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Thursday, 21 November, 2024
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एक अध्ययन में हुआ खुलासा 18,000 भाजपा के और 147 कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट ‘फर्जी खबर’ फैला रहे हैं

एक अध्ययन जो कि अभी चल रहा है यह सोशल मीडिया पोर्टल रेडइट के उपयोगकर्ता द्वारा संचालित किया गया है जो उपयोगकर्ता के नाम m/u/onosmosis द्वारा उन खातों तक पहुंचता है.

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नई दिल्ली : एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कांग्रेस के लिए प्रोपोगंडा और ‘फर्जी खबर’ फ़ैलाने के लिए एक ट्विटर अकाउंट की तुलना में भाजपा के लिए 120 ट्विटर अकाउंट का उपयोग किया जाता है.

इस अध्ययन को सोशल मीडिया पोर्टल रेडइट के एक उपयोगकर्ता द्वारा किया गया है, जो अपना नाम नहीं बताना चाहता है. ऑनलाइन गलत सूचनाओं के रुझानों की पहचान करने के लिए उपयोगकर्ता ने लाखों असत्यापित ट्विटर खातों का विश्लेषण किया है.

एक एल्गोरिथ्म की मदद से संचालित एक स्पष्ट राजनीतिक झुकाव के साथ लगभग 4 लाख ट्विटर खातों की पहचान कर यह अध्ययन शुरू किया गया. उपयोगकर्ता के वेबपेज UrbanNazi.com पर प्रकाशित शोध के अनुसार, इन खातों में से लगभग 1.2 लाख समर्थक कांग्रेस और 2.7 लाख समर्थक भाजपा के रूप में पहचाने गए हैं.

अध्ययन में गलत सूचना और प्रचार के स्रोतों के रूप में कार्य करने वाले ऐसे कई खातों की पहचान की है, जिसमें 17,779 खाता भाजपा समर्थक के रूप में पहचाने गए हैं और कांग्रेस के 147 अकाउंट हैं.

 कैसे किया गया अध्ययन

ट्रोल हमलों के डर से इस रिपोर्ट के लिए यह व्यक्ति (कमल परिवर्तित नाम) नाम नहीं बताना चाहता है. उसने दिप्रिंट को बताया कि वह सामग्री प्रबंधन के लिए प्लेटफॉर्म विकसित करने वाले एक टेक स्टार्ट-अप में एक सॉफ्टवेयर विश्लेषक के रूप में काम करता है.

अध्ययन में असत्यापित राजनीतिक झुकाव वाले ट्विटर खातों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, कमल के अनुसार, ‘असत्यापित खाते सत्यापित खातों की तुलना में अधिक मात्रा में घृणा, दुर्व्यवहार और गलत जानकारी वाले ट्वीट प्रकाशित करते हैं.’

कमल ने कहा कि उन्होंने कुछ बॉक्सों की जांच करने के लिए लाखों ट्विटर अकाउंट के माध्यम से एक एल्गोरिथ्म तैयार किया.

भाजपा समर्थक के रूप में पहचाने जाने वाले खाते के लिए उनके ट्विटर बायो में ‘नरेंद्र मोदी द्वारा अनुसरण किया गया’ या ‘भारत सीएए का समर्थन करता है’ जैसी कुछ विशेषता लिखी गई थी, अन्य मानदंडों में एक भाजपा पदाधिकारी या मंत्री के एक या अधिक सत्यापित खातों द्वारा फॉलो किया जाना शामिल है या इसके कुल री-ट्वीट का कम से कम 2 प्रतिशत भाजपा पार्टी या नेता के सत्यापित खातों से आते हैं.

जिन खातों की पहचान कांग्रेस समर्थक के रूप में की गई थी, उसके ट्विटर बायो में ‘कांग्रेस सपोर्टर’ या ‘मैं प्रियंका गांधी का समर्थन करता हूं’ का उल्लेख किया गया था या यदि इसके कुल रीट्वीट का कम से कम 2 प्रतिशत पार्टी या उसके किसी भी नेता के सत्यापित खातों से आया है.

कमल ने प्रत्येक दिन चार घंटे ‘सामान का विश्लेषण करने या माय [कंप्यूटर] एल्गोरिथ्म को संशोधित करने के लिए ट्वीट को बेहतर और तेज़ी से कैप्चर करने के लिए’ संशोधित किया.

कंप्यूटर जो कि लगातार 24 घंटे चला और अंततः भाजपा या कांग्रेस के प्रति स्पष्ट झुकाव वाले 3.9 लाख से अधिक असत्यापित ट्विटर खातों को शॉर्टलिस्ट किया.

उपयोगकर्ता ने कहा, इस शोध की शुरुआत 19 सितंबर 2019 को हुई थी. जबकि कमल ने 25 जनवरी को इनको प्रकाशित किया था, ट्वीट का विश्लेषण अभी भी चल रहा है.

हैशटैग के माध्यम से

अध्ययन के अनुसार, सोशल मीडिया का हैशटैग फीचर जो कि ट्विटर पर गलत सूचना और प्रचार प्रसार का एक सामान्य तरीका है.

कमल के अनुसार उदाहरण के लिए 5 जनवरी की रात को दिल्ली में जेएनयू कैंपस में छात्रों और शिक्षकों पर एक नकाबपोश डकैत ने हमला किया था. 0@pandeymanishmzp नाम के एक बीजेपी समर्थक ने लगभग 10.30 बजे हैशटैग #LftAttacksJNU का उपयोग करना शुरू कर दिया. कमल के अनुसार, हैशटैग का उपयोग 30 मिनट के भीतर 2.3 लाख बार किया गया था.

@ Pandeymanishmzp के ट्वीट के आधे घंटे के भीतर बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने उसी हैशटैग का इस्तेमाल किया, ट्वीट किया, ‘… वाम समर्थित छात्र संघ एबीवीपी के सदस्यों को निशाना बना रहा है …. वह इन दावों के साथ एक ऐसे वीडियो में दिखाई दिए, जिसमें एबीवीपी के सचिव मनीष जांगिड़ के रूप में पहचाने गए एक शख्स ने कथित रूप से आरोप लगाया था.

वीडियो को लगभग 40,000 बार देखा गया और इस पोस्ट को 3,000 से अधिक बार रीट्वीट किया गया.

आरोप महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उस रात के हमले के अपराधी अब भी पकड़ से बाहर हैं. हमले के तुरंत बाद वामपंथियों और दक्षिणपंथियों ने एक-दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाया था, जिससे पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था.

कमल ने गलत सूचना शुरू करने वाले कांग्रेस समर्थक खाते का एक कथित उदाहरण भी साझा किया – ट्विटर उपयोगकर्ता @Me_nehru युवा कांग्रेस अभियान के कांग्रेस प्रभारी श्रीवत्स वाईबी और पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व सांसद उदित राज द्वारा फॉलो किया गया था.

@Me_nehru ने बुधवार को एक ट्वीट में सुझाव दिया कि ‘शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और पुलिस स्टेशन के बजाय निजी स्कूल में रखा गया? यह ट्वीट एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा एक ही दावा करने वाले वीडियो के साथ पोस्ट किया गया था. इसे 119 बार रीट्वीट किया गया है, जबकि वीडियो को 1,200 बार देखा गया है.

जांच पोर्टल्स ऑल्ट न्यूज़ और बूम लाइव से जुड़े प्रतीक सिन्हा और करेन रेबेलो से शोध के बारे में पूछे जाने पर उन लोगों ने कहा कि यह संभव था कि प्रत्येक पार्टी के पास उनसे जुड़े कई अकाउंट थे.

उन्होंने कहा कि उनके पास व्यक्तिगत रूप से इस दावे को बैक करने के लिए डेटा नहीं है, लेकिन यह पाया गया कि ट्विटर खातों द्वारा गलत सूचनाओं का आना एक राजनीतिक पार्टी का समर्थन करता है.

यह शोध 2018 में भारत में फर्जी खबरों पर बीबीसी के अध्ययन के अनुसार हुआ है, जिसके अनुसार ‘कई ट्विटर हैंडल ने बीजेपी विरोधी क्लस्टर की तुलना में बीजेपी क्लस्टर’ के पक्ष में फर्जी खबरें प्रकाशित की है.

भाजपा और कांग्रेस से जब इस बाबत जवाब मांगने की कोशिश की गई तो दोनों ने ही इस बात से इंकार किया कि वे गलत सूचनाओं को देने वाले अकाउंट्स को सपोर्ट करते हैं.

भाजपा की आईटी और सोशल मीडिया कैंपेन कमिटी के सदस्य खेमचंद शर्मा ने कहा कि पार्टी की ऑनलाइन रणनीति उसके कार्यकर्ताओं के सहारे है. उन्होंने कहा, ये संख्या बताना संभव नहीं है कि ट्वीटर अकाउंट के जरिए हमारे कितने कार्यकर्ता हैं. लेकिन पार्टी के पास करीब एक लाख सोशल मीडिया कार्यकर्ता हैं.

उन्होंने कहा, ‘गलत सूचनाओं पर काम करना भाजपा का मोटिव नहीं है.’ ‘हमारा ध्यान सकारात्मक कैंपेन पर होता है और जो कार्यकर्ता अपने व्यक्तिगत तौर पर कुछ करें उसपर संगठन बहुत कम ही कर सकता है.’

कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रमुख रोहन गुप्ता ने भी माना कि सोशल मीडिया पर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के आसरे ही हैं लेकिन ये अनुमान लगा पाना संभव नहीं है कि कितने ऐसे अकाउंट पार्टी को सपोर्ट करते हैं.

उन्होंने कहा कि ‘हम फेक न्यूज़ पर काम नहीं करते हैं.’ ‘हर कोई जानता है कि आधिकारिक ट्रोलर्स भाजपा के आधिकारिक लोग हैं जैसे संबित पात्रा और अमित मालवीय.’

( खबर को पठनीय बनाए रखने के लिए हमने m/u/onosmosis का नाम कमल रखा है.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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