनसीपी के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) बनाने के बाद से, मनसे ने हिंदुत्व को एक राजनीतिक एजेंडे के रूप में अपनाया है. वह शिवसेना के कट्टर हिंदुत्व वाले वोट बैंक पर कब्जा करने की तलाश में हैं. यहां तक कि पार्टी ने अपने झंडे को नीले, सफेद, नारंगी और हरे रंग से बदलकर भगवा कर लिया है.
पिछले एक महीने में पार्टी विशेष रूप से भगवा एजेंडे पर जोर देती आ रही है. अपने इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए ठाकरे हिंदुत्व के प्रतीक और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की तरह भगवा शॉल पहने हुए, मस्जिदों पर लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाते हुए और अयोध्या की यात्रा की घोषणा करते हुए नजर आ रहे हैं.
एमवीए ने भाजपा के साथ मिलकर काम करने के लिए मनसे की आलोचना की है. वहीं भाजपा ने इन संकेतों को खारिज कर दिया कि पार्टी महाराष्ट्र में ठाकरे के मुद्दे का समर्थन करती रही है.
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