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Friday, 22 November, 2024
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कोरोना और श्रमिकों को लेकर योगी के 2 दिनों में आए दो बयानों ने विपक्ष को सवाल उठाने का मौका दिया

योगी ने अपने बयान में साफ कहा है राज्य सरकारें बिना हमारे परमिशन के हमारे लोगों को लेकर नहीं जाएंगी, क्योंकि कुछ राज्यों में जो लोगों की दुर्गति हुई है उसे देखते हुए हम इनकी सोशल सेक्युरिटी की गारंटी अपने हाथों में लेने जा रहे हैं.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रवासी मजदूरों को लेकर दिए अपने दो बयानों को लेकर चर्चा में हैं.  इन्हीं बयानों को विपक्षी पार्टियां मुद्दा बनाने में जुट गई हैं और योगी सरकार पर हमलावर हैं.

सीएम योगी ने बीते रविवार को कहा, ‘दूसरे राज्यों को यूपी के श्रमिकों से काम कराने से पहले राज्य से इजाजत लेनी पड़ेगी.’ वहीं सोमवार को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में वह बोले, ‘मुंबई से आने वाले 75% कामगारों को संक्रमण है, दिल्ली से आने वालों 50% कामगारों में संक्रमण है.’

इन दोनों बयानों को लेकर विपक्षी दल उन्हें घेरने में जुट गए हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी के श्रमिकों से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए कहा, ‘श्रमिक किसी की निजी संपत्ति नहीं है. उत्तर प्रदेश से कोई भी कहीं काम करने जा सकता है. वे चाहे महाराष्ट्र जाएं, दिल्ली आएं या पंजाब जाएं.’ उन्होंने कहा कि भारत के किसी भी नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में अपने भविष्य को संवारने के लिए जाने का अधिकार है.

वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने योगी के बयान के बाद  कहा, ‘अगर उत्तर प्रदेश सरकार से परमिशन लेने की ज़रूरत पड़ेगी, तो जो मज़दूर महाराष्ट्र में काम के लिए एंट्री लेना चाहते हैं तो उन्हें भी महाराष्ट्र सरकार से मंज़ूरी लेनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए.’

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क्या था योगी का बयान

योगी आदित्यनाथ ने बीते रविवार को कहा, ‘उत्तर प्रदेश के अंदर जितनी भी मैनपॉवर हमारी है, इन सबकी स्किल मैपिंग के साथ-साथ कमिशन का गठन करके व्यापक स्तर पर रोज़गार उत्तर प्रदेश के अंदर उपलब्ध कराने की कार्रवाई सरकार कर रही है.’

वह आगे कहते हैं, ‘अब अगर किसी सरकार को मैनपॉवर चाहिए, तो इस मैनपॉवर को सोशल सिक्युरिटी की गारंटी राज्य सरकार देगी, उनका बीमा कराएगी, उनको हर तरह से सुरक्षा भी दी जाएगी.’


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योगी ने अपने इस बयान में साफ कर दिया, ‘राज्य सरकारें बिना हमारे परमिशन के हमारे लोगों को लेकर नहीं जाएंगी, क्योंकि कुछ राज्यों में जो लोगों की दुर्गति हुई है, जिस प्रकार का व्यवहार हुआ है उसको देखते हुए हम इनकी सोशल सेक्युरिटी की गारंटी अपने हाथों में लेने जा रहे हैं. इसके लिए मैंने आज एक कमिशन बनाने की व्यवस्था की है.’

वहीं दूसरा विवाद सीएम योगी के कोरोना संक्रमण को लेकर दिए गए बयान पर छिड़ा है. योगी ने कहा,’मुंबई से आने वाले जो भी कामगार हैं उनमें से 75 फ़ीसदी ऐसे हैं जिनमें संक्रमण है. दिल्ली से आने वाले कामगारों में0 50 फ़ीसदी ऐसे हैं जिनमें संक्रमण है. अन्य राज्यों से आने वालों में 20 से 30 फीसदी लोग व्यापक संक्रमण की चपेट में हैं.”

इस पर कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- ‘यूपी के मुख्यमंत्री जी का ये बयान सुना.सरकार के आंकड़ों के अनुसार लगभग 25 लाख लोग यूपी वापस आ चुके हैं.मुख्यमंत्रीजी के बयान के आधार पर इनमें से महाराष्ट्र से लौटे हुए 75%, दिल्ली से लौटे हुए 50% और अन्य प्रदेशों से लौटे 25% लोग कोरोना से संक्रमित है. क्या मुख्यमंत्री जी का मतलब है कि उप्र में 10 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं? मगर उनकी सरकार के आंकड़े तो संक्रमण की संख्या 6228 बता रहे हैं.’

प्रियंका ने ट्वीट में पूछा, ‘उनके द्वारा बताए गए संक्रमण के आंकड़े का आधार क्या है? लौटे हुए प्रवासियों में संक्रमण का ये प्रतिशत आया कहां से? और यदि ऐसा है तो इतने कम टेस्ट क्यों हो रहे हैं? या ये आंकड़े यूपी सरकार के अन्य आंकड़ों की तरह ही अप्रमाणित और गैर ज़िम्मेदार हैं ?’

यूपी में कांग्रेस की महासचिव ने कहा, ‘अगर मुख्यमंत्री के बयान में सच्चाई है तो सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ टेस्टिंग, संक्रमण के डेटा और अन्य तैयारियों को जनता से साझा करे और यह भी बताए कि संक्रमण पर क़ाबू पाने की क्या तैयारी है? ‘


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योगी के मजदूरों के संक्रमण वाले बयान पर सूबे के पूर्व सीएम व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हमला बोला, ‘मुख्यमंत्री जी की ‘दिव्य राजनीतिक गणित’ के हिसाब से यदि मुंबई-महाराष्ट्र से लौटे 75%, दिल्ली से लौटे 50% अन्य राज्यों से लौटे 25% लोग कोरोना-संक्रमित हैं तो फिर पचीसों लाख लौटे लोगों को मिलाकर उप्र में कोरोना का प्रकाशित आँकड़ा कुछ हजार ही क्यों है.कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है.

सरकार की ओर से कोई सफाई नहीं

योगी के दोनों ही बयानों पर सरकार की ओर से अभी तक सफाई में कोई भी बयान जारी नहीं किया गया है. दूसरे राज्यों की सरकारों को श्रमिकों को नौकरी देने के लिए कैसे यूपी सरकार से इजाजत लेनी होगी, उसका क्या तरीका होगा इसको लेकर भी अभी कुछ स्पष्ट नहीं है .

वहीं कोरोना संक्रमण पर मुंबई से आए श्रमिकोॆ को लेकर सीएम योगी के बयान पर भी कोई टिप्पणी नहीं आई है. जबकि यूपी सरकार की ओर से जारी किए आंकड़ों में कोरोना संक्रमित की संख्या 6497 बताई जा रही है. जबकि 24 लाख से ऊपर श्रमिक यूपी आ चुके हैं. इनमें अधिकतर महाराष्ट्र, गुजारत व दिल्ली से हैं. ऐसे में अगर अधिकतर श्रमिक संक्रमित हैं तो सरकारी आंकड़ो में उसका असर क्यों नहीं दिख रहा इसको लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा है.

वहीं बीजेपी के यूपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने सीएम योगी के बयानों पर उठ रहे सवालों पर विपक्ष पर निशाना साधा है. दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘दोनों बहन-भाई (राहुल-प्रियंका) खुद कन्फ्यूज हैं.’


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वह आगे कहते हैं, ‘एक तरफ प्रियंका गांधी महाराष्ट्र से आ रहे श्रमिकों का मामला उठा रही हैं तो दूसरी तरफ उनके भाई राहुल कह रहे हैं कि वहां की सरकार में कांग्रेस को कोई महत्वपूर्ण रोल नहीं है.’

डॉ. चंद्रमोहन ने दिप्रिंट से यह भी कहा,’ योगी जी लगातार प्रवासियों के लिए काम कर रहे हैं, उनके रोजगार की व्यवस्था बनाने में जुटे हैं. उनके बयान का एक हिस्सा वायरल कांग्रेस भ्रम फैला रही है.’ ‘पहले कांग्रेस अपने नेताओं का कन्फ्यूजन दूर करना चाहिए. योगी सरकार काम पर फोकस कर रही है वहीं विपक्ष राजनीति में जुटा हुआ है.’

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