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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'महामारी में कोविड के कर्व की जगह विरोध फ्लैट करना केंद्र की प्राथमिकता'- कन्हैया, उमर, मेवानी ने छात्रों की गिरफ्तारी पर सरकार को घेरा

‘महामारी में कोविड के कर्व की जगह विरोध फ्लैट करना केंद्र की प्राथमिकता’- कन्हैया, उमर, मेवानी ने छात्रों की गिरफ्तारी पर सरकार को घेरा

दिल्ली दंगों और सीएए-एनआरसी प्रदर्शनों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में हुई जामिया-जेएनयू के छात्रों की गिरफ़्तारी का जिग्नेश, आयशी, उमर और कन्हैया ने विरोध किया.

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों की हाल ही में हुई गिरफ्तारी पर सीपीआई के नेता कन्हैया कुमार, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी समेत कई अन्य लोगों ने जूम एप के जरिए केंद्र सरकार पर लॉकडाउन की आड़ में बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया.

‘छात्र देश के दुश्मन नहीं है’ विषय पर सभी लोग जूम एप पर बात कर रहे थे. इस बातचीत में जेएनयू की वर्तमान अध्यक्ष आयशी घोष को भी शामिल होना था लेकिन वो तकनीकी कारणों से इससे जुड़ नहीं पाई. हालांकि उन्होंने इस बातचीत का समर्थन किया है.

अगर अभी कुछ किया तो नेहरू की तरह सारा ठीकरा हम पर फोड़ देगी सरकार: कन्हैया कुमार

हाल में हुई गिरफ्तारियों और कोरोना संकटकाल में लोगों की मदद से जुड़ी गतिविधियों से दूर रहने से जुड़े एक सवाल पर कन्हैया ने कहा, ‘अगर हम अभी कुछ करेंगे तो लॉकडाउन तोड़ने का आरोप लगाकर नेहरू की तरह हर आफत का ठीकरा हमारे ऊपर फोड़ दिया जाएगा.’

वर्चुअल बातचीत के दौरान केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘खिसियानी भाजपा छात्र नोचे’.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को लगता है कि छात्रों को जेल में डालेंगे तो बाकी छात्र डर जाएंगे. लॉकडाउन और कोरोना महामारी अपनी जगह है. सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का तरीका खोजना होगा.’

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हालांकि, कॉन्फ्रेंस में मौजूद किसी ने भी ये नहीं कहा कि इन गिरफ़्तारियों के ख़िलाफ़ वो क्या कदम उठाने वाले हैं.

भीमा कोरेगांव से दिल्ली तक हो रहा ‘गुजरात मॉडल’ का इस्तेमाल: मेवानी

गुजरात के वड़गाम विधानसभा से विधायक जिग्नेश मेवानी ने वर्चुअल बातचीत में कहा, ‘अब तो भारत की 80 करोड़ जनता के पास सड़क पर उतरने का कारण है.’

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से रोज़गार गए हैं और जैसे भोजन पर आफत आने वाली है, जनता सड़क पर उतरेगी और जब ऐसा होगा तब हम उनके साथ होंगे.’


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छात्रों की गिरफ़्तारी पर उन्होंने कहा, ‘केंद्र और दिल्ली पुलिस लॉकडाउन का फायदा उठा रही है.’ उन्होंने ‘जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी’ के मीरान हैदर और सफुर ज़रगर के अलावा ‘पिंजरा तोड़’ वाली जेएनयू छात्राएं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल समेत अन्य की गिरफ़्तारी को भीमा कोरेगांव मामले में हुई गिरफ़्तारियों से जोड़ते हुए इसे ‘गुजरात मॉडल’ बताया.

मेवानी के मुताबिक इस ‘मॉडल’ में पहले एक ‘स्क्रिप्ट’ पुलिस को दी जाती है और पुलिस उसके हिसाब से आगे की ‘कहानी’ पर काम करती है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसका डर जताया गया कि अगर ऐसी गिरफ़्तारियों का विरोध नहीं हुआ तो सरकार हर प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए यही ‘मॉडल’ अपनाएगी.

महामारी में कर्व फ़्लैट नहीं विरोध फ्लैट करना केंद्र की प्राथमिकता: उमर ख़ालिद

बातचीत में कहा गया कि लॉकडाउन के दो महीने बाद कोविड-19 के मामले 1.45 लाख़ के पार चले गए हैं. प्रवासी मज़दूर भूखे मर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार की प्राथमिकता कुछ और ही है.

इसपर उमर ख़ालिद ने कहा, ‘ऐसी महामारी और आर्थिक संकट के दौर में केंद्र ने अपनी ‘प्राथमिकता’ दिखाई है.’

उन्होंने कहा, ‘कर्व की जगह केंद्र सरकार का ज़ोर विरोध फ्लैट करने पर है. छात्रों को गिरफ़्तार करने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे विलफ़ुल डिफ़ॉल्टरों को क्यों नहीं गिरफ़्तार करते?’

ख़ालिद ने पूछा, ‘गोली मारो सा* को’ जैसे नारे के बाद जामिया में गोली चला गई फिर भी अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा पर एफ़आईआर क्यों नहीं हुई.’ ख़ालिद के मुताबिक गिरफ़्तार लोगों के ख़िलाफ़ मामले इतने कमज़ोर हैं कि सब छूट जाएंगे. लेकिन उन्हें जो समय बिना बेल के जेल में बिताना पड़ेगा वो असली सज़ा होगी.

उनके मुताबिक, ‘ऐसी सज़ा के ज़रिए सरकार विरोधियों को संदेश देना चाहती है.’

‘संकट में घिरने पर सांप्रदायिकता का सहारा लेगी केंद्र सरकार’

स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन के नेशनल सेक्रेटरी फ़वाज़ शाहीन ने कहा, ‘हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में भी सीएए विरोधी प्रदर्शन हुए, लेकिन तेलंगाना पुलिस ने कभी दिल्ली पुलिस की तरह हिंसा या गिरफ़्तारियां नहीं की.’

उन्होंने, ‘दिल्ली पुलिस को ‘केंद्र की कठपुतली’ करार दिया.’

उन्होंने कहा, ‘आतंक की धारा लगाकर दिल्ली में मुसलमानों को उठाने का जो काम हो रहा है वैसा बॉम्बे दंगों से लेकर गोधरा दंगों तक हुआ है.’ ‘आंतकवाद की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर संसद में हैं और छात्र जेलों में, ये विच हंटिंग नहीं तो क्या है?’


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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आउटगोइंग प्रेसिडेंट सलमान इम्तियाज़ ने कहा, ‘सीएए विरोधी प्रदर्शनों में सरकार ने घुटने टेक दिए थे लेकिन महामारी आ गई और सरकार इसका नाजायज़ फ़ायदा उठा रही है.’

अन्य पार्टियों को घेरते हुए उन्होंने कहा, ‘विपक्षी भी उतने ही दोषी है क्योंकि वो भी इन गिरफ़्तारियों पर ख़ामोश हैं.’

कॉन्फ्रेंस में शामिल लोगों ने इसकी आशंका जताई की ये यहीं नहीं रुकेगा. तबलीगी जमात और छात्रों की गिरफ़्तारी के मामलों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘जब-जब सरकार पर कोरोना महामारी को संभालने से जुड़ा संकट आएगा, तब तब वो हिंदू-मुसलमान के मुद्दे उछालेंगी और ऐसी गिरफ्तारियों से ध्यान भटकाने की कोशिश करेंगी.’

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