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Monday, 14 October, 2024
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UP चुनाव योगी के नेतृत्व में लड़ेंगे, पर CM का फैसला केंद्रीय नेतृत्व और MLAs करेंगे: केशव प्रसाद मौर्य

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कमान उनके हाथों में थी और पार्टी सहयोगियों समेत 325 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी.

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लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आगामी विधानसभा चुनाव में पुन: भाजपा की जीत का दावा करते हुए कहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव, वास्तव में 2024 के आम चुनाव की रणभेरी है ‘‘क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है.’

उत्तर प्रदेश के चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़े जाने की बात कहते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री का फैसला केंद्रीय नेतृत्व और निर्वाचित विधायक करेंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कमान केशव प्रसाद मौर्य के हाथों में थी और पार्टी सहयोगियों समेत 325 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी.

अब केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री हैं और आने वाली चुनौतियों को वह किस तरह देखते हैं तथा वर्तमान माहौल में उनका नजरिया क्या है, इन बिंदुओं को लेकर ‘पीटीआई-भाषा’ ने बृहस्पतिवार को उनसे लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.

सवाल- पिछली जीत के साढ़े चार साल बाद आप अपने को किस मुकाम पर देखते हैं?

जवाब – देखिए, हम 2017 की जगह 2014 से चर्चा शुरू करेंगे तो अच्छा रहेगा. 2014 में लोकसभा चुनाव में मैं फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी था. नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने की पार्टी ने घोषणा की थी और प्रदेश की जनता का आशीर्वाद मिला, हम उप्र से 73 सांसद जीतकर केंद्र में पहुंचे और सरकार बनी. इसके बाद 2017 का चुनाव आया. सबसे बड़ी बात 2017 में लोकसभा चुनाव में मोदी जी के नेतृत्व और अमित शाह के मार्गदर्शन में संगठन के बूथ से लेकर, उप्र के केंद्रीय पदाधिकारी तक, जिम्मेदारी से चुनाव लड़े और 325 सीटें जीते. यह ऐतिहासिक विजय थी. 2022 में हम अध्यक्ष नहीं रहेंगे लेकिन 2022 में हमारा दायित्‍व अध्यक्ष से कम नहीं रहेगा. हम उप्र के उप मुख्‍यमंत्री हैं, योगी जी मुख्‍यमंत्री, स्‍वतंत्रदेव सिंह प्रदेश अध्यक्ष और डॉक्टर दिनेश शर्मा उप मुख्‍यमंत्री के रूप में हमारी टीम 2017 की तुलना में ज्यादा समर्थ हैं. मैं 2017 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष था और 2022 में जब चुनाव की तैयारी चल रही है तो उप मुख्‍यमंत्री हूं. उप मुख्‍यमंत्री के नाते मैं यह पाता हूं कि केंद्र और प्रदेश सरकार के माध्‍यम से जो काम किया गया, उसे 2017 की तुलना में पार्टी ने आगे बढ़ाया है.

सवाल- 2022 के विधानसभा चुनाव में नेतृत्व किसका होगा?

जवाब- जब सरकार नहीं होती तो स्वाभाविक रूप से लोग मानने लगते हैं कि जो अध्यक्ष होगा, वही सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनेगा. लेकिन वर्तमान में योगी आदित्यनाथ मुख्‍यमंत्री हैं तो अभी तो हम भी मान रहे हैं और बाकी सभी मान रहे हैं कि 2022 के जब परिणाम आएंगे तो योगी जी ही मुख्यमंत्री होंगे लेकिन, यह मेरे द्वारा नहीं कहा जा सकता है. यह फैसला जो केंद्रीय नेतृत्व है, केंद्रीय संसदीय बोर्ड है और जो केंद्रीय पर्यवेक्षक आएंगे उनके द्वारा उस समय जो विधायक दल होगा, उसके द्वारा तय किया जाएगा कि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा. मेरा व्यक्तिगत तौर पर एक कार्यकर्ता के नाते पार्टी की सफलता के लिए जी जान लगाने का संकल्प है और मैंने जो मेहनत 2017 के विधानसभा चुनाव में की है, उससे ज्यादा मेहनत 2022 के चुनाव में करूंगा क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई होने वाली है. उसका भी इसके अंदर प्रवेश है क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है.

सवाल- तो 2022 में कितनी सीटें जीतेंगे?

जवाब – 2022 में 300 का आंकड़ा पार करेंगे और इस आंकड़े को पार करने में मुझे कोई संशय दिखाई नहीं देता है. और हम यह मानते हैं कि 2022 के चुनाव और 2024 के चुनाव एक दूसरे के सहायक सिद्ध होंगे. इसलिए 2022 के चुनाव में भाजपा का कार्यकर्ता जी जान लगाकर लड़ेगा और भाजपा को जिताएगा और जनता का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

सवाल- पिछड़ी जाति पर जोर दिया जा रहा है और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आपने सभी पिछड़ी जातियों का सम्मेलन किया और वादे किये, क्‍या उन वादों की कसौटी पर आप खरा उतरे ?

जवाब- मैं उसे जातीय सम्मेलन नहीं कहूंगा. वह सामाजिक सम्मेलन थे. सामाजिक उत्थान और सामाजिक समरसता की दृष्टि से भाजपा लगातार सोचती है और काम करती है. उसी क्रम में वह सम्मेलन हुए थे और उस समय जो वादे किये गये थे, उन्हें पूरा किया गया. जो बचे हैं, उसे आगे पूरा करेंगे लेकिन समाज को पीछे नहीं रहने देंगे. समाज के हर हिस्से को, पिछड़ा वर्ग हो, अगड़ा वर्ग हो, अनुसूचित वर्ग हो, आदिवासी वर्ग हो… सबको भरोसा दिलाते हैं.

सवाल- आप फ‍िर पिछड़ी जातियों का सम्मेलन करने जा रहे हैं?

जवाब – उप्र में पिछड़ी जातियां 55 प्रतिशत हैं. 55 प्रतिशत समुदाय को उपेक्षित छोड़कर राजनीति करना या उप्र के अंदर काम करना संभव ही नहीं है. हर वर्ग के उत्थान के लिए हम काम कर रहे हैं. 2014 से लेकर अब तक जो भी चुनाव जीते हैं उनमें सबसे बड़ा योगदान पिछड़ा वर्ग का रहा है.

सवाल- फ‍िर सवाल उठता है कि पिछड़ा वर्ग ने इतना दिया तो क्या भाजपा उस अनुपात में पिछड़ों को रिटर्न दे सकी? जवाब- देखिए, हमने पूरा प्रयास किया. जितना कर सकते थे किया. नरेंद्र मोदी पिछड़े वर्ग से ही आते हैं. मेरे हिसाब से उप्र के 24 करोड़ परिवार के हितों की रक्षा करने के लिए मैं लगातार प्रयासरत हूं.

सवाल – बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की ओर से ब्राह्मण सम्मेलन हो रहे हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि भाजपा से ब्राह्मण बहुत नाराज है ?

जवाब- मैं मानता हूं कि भाजपा से कोई भी वर्ग नाराज नहीं है. कुछ राजनीतिक दल इस समय अपनी सक्रिय भूमिका दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीती उस समय जिनको विपक्ष में रहकर जनता की सेवा का उत्तरदायित्व मिला था, वह अपना उत्तरदायित्व भूल गये थे. यह एक तरह से उनकी चुनावी मौसम की सक्रियता है. इसके सिवा मैं इन सम्मेलनों का कोई निहितार्थ नहीं मानता कि इनका कोई प्रभाव होगा. भाजपा जितनी ताकतवर 2017 में थी, उससे ज्यादा ताकतवर 2022 में होगी.

सवाल- लेकिन ब्राह्मणों को साधने के लिए विद्वत समिति के जरिये राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र पांडेय और अजय मिश्र को बुलाकर भाजपा को कवायद करनी पड़ रही है.

जवाब- इसको इस रूप में नहीं लेना चाहिए. विद्वत परिषद सदैव समाज की दृष्टि से बैठता रहता है, कार्यक्रम करता रहता है, अलग-अलग समाज के संगठन हैं और उसके जरिये अगर आमंत्रित किया जाता है तो लोग जाते हैं. यह कार्यक्रम कोई भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम नहीं था, इसलिए इसे इस रूप में नहीं देखना चाहिए. हर समाज का सम्मान होना चाहिए. उसकी जो समस्‍या है, उसका समाधान होना चाहि और जो तमाम प्रकार की महत्वाकांक्षा होती है, उसकी पूर्ति समाज के अन्य वर्गों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए करना चाहिए, इसका मैं समर्थन करता हूं, कोई भेदभाव सत्‍ता के माध्‍यम से नहीं होना चाहिए. हमारी सरकार में कोई भेदभाव नहीं हो रहा है.

सवाल- विरोधियों का मुख्यमंत्री पर आरोप है कि वह एक जाति विशेष को तरजीह दे रहे हैं और ब्राह्मणों की नाराजगी का एक विशेष कारण यह भी है.

जवाब- इस प्रकार के आरोप आते हैं, सच है, मैं इसे स्वीकार करता हूं लेकिन इस प्रकार के आरोपों में उतनी सच्चाई नहीं है जितना दुष्प्रचार किया जाता है.

सवाल- इसे दुष्‍प्रचार क्यों कहते हैं.

जवाब- देखिए, विपक्ष मुद्दाविहीन है, केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के माध्‍यम से हर नागरिक के उत्थान के लिए, देश के विकास के लिए, राज्यों के विकास के लिए प्रयास किये गये हैं.

सवाल- सपा प्रमुख अखिलेश यादव भाजपा में आपकी उपेक्षा का मुद्दा उभारते हैं कि आपके उप मुख्‍यमंत्री बनते ही आपका बोर्ड उखाड़ कर फेंक दिया गया और भाजपा में आपको उपेक्षित रखा गया.

जवाब – यह सच है कि 2017 में जब सरकार बनी तो उससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय लोक भवन में चला गया था. पहले मुख्यमंत्री कार्यालय एनेक्सी से चलता था. मुझे लगा कि जब मुख्यमंत्री लोकभवन में बैठते हैं तो मुझे यहां बैठना चाहिए और मैंने बैठने की प्रक्रिया शुरू की तो कुछ सरकारी कर्मियों ने बोर्ड लगाया होगा. उसे किसने हटाया, यह तो मुझे नहीं पता लेकिन अखिलेश यादव से यह जरूर पूछना चाहता हूं कि वह उप्र की जनता को यह जरूर बताएं कि जब वह बहुमत थे तो केशव प्रसाद जैसे किस कार्यकर्ता को उप मुख्यमंत्री बनाए थे? किस केशव प्रसाद जैसे व्यक्ति को एनेक्सी में बैठाए थे?

किस केशव प्रसाद जैसे व्यक्ति को उस सरकार में महत्‍व दिये थे उस सरकार में महत्व या तो अखिलेश यादव का था या उनके परिवार का या तो रामपुर के सांसद आजम खान का था या बड़े पैमाने पर गुंडे और अपराधी किस्म के लोगों का था. लेकिन आज केशव प्रसाद को इतना बड़ा सम्मान मिला है जो उत्तर प्रदेश के इतिहास में मेरे जैसे व्यक्ति को किसी दूसरे दल द्वारा नहीं दिया गया है. इससे सपा हो, बसपा हो या कांग्रेस हो, वे मुद्दा मेरे नाम को जरूर बनाते हैं लेकिन इस मुद्दे में भी कोई दम नहीं है. बोर्ड लगाना या हटना कोई मुद्दा नहीं है.

सवाल – सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि धोखा हुआ कि भाजपा ने वादा करके केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री नहीं बनाया और पिछड़ी जाति के सबसे बड़े दुश्मन योगी को मुख्यमंत्री बना दिया.

जवाब- देखिए, श्री ओमप्रकाश राजभर जी को किसने यह बात बताई थी मैं नहीं जानता क्योंकि तब मैं प्रदेश अध्यक्ष था और उस समय कोई भी निर्णय मेरी अनुपस्थिति में नहीं होते थे. जब मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जी के नाम का प्रस्ताव आया तो उसको लेकर जरूर कुछ लोग स्वाभाविक तौर पर बोले क्योंकि जो प्रदेश अध्यक्ष होता है, वही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है. इस प्रकार के भाव लोगों के मन में थे लेकिन, हम लोग सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे थे और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ते समय यह नहीं तय था कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन किस प्रकार की जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा.

पार्टी नेतृत्व ने पर्यवेक्षक भेजे और पर्यवेक्षकों द्वारा विधायक दल से चर्चा के बाद यह फैसला किया गया कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होंगे और उनके नेतृत्व में हम लोग साढ़े चार साल से काम कर रहे हैं. श्री ओमप्रकाश जी की तमाम प्रकार की इच्‍छाएं थी, हो सकता है कि उनकी इच्छा अनुसार काम न हुआ हो.

सवाल – राजभर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में यह बात रखी कि अगर भाजपा योगी को मुख्यमंत्री बनाएगी तो वह उनकी सभी शर्त मान भी लें तो भी किसी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे.

जवाब- मुझे लगता है कि ओमप्रकाश राजभर को लेकर बहुत बात करने की जरूरत नहीं है. उप्र भाजपा क्या करेगी, भारतीय जनता पार्टी क्या करेगी, इसका वह निर्धारण नहीं कर सकते हैं. देश में वह सबसे बड़ी पार्टी है और हमारी पार्टी हर निर्णय लेने में सक्षम है.

सवाल- कल्‍याण सिंह के निधन पर भाजपा ने उलाहना दिया कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव श्रद्धांजलि देने नहीं आए और यह लाशों की राजनीति जैसा लगता है.

जवाब – बाबूजी उप्र के ही नहीं देश के बहुत बड़े नेता थे और उनका इतना बड़ा कद है कि श्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका वाद्रा जी के श्रद्धांजलि देने और न देने से उनका कद न घट जाएगा और न बढ़ जाएगा. वह इतने बड़े कद के व्‍यक्ति हैं कि उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन यह जरूर लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि जिस समाजवादी पार्टी ने बाबूजी का आशीर्वाद लेकर 2012 में सरकार बनाई थी और 2009 के लोकसभा चुनाव में लोकसभा में उन्हें समर्थन दिया और समर्थन लिया, उनसे इतना परहेज करना केवल और केवल मुस्लिम वोटों का लालच है. यही कांग्रेस ने किया है और यही समाजवादी पार्टी ने किया है. एक तरह से माननीय कल्याण सिंह को केवल एक हिंदू नेता के रूप में देखा गया है और हिंदू नेता को श्रद्धांजलि दे देंगे तो मुस्लिम नेता नाराज हो जाएंगे, जो इस भावना से राजनीति करते हैं, मैं समझता हूं कि वह निंदनीय है और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. पूरा समाज और देश उनके इस कृत्‍य को देख रहा है.

सवाल- कोरोना काल में त्राहि त्राहि मची थी और आपकी पार्टी के सांसद, विधायक और केंद्रीय मंत्री तक ने सरकारी अव्‍यवस्‍था को उजागर किया. आप क्‍या कहेंगे?

जवाब- जब इस प्रकार का बड़ा संकट आता है तो जो जनप्रतिनिधि होता है, जनता सबसे ज्यादा उसी से अपेक्षा करती है. कहीं कुछ कमी रह गई होगी, इससे हम इंकार नहीं करते हैं लेकिन उस समय की एक परिस्थिति थी जिसका सबने मुकाबला किया. लेकिन यह भी दूसरा सच है कि देश के दूसरे राज्यों की तुलना में कोविड के खिलाफ लड़ाई में उप्र सबसे अच्छे तरीके से लड़ा है. हमारी सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उस पर विजय प्राप्त की.

सवाल- विपक्ष का आरोप है कि अगर मेरिट पर चुनाव हों तो भाजपा को 50 से अधिक सीट नहीं मिलेंगी, भाजपा तो धार्मिक ध्रुवीकरण कर रही है. आप क्या कहेंगे?

जवाब- मुझे लगता है कि लोग अपने अपने तरीके से आकलन करते हैं. हम तो मेरिट पर ही चुनाव लड़ते हैं और चुनाव जीतते हैा. जिनको इस प्रकार का भय सता रहा है, वह केवल सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के आधार पर हमारे सरकार के कार्यकाल में किये गये कामों को देख लें. चाहे केंद्र सरकार के माध्‍यम से, चाहे राज्‍य सरकार के माध्‍यम से, हर वर्ग के लिए काम हुए हैं. धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए हमारी सरकार के माध्‍यम से जगह ही नहीं है. यह सच है कि हमारी सरकार में कोई दंगे नहीं हुए, कोई विवाद नहीं हुए, कोई बवाल नहीं हुए, इससे विरोधी दल के लोगों को जरूर बेचैनी होती है. विकास के कार्य में अगर विपक्षी दलों को ध्रुवीकरण दिखाई देता है तो यह उनका दृष्टि दोष है.

सवाल – अखिलेश यादव का कहना है कि चुनाव के चलते मंदिर धीरे बन रहा है ?

जवाब- अखिलेश यादव को मंदिर की बात याद आ रही है. जैसे जैसे भाजपा की ताकत बढ़ती है, वैसे वैसे अखिलेश यादव हों या राहुल गांधी हों, चाहे कोई दल के नेता हों, उनको हिंदुओं की याद आनी शुरू हो जाती है. भाजपा हिंदू मुसलमानों में भेद नहीं करती है. भाजपा सबको साथ लेकर चलने का सामर्थ्य रखती है.

सवाल- आपने 2017 में 300 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया जो सच हुआ लेकिन पश्चिम बंगाल में आपका दावा सच नहीं हुआ?

जवाब- हम लोग पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर पहली बार चुनाव लड़े और तीन सीटों से हम 76 सीटों तक पहुंचे. अगर सीटों की तुलना में देखें तो यह उप्र से भी बड़ी विजय है. इसको लोग मान रहे थे कि भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है और हमें उम्मीद भी थी लेकिन परिस्थिति ऐसी बनी कि सरकार नहीं बनी. उप्र और पश्चिम बंगाल में बहुत अंतर है. उप्र में बूथ स्‍तर तक भाजपा का ऐसा संगठन है, जो हिमालय पर्वत की तरह अडिग खड़ा है और विरोधी दल के पास कोई संगठनात्मक तंत्र नही है. उनके पास केवल बयानबाजी है और केवल सोशल मीडिया का प्लेटफार्म है.

सवाल- आप उत्तर प्रदेश की जनता से क्या कहना चाहेंगे.

जवाब- जैसे जनता ने हमें 2014, 2017 और 2019 में आशीर्वाद दिया, वह उसी तरह 2022 में किसी विरोधी दल के बहकावे में आए बगैर फैसला करे. जब चुनावी मौसम आता है तो ये सक्रिय हो जाते. किसी की परिवार की सीमा है, किसी की जाति की सीमा है, किसी की तुष्टीकरण की सीमा है और किसी की अपराधियों और गुंडे को साथ लेकर चलने की सीमा है लेकिन सबके विकास का जो लक्ष्य है, वह भारतीय जनता पार्टी का है और विश्व की सबसे बड़ी पार्टी और सबसे बड़े नेता का मार्गदर्शन हमारे पास है. बाकी दलों में इसका अभाव है.

सवाल- उप्र में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है. क्या सच्चाई है?

जवाब- मंत्रिमंडल का विस्तार करना, न करना यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है और इस पर मुझे लगता है कि मेरी कोई टिप्पणी आवश्यक नहीं है.

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