नई दिल्ली: कर्नाटक-महाराष्ट्र का सीमा विवाद मुद्दा गर्म है. मंगलवार को शिंदे सरकार की तरफ से राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया, जो कि सर्वसम्मति से पारित हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इसका समर्थन किया और उन्होंने यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) की मांग दोहराई.
प्रस्ताव ने सीमा क्षेत्र में मराठी विरोधी रुख के लिए कर्नाटक प्रशासन की भी निंदा की गई.
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हमने प्रस्ताव का समर्थन किया है. महाराष्ट्र के पक्ष जो भी होगा, हम उसका समर्थन करेंगे. लेकिन कुछ सवाल हैं. 2 साल से लोग (सीमा के एरिया में रहने वाले) उन्हें महाराष्ट्र शामिल करने की मांग कर रहे हैं, हम इसको लेकर क्या कर रहे हैं.
We supported today's resolution. Whatever happens in favour of Maharashtra, we'll support it. But there're some questions. For over 2 years, people (living in border areas) are demanding to include them in Maharashtra, what are we doing about that: Ex Maharashtra CM U Thackeray pic.twitter.com/QRCTcDIiEn
— ANI (@ANI) December 27, 2022
उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज सरकार ने जवाब दिया कि विवादित क्षेत्र को UT घोषित नहीं किया जा सकता जैसा कि 2008 में SC ने कहा था. हालांकि, हालात अब तब जैसे नहीं हैं. कर्नाटक सरकार इसका पालन नहीं कर रही है. वे वहां विधानसभा सत्र का आयोजन कर रहे हैं, बेलगावी नाम बदल दिया है. लिहाजा, हमें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और अदालत से इसे यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) घोषित करने की मांग करनी चाहिए.
सोमवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य विधान परिषद में बोलते हुए कहा था कि महाराष्ट्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.
‘यह केवल भाषा और सीमा का मामला नहीं है, बल्कि ‘मानवता’ का मामला है. जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, तब तक कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र को केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.’
ठाकरे ने आगे कहा था कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले मराठी लोगों के साथ ‘अन्याय’ हुआ है.
वहीं इससे पहले सीएम एकनाथ शिंदे राज्य विधानसभा में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर एक प्रस्ताव लेकर आए. विधानसभा में यह सर्वसम्मति से पास हो गया.
सीएम द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को केंद्रीय गृहमंत्री के साथ बैठक में लिए गए निर्णय को लागू करने के लिए कर्नाटक सरकार से आग्रह करना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी लोगों की सुरक्षा की गारंटी देने के लिए सरकार को समझाना चाहिए.
प्रस्ताव के अनुसार महाराष्ट्र सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी लोगों के साथ खड़ी होगी और यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ेगी कि ये क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बने.
यह भी पढ़ें: मोदी 2021 की हार के बाद पहली बार कोलकाता में होंगे, राज्य BJP में उत्साह बढ़ने की उम्मीद