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Monday, 23 December, 2024
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मोदी सरकार की बड़ी जीत, तीन तलाक बिल राज्यसभा में भी पास

बिल का विरोध करते हुए टीमएसी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, आरजेडी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के लिए कहा था लेकिन यह प्रस्ताव सदन में गिर गया.

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नई दिल्ली: लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो गया. बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष 84 वोट पड़े. विपक्षी दलों के कई सांसदों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग भी की लेकिन सदन में कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया. प्रस्ताव के पक्ष में 84 और विपक्ष में 100 वोट पड़े.

तीन तलाक बिल मंगलवार को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी चर्चा के लिए लाया गया. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने बिल सदन में पेश होने से पहले राज्यसभा में अपने सांसदों को व्हिप जारी की थी. वहीं बीजेडी ने राज्यसभा में तीन तलाक बिल का समर्थन किया है. चर्चा के दौरान बिल का विरोध करते हुए टीमएसी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, आरजेडी, एनसीपी, बसपा, डीएमके, पीडीपी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांगी की है. जेडीयू और एआईएडीएमके ने इसके विरोध में सदन से वॉकआउट किया.

26 जुलाई को लोकसभा में कुछ बदलावों के बाद यह बिल राज्यसभा में पारित करने के लिए लाया गया है. मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान यह बिल लाई थी. लेकिन लोकसभा में बिल पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था. इसके बाद केंद्र सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आई थी.

साढ़े चार घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए राज्यसभा में मंगलवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हजारों वर्षेां पहले ही इस व्यवस्था को गलत बता दिया गया था, लेकिन हम 2019 पर इस बारे में बहस कर रहे हैं. विपक्षी लोग इसे गलत बता रहे हैं, क्योंकि ये लोग इसे चलने देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब मेरे पास फाइल आई तो पीएम ने तुरंत कहा कि तीन तलाक के पीड़ितों के साथ खड़े हो जाओ. हम कोर्ट के बाहर और अंदर इन बहनों के साथ खड़े रहे. संसद को कोई कानून पास करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने को कहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा कानून न लाएं जो राजनीति से प्रेरित हो और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए. उन्होंने आगे कहा कि सरकार चूहे मारने की दवाई के प्रयोग की तरह इस कानून को पहले मुसलमानों पर ही प्रयोग कर दिया. मर जाएं तो वही, बच जाएं तो वही. जो पति अपनी पत्नी की वजह से जेल चला जाएगा. उसके बाद उसके बच्चे और पत्नी कैसे रह सकते हैं. जेल से निकलने के बाद वह भीख मांगेगा या चोर बनेगा यही आपकी मंशा भी है. आप ने संरक्षण के लिए कोई प्रावधान भी नहीं रखा है. आप सिर्फ जेल में भेजना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि लिचिंग को लेकर भी कानून बनाने को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है लेकिन आपने क्या कोई कानून बनाया? कोर्ट के जो फैसले आपको ठीक लगते हैं वो आप ले आते हैं.

नेता प्रतिपक्ष गुलाब नबी आजाद ने कहा कि इस बिल का असली मकसद मुस्लिम परिवार को तोड़ना है. सरकार मुस्लिम महिलाओं के नाम पर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. आजाद ने कहा कि न रहे बांस, न बजगी बांसुरी, अब इस बिल के जरिए सरकार घर के चिराग से ही अपने ही घर में आग लगाना चाहती है.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कर रही है. यह बेहद ही हास्यास्पद है. भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं को टिकट तय नहीं ​दिया. उनके हक देने की बात कर रही है.

एनसीपी सांसद माजिद मेनन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह बिल मुस्लिम घरों की तोड़ने की कोशिश है. बर्बादी की ओर ले जाने वाला बिल है. इसे सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाना चाहिए.

बसपा सांसद सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि बसपा इस बिल के खिलाफ है. जब सुप्रीम कोर्ट ने ही इसे नकार दिया तो आप सरकार फिर से इसे क्यों लाना चाहते है.इस बिल के आने के बाद महिलाएं ही सबसे ज्यादा प्रताड़ित होगी, पुरुष के जेल जाने के बाद महिलाएं कही की नहीं रह जाएगी.

डीएमके नेता तिरुची शिवा ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह बिल असंवैधानिक है. मुस्लिम महिलाओ से न्याय के नाम पर पुरुषों को जेल में डाला जाएगा. सरकार को इस बिल को वापस लेना चाहिए. इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. बिल मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं है.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि देश की आधी आबादी को इस विधेयक के कानून बनने के बाद आजादी मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस पुराने कानून को खत्म कर देश के संविधान का कानून बनाना चाहती है. समान नागरिक की दिशा में यह पहला कदम है. इसके बाद 370 और 35ए भी जाएगा.

चर्चा में वायएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि हमारी पार्टी बिल के खिलाफ वोट करेगी. यह बिल का मौजूदा स्वरूप स्वीकार नहीं है.

सरकार संसदीय परंपरा का अपमान कर रही है : टीमएसी

तीन तलाक विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए टीमएसी सांसद डोला सेन ने कहा कि सरकार बिल को बगैर जांचे पास करा रही है. विधेयकों को बुलडोज किया जा रहा है. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है इसका मतलब यह नहीं कि वह संसदीय परंपरा और संविधान का अपमान करेंगे. सरकार तीन तलाक बिल को महिला सशक्तीकरण से जोड़ रही है. मौजूदा लोकसभा में सिर्फ 11 फीसदी महिलाएं हैं. तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए.

चर्चा में एआईएडीएमके के सांसद नवनीत कृष्णन ने बिल को अंसवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह बिल ठीक नहीं है. इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. इसके अलावा सीपीएम ने भी इसका विरोध किया है.

बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि हमारी पार्टी और ओडिशा सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए काम करती आई है. पार्टी ने महिलाओं को बराबरी का प्रतिनिधित्व दिया है. हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है.

तीन तलाक विधेयक पर चर्चा के दौरान आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा कि कोर्ट ने जब तीन तलाक बिल को विवेकहीन करार दिया है तो हम इसमें विवेक क्यों डालने जा रहे हैं. यह नागरिक अनुबंध है और इसमें अपराध क्यों तलाश रहे हैं. सरकार को मुआवजे के प्रावधान पर फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि जेल में रहते हुए किसी के लिए गुजारा भत्ता देना कैसे मुमकिन है. इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए.

देश आज कांग्रेस के व्यवहार को देख रहा है: नकवी

चर्चा में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. 33 वर्ष बाद आज सदन सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए चर्चा कर रहा है. कुरीति का इस्लाम से क्या लेना देना, इसे तो कई इस्लामिक देश गैर कानूनी और गैर इस्लामी बताकर खत्म कर चुके हैं. इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है. पहले भी देश ने साथ आकर कई कुरीतियों को खत्म किया है तब कोई हंगामा क्यों नहीं हुआ. देश आज कांग्रेस के व्यवहार को देख रहा है. लोकसभा से राज्यसभा में आते आते बिल पर कांग्रेस के पैर क्यों लड़खड़ा जाते हैं.

सरकार बाकि महिलाओं के बारे में क्यों नहीं सोच रही: कांग्रेस

कांग्रेस सांसद अमी याज्ञिक ने तीन तलाक बिल पर बोलते हुए कहा कि यह बिल सिर्फ एक महिला नहीं उसके पूरे परिवार से जुड़ा है. महिला सशक्तीकरण और बिल के खिलाफ हम कतई नहीं हैं, लेकिन सरकार बाकि महिलाओं के बारे में क्यों नहीं सोच रही है. हर महिला को जीवन में बहुत कुछ झेलना पड़ता है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने जिसे गैर कानूनी ठहरा दिया है आप उस पर कैसे एक कानून ला सकते हैं.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि न्याय और समानता सबसे पहले गरिमा की बात करता है. कानून से पहले महिलाओं को समाज में बराबरी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय के बीच विभेद मत करिए. सभी को पति की जरूरत है और उसे बेल का पूरा हक है. राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के कई प्रस्ताव विपक्षी सांसदों की ओर से दिए गए हैं. वहीं कुछ सांसदों ने बिल पर संशोधन प्रस्ताव भी सदन में पेश किए हैं.

बिल के विरोध में जेडीयू का वॉक आउट

बिल के खिलाफ जेडीयू ने वॉक आउट किया. पार्टी नेता वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल के साथ नहीं है. हर पार्टी की एक विचारधारा है और उसके पालन के लिए वह स्वतंत्र है. उन्होंने कहा कि विधेयक पर बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है. हमारी पार्टी बिल पर वॉक आउट करती है.

इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए- कानून मंत्री प्रसाद

उच्च सदन में तीन तलाक विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज सदन के लिए ऐतिहासिक दिन है. 20 से ज्यादा इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बैन कर दिया है. भारत जैसे देश में यह लागू नहीं रह सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे असंवैधानिक करार दिया है. कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इस पर कार्रवाई नहीं हो पा रही थी. लोग छोटी छोटी बातों पर तीन तलाक दे रहे थे. इसी वजह से हम यह कानून लेकर आए हैं. इस विधेयक में हमने समझौते का प्रावधान भी रखा है. इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए. यह सवाल नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का है.

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