scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमराजनीतिउद्धव की शिवसेना ने अयोध्या में चल रही 'मोदी रामायण' की आलोचना की- 'इसका राम से कोई लेना-देना नहीं है'

उद्धव की शिवसेना ने अयोध्या में चल रही ‘मोदी रामायण’ की आलोचना की- ‘इसका राम से कोई लेना-देना नहीं है’

कार्यक्रम से 2 दिन पहले उद्धव को मिला 'प्राण प्रतिष्ठा' का न्योता. हालांकि, नासिक में कालाराम मंदिर का दौरा करके वह राम जन्मभूमि अभियान में शिवसेना (यूबीटी) की भूमिका को उजागर करने के प्रयास का जारी रखे हुए है.

Text Size:

मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राम लला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए युद्ध के मैदान में बदलने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व सहयोगी बीजेपी की आलोचना की है. पार्टी ने कहा कि पीएम ने राजनीतिक लाभ के लिए अयोध्या में “मोदी रामायण” बनाई है.

पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, ”पीएम मोदी राम मंदिर प्रतिष्ठा के लिए पूजा, उपवास कर रहे हैं. खबर सामने आई कि मोदी जमीन पर चटाई बिछाकर सो रहे हैं. यह काफी मनोरंजक है.”

आगे उन्होंने कहा, “अयोध्या में बनाई गई नई ‘मोदी रामायण’ राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है, ऐसा लगता है कि वाल्मिकी, तुलसी, कबीर की रामायण सच नहीं है और इसके बजाय यह मोदी हैं जिन्होंने रामायण बनाई है.”

राम लला की प्रतिष्ठा ऐसे समय हुई है जब शिवसेना (यूबीटी) को पहचान की एक बड़ी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है, जिसने अपना मूल नाम और प्रतीक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के हाथों खो दिया है, जिन्होंने 2022 में पार्टी को विभाजित कर दिया था.

चूंकि उसने 2019 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, इसलिए शिवसेना (यूबीटी) को संस्थापक बाल ठाकरे द्वारा समर्थित हिंदुत्व के मुद्दे को कथित तौर पर छोड़ने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है.

हालांकि, पार्टी ने यह कहकर इस आलोचना को ख़ारिज करने की कोशिश की है कि उसने अभी-अभी बीजेपी छोड़ी है, हिंदुत्व नहीं.

जब से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ है, पार्टी को राम जन्मभूमि अभियान में शिवसेना द्वारा निभाई गई भूमिका पर जोर देने में परेशानी हो रही है.

पिछले हफ्ते दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद की चार्जशीट में उनके और बाल ठाकरे के नाम का उल्लेख किया गया था.

उन्होंने कहा, “वे इस मंदिर में शिवसेना के योगदान को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं?”

अगस्त 2020 में राम मंदिर भूमिपूजन के दिन, तत्कालीन अविभाजित सेना ने हैशटैग “धन्यवाद बालासाहेब” के साथ बाल ठाकरे को धन्यवाद देने के लिए एक सोशल मीडिया अभियान चलाया.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) का नेतृत्व करने वाले उद्धव ठाकरे को शुरू में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था और उन्हें कार्यक्रम से दो दिन पहले शनिवार को ही उनका निमंत्रण मिला था.

हालांकि, वह नासिक के पंचवटी में कालाराम मंदिर जाने की अपनी मूल योजना पर अड़े रहे, जहां माना जाता है कि राम अपने वनवास के दौरान सीता और लक्ष्मण के साथ रुके थे.


यह भी पढ़ेंः राम मंदिर निर्माण दिखाता है कि एक घायल सभ्यता चोट से उबरने की कोशिश कर रही है, मुस्लिमों को इससे फायदा होगा


नासिक में उद्धव

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि मोदी “अपनी रामायण” से देश को “500 साल पीछे” ले गए हैं, “मोदी रामायण का भगवान राम के जीवन, उनके चरित्र, राम राज्य, सत्य, धैर्य और साहस से कोई संबंध नहीं है”. संपादकीय में लिखा गया है, ”उनकी (मोदी की) रामायण केवल उन्हीं के पास रह सकती है.”

इस बीच, उद्धव की नासिक की दो दिवसीय यात्रा से पहले, सेना (यूबीटी) ने एक टीज़र वीडियो जारी किया जिसमें पंचवटी और कालाराम मंदिर के महत्व को समझाने की कोशिश की गई. साथ में दिए गए संदेश में कहा गया, ”आइए हम राम राज्य वापस लाने का संकल्प लें.”

ठाकरे सोमवार शाम मंदिर में महाआरती करेंगे.

नासिक में मीडिया से बात करते हुए राउत ने कहा, “आदर्श रूप से, यह भगवान राम का जश्न मनाने का एक अवसर है, लेकिन भाजपा ने इसे एक राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया है. यह (प्राण प्रतिष्ठा) भाजपा के निजी कार्यक्रम की तरह लग रहा है क्योंकि केवल वे ही लोग मौजूद हैं जिन्हें उन्होंने आमंत्रित किया है.”

उन्होंने कहा, भगवान राम जितने अयोध्या के हैं, उतने ही पंचवटी के भी हैं.

उन्होंने यहां पंचवटी में संघर्ष किया और अयोध्या में शासन किया. इसलिए, हमने आरती करने के लिए पंचवटी को चुना. मंदिर निर्माण में शिवसेना के योगदान को बदनाम नहीं किया जा सकता है.”

राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने कहा कि उद्धव की पंचवटी यात्रा से जनता में अपेक्षित संदेश जाने की संभावना है.

उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे का कालाराम मंदिर जाने का निर्णय एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय है. आज वह और कुछ नहीं कर सकते थे और उन्हें यह साबित करना था कि उन्होंने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है, इसलिए कालाराम मंदिर का दौरा करना और वहां आरती करना, एक संदेश जनता तक पहुंचेगा”

उद्धव की नासिक यात्रा के दूसरे दिन, जो कि सेना के संरक्षक बाल ठाकरे की जयंती है, शिव सेना (यूबीटी) ने राज्य भर से कार्यकर्ताओं की एक सभा आयोजित की है. यहां, उद्धव 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी का अभियान शुरू करने की योजना बना रहे हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः राम लला घर आ गए हैं, यह जश्न मनाने का समय है, अयोध्या आंदोलन की कड़वाहट को भूल जाइए 


 

share & View comments