scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमराजनीतिबुकी के साथ उद्धव और नौका पर फडणवीस- महाराष्ट्र के नेता 'फोटो वारफेयर' से क्यों हैं सावधान

बुकी के साथ उद्धव और नौका पर फडणवीस- महाराष्ट्र के नेता ‘फोटो वारफेयर’ से क्यों हैं सावधान

महाराष्ट्र के फोटो संग्राम में हालिया विवाद बुकी अनिल जयसिंघानी के साथ उद्धव ठाकरे का एक वायरल शॉट है. लेकिन 'फोटो पॉलिटिक्स' का यह पहला उदाहरण नहीं है.

Text Size:

मुंबई: 2015 में, एक बार महाराष्ट्र में भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के सामने काफी असहज स्थिति आ गई, जब एक पत्रकार ने उनसे एक स्थानीय गैंगस्टर के रिश्तेदार के साथ उनकी एक तस्वीर के बारे में सवाल किया.

मंत्री ने दिप्रिंट को याद करते हुए बताया, ‘उस विशेष कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं (पार्टी कार्यकर्ताओं) की भीड़ थी. मैं उन आधे लोगों को नहीं जानता था जिनके साथ मैं फोटो खिंचवा रहा था. मैंने तुरंत एक पार्टी कार्यकर्ता को बुलाया और पूछताछ की. यह पता चला कि जिस व्यक्ति के बारे में सवाल किया गया था, उसके महाराष्ट्र के हर बड़े राजनेता के साथ फोटो थे.’

भाजपा मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी तस्वीरें पत्रकार को यह कहते हुए भेजीं, ‘अगर आप मेरी तस्वीर प्रकाशित करते हैं, तो बाकी की भी प्रकाशित करें’.

बात वहीं खत्म हो गई. भले ही उस समय यह एक अलग घटना रही होगी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह महाराष्ट्र में राजनीतिक वारफेयर का एक जाना-माना तरीका बन गई है.

सभी पार्टियां ऐसा करती हैं, यहां तक कि सभी दलों के राजनेता इस ‘फोटो की राजनीति’ की निंदा करते हैं. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी इस महीने की शुरुआत में ऐसा ही किया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

राउत उस विवाद का जवाब दे रहे थे जो वायरल हुई एक तस्वीर को लेकर उनकी पार्टी और भाजपा के बीच विवाद छिड़ गया था. सट्टेबाज अनिल जयसिंघानी की बेटी अनीक्षा के खिलाफ डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता की एफआईआर के विवाद के बीच एक तस्वीर आई. इस तस्वीर में जयसिंघानी और उनके बेटे अक्षन शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे का अभिवादन करते हुए नजर आ रहे थे.

फोटो में न तो कोई तारीख थी, न ही कोई संदर्भ, लेकिन इससे जयसिंघानियों के साथ ठाकरे के जुड़ाव को लेकर काफी हो- हल्ला मच गया. आरोप लगाया गया कि बुकी ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गया था.

शिवसेना (यूबीटी) ने साफतौर पर इन आरोपों का खंडन नहीं किया, लेकिन इसके जवाब में पार्टी प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने 1993 के बम विस्फोटों के दोषी समीर हिंगोरा के बेटे दानिश हिंगोरा के साथ अमृता फडणवीस की एक तस्वीर ट्विटर पर जारी की.

साथ ही उन्होंने लिखा, ‘जो लोग किसी के साथ भी किसी की भी फोटो दिखा रहे हैं और स्क्रिप्टेड स्टोरीज शेयर कर रहे हैं, वो इस फोटो को ठीक से देखें और उसी के मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया दें.’

दिप्रिंट ने जिन राजनेताओं से बात की, उन्होंने भी स्वीकार किया कि ‘फोटो वारफेयर’ की इस प्रवृत्ति ने सार्वजनिक जीवन को थोड़ा अधिक तनावपूर्ण बना दिया है, जिससे कुछ नेता ज्यादा सतर्क हो गए हैं. शिवसेना (यूबीटी) विधान परिषद सदस्य मनीषा कयांडे ने कहा कि यह भाजपा ही थी जिसने ‘2014 के चुनावों से पहले प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए अपने आईटी सेल का इस्तेमाल करके यह सब शुरू किया था’.

उन्होंने कहा, ‘आखिरकार, यह उनकी ही पार्टी के नेताओं को डसने के लिए वापस आ गया है.’


यह भी पढे़ं: राहुल गांधी की सदस्यता गई, अब बंगला भी जाएगा – आखिर कितना लंबा चलेगा ये विवाद


‘तस्वीरें लेने से सावधान, स्मार्टफोन सबसे बड़ा दुश्मन’

यह 2015 की एक तस्वीर थी, उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे. इस तस्वीर में वह अपनी पत्नी अमृता और बेटी दिविजा के साथ एक नौका पर आराम कर रहे थे. हालांकि यह तस्वीर काफी पहले की गई यात्रा की थी, लेकिन भेजने वालों ने इसे फडणवीस की हाल की संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के रूप में पेश करने की कोशिश की थी.

सीएम कार्यालय ने तुरंत एक खंडन जारी किया और मुंबई पुलिस ने भाजपा के एक सदस्य की शिकायत के आधार पर, नागपुर स्थित कांग्रेस कार्यकर्ता अजय हापतेवार के खिलाफ एफआरआई दर्ज की थी.

2016 की फडणवीस की एक और तस्वीर ने तूफान खड़ा कर दिया था. वह उस समय मुख्यमंत्री थे और गृह विभाग संभाल रहे थे. इस तस्वीर में वह पुणे के एक बाबा बोडके के साथ नजर आ रहे थे. बोडके के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, जिनमें उनके खिलाफ कथित हत्या के मामले भी शामिल हैं.

तब विपक्ष ने फडणवीस पर निशाना साधते हुए पूछा कि एक अपराधी उनके आधिकारिक बंगले तक कैसे पहुंच सकता है. इसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा था कि फडणवीस को व्यक्ति की पृष्ठभूमि के बारे में पता नहीं था.

भाजपा मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दिप्रिंट को बताया कि किसी एक पार्टी को निशाना बनाना अनुचित है. स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने राजनीति के तरीके बदल दिए हैं. विधान भवन के केबिन में 2 मिनट के फोटो सेशन से वे अभी निकले ही थे कि कम से कम 15 लोग उनसे मिलने और ज्ञापन देते हुए तस्वीर खिंचवाने आ गए.

महाराष्ट्र के वन, सांस्कृतिक मामलों और मत्स्य पालन मंत्री मुनगंटीवार ने कहा, ‘यह उन सैकड़ों तस्वीरों में से एक है जो हमें हर हफ्ते लोगों के साथ लेनी होती है, और हर किसी की पृष्ठभूमि की जांच करना नामुमकिन है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हम तस्वीर खिंचवाने के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं, तो हमें अहंकारी करार दिया जाएगा.’

कांग्रेस नेता अनंत गाडगिल ने कहा कि पुरानी तस्वीरों और अनुमान लगाने के साथ एक-दूसरे पर हमला करने का यह चलन महाराष्ट्र में राजनीति के बिगड़ते स्तर का एक और लक्षण है.

गाडगिल राजनीति के इस ब्रांड से इतने सावधान हैं कि उन्होंने अपने पुणे आवास पर अपने सभी बैठक कक्षों में कांच के दरवाजे लगवाए हैं ताकि बातचीत निजी होने के साथ-साथ इस बात पर भी पारदर्शिता रहे कि वे किससे मिलते हैं और क्या होता है.

एक महिला विधायक, जो अपनी पार्टी, अपना नाम या पहचान नहीं बताना चाहती थीं, ने कहा कि वह अब जनता के साथ तस्वीरें लेने को लेकर सतर्क रहती हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘कई बार होता है जब कोई आपको रेलवे स्टेशन या बाजार में पहचान लेता है और एक सेल्फी लेने का अनुरोध करने लगता है. आज जैसा हो रहा है उसे देखते हुए, अब मैं ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करने के बारे में सतर्क रहती हूं. हालांकि इससे लोग निराश हो जाते हैं, लेकिन इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है.’

‘तस्वीरों की राजनीति’

सभी राजनीतिक दल या तो इस प्रवृत्ति के समर्थक या पीड़ित या दोनों रहे हैं.

जुलाई 2022 में, एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ दिनों बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार को उनके आवास पर गुलदस्ता भेंट करते हुए उनकी एक तस्वीर वायरल हुई. यह घटनाक्रम शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी (एमवीए)- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन- को गिराने के कुछ दिनों बाद सामने आया था.

बड़े पैमाने पर एनसीपी के साथ मतभेदों के कारण एमवीए से बाहर हो गए शिंदे खेमे के विधायकों के बीच पर्याप्त अनिश्चितता के समय यह तस्वीर नुकसानदायक साबित हो सकती थी.

इसने शिंदे को यह साफ करने के लिए मजबूर किया कि ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है और फोटो नवंबर 2021 की थी.

इसी तरह 2021 में, कॉर्डेलिया ड्रग भंडाफोड़ और अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन की गिरफ्तारी को लेकर एनसीपी के नवाब मलिक और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी की मलिक ने एक कथित ड्रग पेडलर जयदीप राणा के साथ अमृता फडणवीस की एक तस्वीर ट्वीट की थी. तस्वीर के साथ मलिक ने कहा, चलो आज बीजेपी और ड्रग पेडलर के रिश्ते पर चर्चा करते हैं.

अमृता ने कहा था कि संबंधित व्यक्ति को रिवर मार्च एनजीओ के अपने कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था.

उसी साल भाजपा के सदस्यों और समर्थकों ने बिना संदर्भ के उर्दू बिलबोर्ड पर आदित्य ठाकरे की एक पुरानी तस्वीर का इस्तेमाल यह आरोप लगाने के लिए किया था कि वह मुसलमानों का तुष्टीकरण कर रहे हैं और मराठी अस्मिता (गौरव) को अलविदा कह रहे हैं, जिसके लिए उनकी पार्टी पारंपरिक रूप से खड़ी रही है.

बिलबोर्ड 2019 का था जब जूनियर ठाकरे ने वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. यह एक अभियान का हिस्सा था जहां नेता अलग-अलग समुदायों से अपील कर रहे थे कि मराठी, हिंदी और गुजराती में भी ऐसा ही एक समुदाय हो.

दिप्रिंट से बात करते हुए एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि स्मार्टफोन और राजनीति में उनके इस्तेमाल ने राजनेताओं के लिए उनके व्यक्तिगत जीवन तक को मुश्किल बना दिया है.

महा विकास अघाड़ी सरकार के पूर्व मंत्री आव्हाड ने कहा, ‘हो सकता है मैं रात के खाने के लिए अपने पुराने सहपाठी से मिलने गया हूं. लेकिन, कोई हमारी एक रेस्तरां से बाहर आने की तस्वीर ले सकता है, इसे एक अलग संदर्भ में सोशल मीडिया पर डाला जा सकता है और नुकसान हो सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन में स्मार्टफोन हमारे सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं. लेकिन, इसने मुझे एक राजनेता के रूप में नहीं बदला है. मैं अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा निडर और खुला रहा हूं और आगे भी रहूंगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद- संघप्रिया मौर्या | संपादन- इन्द्रजीत)


यह भी पढे़ं : वैश्विक संकट के माहौल में आदिवासियों का नजरिया नई राह दिखा सकता है, उनकी आवाज सुनी जाए


 

share & View comments