नई दिल्ली: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े ने गुरुवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पूर्वी अंधेरी सीट पर अगले महीने होने वाले उपचुनाव से पहले दोनों गुटों से संबंधित उसके हालिया फैसलों पर आपत्ति जताई है.
पत्र में, ठाकरे के वकील ने कहा कि ईसी के कई संचार और कार्यों ने ‘प्रतिवादी के दिमाग में पूर्वाग्रह की गंभीर आशंका’ (उद्धव ठाकरे गुट) को जन्म दिया है. एकनाथ शिंदे ने इस साल की शुरुआत में शिवसेना में फूट के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
दोनों समूह शिवसेना के ‘धनुष और तीर’ पर पूर्वी अंधेरी से चुनाव लड़ रहे हैं, जिस पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है और उन्हें नए नाम और नए प्रतीक दिए हैं.
चुनाव आयोग ने मंगलवार को शिवसेना के एकनाथ शिंदे धड़े को ‘दो तलवारें और ढाल का चुनाव चिन्ह’ और उपचुनाव से पहले ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को ‘ज्वलंत मशाल’ (मशाल) चुनाव चिन्ह और ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ का नाम आवंटित किया गया था.
पोल पैनल ने पहले प्रतिद्वंद्वी समूहों को ‘धनुष और तीर’ के प्रतीक का उपयोग करने से रोक दिया था.
उद्धव ठाकरे गुट के पत्र ने पार्टी को अंतरिम चुनाव चिन्ह और नाम आवंटित करने के मामले में उसके हालिया फैसलों पर आपत्ति जताई है.
पत्र में लिखा गया, ‘यह आयोग द्वारा प्रतीकों के आवंटन के संबंध में निर्णय लेने से पहले और संभवतः याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तावित प्रतीकों और नामों की अपनी सूची प्रस्तुत करने से पहले भी किया गया था, इस प्रकार याचिकाकर्ता और उसके समूह को प्रतिवादी पर स्पष्ट अनुचित लाभ दिया गया था.’
ठाकरे गुट ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने चुनाव चिन्ह और पार्टी के नामों को वरीयता देते हुए अपने पत्र को चुनाव प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था, जिससे यह प्रतिद्वंद्वी गुट सहित सभी के लिए उपलब्ध हो गया.
पत्र में दावा किया कि शिंदे गुट ने ‘बहुत ही समझदारी से’ नाम की और प्रतीकों पसंद ठाकरे गुट के समान दी थी.
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