मुर्शिदाबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक ‘कैंसर’ है और हिजाब वाला विवाद एक ‘ड्रामा’ है. ये वे बातें हैं जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद शाकिफ ने ‘गणतंत्र को बचाने’ के लिए गुरुवार को मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल में आयोजित एक ‘विशाल जनसभा’ के दौरान कहीं.
हजारों लोगों – पुरुषों, महिलाओं, यहां तक कि छोटे बच्चों की भी – की भागीदारी वाली इस बैठक में पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के किसी नेता ने पहली बार सार्वजनिक रूप से पीएफआई, जो कि एक इस्लामी संगठन है, के साथ मंच साझा किया. फरक्का से टीएमसी विधायक मनिरुल इस्लाम ने कहा कि उन्होंने लोगों की तरफ से इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया पहले कभी नहीं देखी.
इस्लाम ने कहा, ‘हमारी लड़ाई हमारे हुकूक (अधिकारों) के लिए है, इज्जत के साथ जीने की है. हम भारतीय हैं. सरकार एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है. हम किसी की दया के तले नहीं रहना चाहते और पीएफआई इसी बात के लिए खड़ा है.’
एक और पहली बार हुए घटनक्रम में पीएफआई के 300 कैडरों का दस्ता मुर्शिदाबाद के बासुदेवपुर से कांकुरिया तक पांच किलोमीटर की दूरी पर मार्च करते हुए आया. इस समूह द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, एक सरकारी स्कूल के खेल के मैदान में आयोजित इस बैठक में शामिल होने से पहले कैडरों ने पहली बार पश्चिम बंगाल में दर्शकों के सामने अपने ड्रिल भी पेश किये.
इस सारे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शाकिफ ने भारत के हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने का आरोप लगाते हुए सीधे आरएसएस पर निशाना साधा. उन्होंने ‘अल्लाहु अकबर’ और ‘पीएफआई जिंदाबाद’ के नारों के बीच अपना भाषण शुरू करते हुए कहा, ‘हमारे नगाड़ों की आवाज आरएसएस के लोगों तक तक पहुंचती है, और वे नागपुर में डर जाते हैं.’ .
शाकिफ ने कहा, ‘आरएसएस एक कैंसर है. हम इस देश में एकमात्र ऐसे संगठन हैं जो उनकी राह में कांटे की तरह खड़े हैं. इसलिए वे हमें निशाना बनाते हैं. वे हमें ‘चरमपंथी’ (फ्रिंज) कहते हैं. हम मर जाएंगे, लेकिन हम अपना माथा नहीं झुकाएंगे.’
उन्होंने कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले शैक्षणिक संस्थानों पर चल रहे विवाद पर भी रौशनी डाली, जहां पीएफआई, और इसकी राजनीतिक शाखा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने एक बड़ी भूमिका निभाई है.
शाकिफ ने इस्लाम में ‘इंसाफ के दिन’ की अवधारणा का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमने देखा कि कैसे चंद मीटर कपड़ों का टुकड़ा इस देश में खतरा बन गया है. आरएसएस ने यह सारा ड्रामा रचा और अपने लड़कों को भगवा रंग के कपड़ों में भेजकर अदालत पर दबाव बनाया. हिजाब हमारा बुनियादी हक़ है. हमें कुरान मत सिखाइये. हिजाब तो कयामत के दिन तक रहेगा. ‘
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आरएसएस ही रहा मुख्य निशाना
इस बैठक में बोलने वालों ने एक बार भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया, और तीन घंटे के इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का भी केवल तीन बार जिक्र किया गया. लेकिन आरएसएस, जो संघ परिवार का वैचारिक स्रोत है, इसके मुख्य निशाने पर था.
शाकिफ ने कहा, ‘आरएसएस सत्ता में आकर सब लोगों को सता रहा है. अगर गांधी को सबसे अच्छा हिंदू माना जाता है, तो एक बात याद रखें कि उन्हें आरएसएस के एक कार्यकर्ता गोडसे ने मार डाला था न कि किसी मुसलमान ने.’
उन्होंने दिसंबर में हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद‘ कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल का मुद्दा भी उठाया. साथ ही ‘बुली बाई‘ ऐप, जिसमें मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड करके और उनकी ‘नीलामी’ करके उन्हें निशाना बनाया गया था, और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) एवं नेशनल सिटीजनशिप रजिस्टर (एनआरसी) के बारे में भी बातें की.
भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान द्वारा अपनी टीम के साथी मोहम्मद शमी के समर्थन में बोलने के बाद कोहली की नवजात बेटी के खिलाफ बलात्कार की ऑनलाइन मिली धमकी का जिक्र करते हुए, शाकिफ ने आरोप लगाया, ‘एक मुस्लिम गेंदबाज के समर्थन में आवाज उठाने के बाद आरएसएस के इन कैंसर वाले कीड़ों ने विराट कोहली के बच्चे को भी नहीं बख्शा. उसे (विराट को) कप्तानी से हटा दिया गया.’
आर्यन खान के खिलाफ ड्रग्स वाले मामले का जिक्र करते हुए शाकिफ ने दावा किया, ‘यहां तक कि शाहरुख खान के बेटे को भी जेल भेज दिया गया था क्योंकि इस अभिनेता ने एनआरसी-सीएए के खिलाफ बात की थी.’
टीएमसी और पीएफआई
गुरुवार की बैठक ने टीएमसी और पीएफआई के लिए नई रिश्ते की शुरुआत की है, जो पहले कभी ऐसी संबंधों वाले नहीं रहे हैं. इससे पहले, साल 2020 मे, टीएमसी सांसद अबू ताहिर खान के नाम के साथ उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब मुर्शिदाबाद में सीएए-एनआरसी के खिलाफ आयोजित किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के लिए उनके नाम के साथ पीएफआई के पोस्टर जारी किए गए थे.
उस समय सांसद ने तेजी दिखाते हुए इस सब में उनकी किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया था और मीडिया से कहा था कि उन्हें इस बारे में जानकारी कोई नहीं है. उन्होंने ऐसे पोस्टर प्रकाशित करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के लिए पीएफआई के खिलाफ पुलिस में एक शिकायत भी दर्ज कराई थी. उसके दो दिन बाद ही पुलिस ने पीएफआई को कोई भी जनसभा करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.
नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद दिसंबर 2019 में मुर्शिदाबाद में हुए हिंसक सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन के बाद से ही पीएफआई की भूमिका संदेह के घेरे में रही है. टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों ने पहले दावा किया था कि हालांकि उनकी पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं करेंगी, मगर उन्होंने पुलिस से इस समूह को ‘निगरानी’ के दायरे में रखने के लिए कहा है.
9 फरवरी को कर्नाटक में भड़के हिजाब विवाद को देखते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस को- यदि राज्य में इस मुद्दे को उठाया गया और हिंसा हुई तो इसे संभालने के लिए – हाई अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया था.
पिछले हफ्ते, मुर्शिदाबाद जिले के बाहुताली हाई स्कूल में वहां के प्रधानाध्यापक द्वारा स्कुल की छात्राओं में से एक को अपना हिजाब उतारने के लिए कहे जाने के बाद हिंसक झड़पें हुईं थी. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस से भी स्थानीय लोगों की झड़प हुई थीं.
पास के सुति ब्लॉक-II पुलिस स्टेशन में कार्यरत एक सब-इंस्पेक्टर, जिसने अपनी पहचान जाहिर नहीं की, ने दिप्रिंट को बताया कि इस मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन उसने उन लोगों की पहचान नहीं बताई.
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