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Friday, 22 November, 2024
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TMC सांसद सुष्मिता देव पर त्रिपुरा में कार से खींचकर हमला, कहा- पहले से तय थी योजना

सुष्मिता देव ने दावा किया कि 25 से 30 लोगों ने उनकी कार को घेर लिया, 30 से 40 मिनट तक उनपर हमला किया गया लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया.

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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव पर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से नौ किलोमीटर दूर, अमताली पुलिस स्टेशन इलाक़े में लाठी-डंडों से हमला किया गया है.

देव, जिनके पिता संतोष मोहन देव इलाक़े से कांग्रेस विधायक थे, शुक्रवार को घर-घर जाकर चुनाव प्रचार की अगुवाई कर रहीं थीं. उसी वक्त उनके क़ाफिले पर हमला किया गया.

तृणमूल सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सांसद को उनके सहयोगियों और प्रशांत किशोर की अगुवाई वाले राजनीतिक परामर्श समूह आई-पैक के सदस्यों को उनकी गाड़ियों से बाहर खींचकर सड़क पर पीटा गया और गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई.

सूत्रों ने बताया कि क़रीब छह तृणमूल कार्यकर्त्ताओं और आईपैक सदस्यों को गंभीर चोटें आईं हैं, जबकि सुष्मिता को लिगामेंट में घाव हुए हैं.

घटनास्थल से ही दिप्रिंट से बात करते हुए देव ने कहा कि कम से कम 20-25 लोगों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया था.

देव ने कहा, ‘ये एक पूर्व-नियोजित हमला लगता है. हम कोई 10-12 लोग थे, जो त्रिपुरा में नवंबर में होने वाले नगर निकाय चुनावों के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर रहे थे. हमारी कार पर पूरी तरह से विज्ञापन लगाए गए थे, जिस पर ममता बनर्जी की तस्वीरें और तृणमूल का लोगो लगा हुआ था.

‘25-30 लोगों के एक समूह ने अचानक हमारी कार को घेर लिया, और उस पर डंडे मारने लगे; उन्होंने कार की विंडशील्ड तोड़ दी, और मेरे सहयोगियों को गाड़ी से बाहर खींच लिया. उन्होंने मेरा बैग छीन लिया और मेरा फोन सड़क पर फेंक दिया. ये हमला 30 से 40 मिनट तक चलता रहा, जिस दौरान दो वर्दीधारी लोग वहां ख़ामोश खड़े रहे. ख़ुद को बचाने के लिए मैं पुलिस स्टेशन की ओर भाग उठी. मैंने कभी राजनीतिक हिंसा को इतने क़रीब से नहीं देखा था. बहुत ही भयानक था’.

उनका कहना था कि पुलिस ने दख़लअंदाज़ी के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘पुलिस स्टेशन उस जगह से 500 मीटर की दूरी पर है, लेकिन उसकी ओर से कोई दख़ल नहीं दिया गया. ऐसा लगता है कि ये राज्य समर्थित हिंसा थी, और तृणमूल कांग्रेस को डराने और धमकाने के लिए पूर्व-नियोजित थी.

त्रिपुरा पिछले महीने भी सुर्ख़ियों में था, जब राज्य में राजनीतिक हिंसा फैल गई थी, और सीपीआई (एम) के दफ्तरों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया था.

देव ने कहा कि अब टीएमसी निशाने पर है, क्योंकि बीजेपी को उसके उत्थान से चिंता हो रही है.

सांसद ने कहा, ‘सीपीएम अब कहीं नज़र नहीं आती, और कांग्रेस पूरी तरह अप्रासंगिक होकर रह गई है. बीजेपी इस बात को समझती है कि तृणमूल ही अकेली मज़बूत विपक्ष है और इसी वजह से वो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.’

‘लेकिन हम कांग्रेस नहीं हैं, हम तृणमूल कांग्रेस हैं. मैंने हमारे राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक से बात की है, जिन्होंने मुझसे मज़बूत बने रहने के लिए कहा है. कल हम एक और बड़ा आंदोलन आयोजित करेंगे, जिसके लिए कोलकाता से मंत्रियों और सांसदों की एक टीम यहां पहुंच रही है.’


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त्रिपुरा की राजनीतिक हिंसा

तृणमूल कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्य की सियासत में नई-नई दाख़िल हुई है, लेकिन त्रिपुरा का इतिहास रहा है कि यहां के चुनाव, राजनीतिक रूप से आवेशित रहे हैं.

2019 में, सत्ताधारी बीजेपी ने पंचायत चुनावों में लगभग 86 प्रतिशत सीटें निर्विरोध जीत लीं थीं. सूबे में क़रीब 6,100 पंचायत सीटें हैं, लेकिन सीपीआई(एम) और कांग्रेस ने क़रीब 10 प्रतिशत सीटों पर ही नामांकन दाख़िल किए थे, और ‘बीजेपी के हथियारबंद गिरोहों’ पर धमकाने का आरोप लगाया था.

राज्य में नवंबर के अंत तक नगर निकाय चुनाव होने हैं, और फिर अगले डेढ़ साल में असेम्बली चुनाव भी कराए जाने हैं.

तृणमूल कांग्रेस, जो विस्तार मोड में है, यहां की सियासत में दाख़िल हो गई है, और अभिषेक बनर्जी को यहां का प्रभारी बनाया गया है.

सुष्मिता देव के अनुसार आगामी नगर निकाय चुनावों में, पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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