पुलिस को शक है कि पत्थलगड़ी आंदोलन समर्थक नक्सलियों से जुड़े हुए हैं। कार्यकर्ता कहते हैं कि स्वराज्य के लिए आन्दोलन को बदनाम करने के लिए पुलिस साज़िश रच रही है।
खूँटी: झारखण्ड के जनजातीय इलाके में पांच कार्यकर्ताओं के कथित गैंग रेप की जांच को स्थानीय राजनीति ने विचलित कर दिया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस और जनजातीय विद्रोह के बीच संघर्ष इसके केंद्र में है।
कथित घटना 19 जून को खूँटी जिले के कोचांग गाँव, जो कि पुलिस रिकॉर्ड में वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) कॉरिडोर का हिस्सा है, में हुई थी जब मानव तस्करी के खिलाफ और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कार्य कर रहे एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन आशा किरण से एक कार्यकर्ता समूह को प्रवासन पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक मिशनरी स्कूल में एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया था।
सशस्त्र पुरुषों ने कार्यकर्ताओं का अपहरण किया, उन्हें घने जंगलों में ले गए और कथित तौर पर उनका बलात्कार किया। कार्यकर्ताओं को किसने बुलाया था?, सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है।
हालाँकि जिन महिलाओं का बलात्कार हुआ उनके बारे में बहुत कुछ ज्ञात नहीं है। उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें अब पुलिस हिरासत में रखा गया है। नक्सल और स्थानीय जनजातीय भागीदारी और पुलिस षडयंत्र का दावा करने वाले सिद्धांतों का आधार बढ़ रहा है।
एनजीओ के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, “हम मीडिया से बात नहीं कर सकते…जो कहा जा रहा है उसमें से कुछ झूठ है लेकिन हम अभी कुछ भी नहीं कह सकते, कृपया इसका सम्मान करें।
खूँटी जिले में एनजीओ को अन्दर से बंद कर लिया गया है, जिसमें किसी भी आगंतुक को प्रवेश करने की इज़ाज़त नहीं है। प्रवेश द्वार पर गार्ड ने कहा, “हमें किसी को भी अन्दर न जाने देने के सख्त निर्देश मिले हैं।”
पत्थलगड़ी सिद्धांत
राज्य पुलिस ने पत्थलगड़ी आन्दोलन, जो झारखण्ड के कुछ हिस्सों में केंद्र और राज्य सरकार से स्वायत्तता की घोषणा करता हुआ एक जनजातीय आन्दोलन है, के समर्थकों की भागीदारी की तरफ इशारा किया है लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं को संदेह है कि शायद पुलिस स्वदेशी आन्दोलन को बदनाम करने के लिए साज़िश रच रही है।
खूँटी की एक स्थानीय कार्यकर्ता सुषमा ने कहा, “पुलिस और सरकार पत्थलगड़ी आन्दोलन को निशाना बनाने के लिए कारणों की तलाश में रहती है…इसलिए यह एक और चाल हो सकती है। नहीं तो पीड़ितों की पहचान के बारे में कुछ भी सामने क्यों नहीं आ रहा? सबकुछ इतना कसकर क्यों सुरक्षित किया जा रहा है?”
पत्थलगड़ी आन्दोलन, जो हालिया महीनों में ही झारखण्ड के जनजातीय क्षेत्रों में आया है और प्राधिकरणों के लिए लगातार एक सिरदर्द रहा है, गाँव की ग्राम सभा को केन्द्रीय और राज्य सरकारों से स्वतंत्र एक स्वायत्त प्रशासनिक इकाई के रूप में मानता है।
झारखण्ड पुलिस द्वारा शनिवार को पत्थलगड़ी के प्रभुत्व वाले गाँव से 6 में से 2 आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने के बाद आन्दोलन के समर्थकों ने बदले के तहत मंगलवार को खूँटी में एक भाजपा सांसद के घर की पहरेदारी कर रहे तीन पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया।
खूँटी जिले के पुलिस अधीक्षक अश्विनी कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “हम अभी पत्थलगड़ी समर्थकों के साथ संघर्ष में फंसे हुए हैं….हम इस क्षेत्र में अपने बलों को संगठित कर रहे हैं।”
स्थानीय पुलिस ने पुलिस द्वारा लाठी चार्ज की घटनाओं को स्वीकार किया था।
एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, “पत्थलगड़ियों का स्थानीय नक्सल समूहों के साथ भी सम्बन्ध है….अन्यथा वे संविधान को क्यों ख़ारिज करेंगे?”
अधिकारी ने आगे कहा, “वह पूरा क्षेत्र ही पत्थलगड़ी है। जाहिर है, किसी ने इन लड़कियों को दूरवर्ती गाँव में बुलाया और अपराधियों, जिनमें से कम से कम एक पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) से है, को सूचित कर दिया कि लड़कियां कब और कहाँ कार्यक्रम कर रहीं थीं।
स्थानीय पुलिस यह निर्धारित करने के लिए कि कथित तौर पर अपराधियों को कैसे आगाह किया गया, संदिग्धों के कॉल लॉग का पता लगाने के प्रक्रिया में है।
कार्यकर्ताओं की आशंका
हालाँकि, पुलिस विवरण पर कार्यकर्ताओं को शक रहा है। जैसा कि एनजीओ कार्यकर्ता ने दिप्रिंट को बताया कि वे भी मानते हैं कि पुलिस महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दे रही है।
झारखण्ड में एक जनजातीय पत्रकार दयामनी बरला ने पूछा, “इस क्षेत्र में मजबूत नक्सली उपस्थिति है तो एक एनजीओ एक सुदूर स्थान पर कार्यक्रम करने के लिए क्यों जायेगा।”
घटना के एक हफ्ते से अधिक समय के बाद जब दिप्रिंट ने गाँव का दौरा किया तो यहाँ का दृश्य वीराना था और स्थानीय लोग कथित गैंग रेप पर बुरे प्रचार से चौकन्ने थे।
विशाल गाँव के सभी क्षेत्रों में तीर-कमान से लैस पत्थलगड़ी समर्थक कोचांग की “सुरक्षा” कर रहे हैं जहाँ “बाहरी व्यक्तियों” द्वारा कथित घटना को अंजाम दिया गया था।
आर.सी. मिशन स्कूल, जहाँ लड़कियों ने कार्यक्रम किया था, को पूरे हफ्ते बंद रखा गया है।
कक्षा पांच की एक छात्रा ने बताते हुए कि उसने नुक्कड़ नाटक देखा था लेकिन उसके बाद जो हुआ था उसने नहीं देखा, कहा, “उस दिन से वहां कोई शिक्षक नहीं है इसलिए हम स्कूल नहीं जा रहे हैं।”
कथित घटना की रिपोर्ट न करने के लिए पुलिस द्वारा मिशनरी स्कूल के प्रमुख, फादर अल्फोन्सो और दो अन्य शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि अल्फोन्सो ने लड़कियों से इस मामले की रिपोर्ट न करने के लिए कहा था।
स्थानीय अधिकारी ने दावा किया, “हम नहीं जानते यदि ऐसा उन्होंने डर या मिलीभगत के कारण किया, पुलिस इसकी जांच करेगी। लेकिन प्रथमदृष्टयः तथ्यों को दबाने के सबूत दिखाई देते हैं।
हालाँकि, ग्रामीणों, जिनके बच्चे अब स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, पर पुलिस क्या कहती है क्या नहीं कहती है से कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
कोचांग में एक अन्य ग्रामीण ने कहा, “पुलिस नक्सल के नाम पर स्थानीय लोगों पर हमला करने के लिए एक कारण की तलाश में रहती है। यही वह अब भी कर रहे हैं।”
Read in English : Tribal politics, Naxal campaign overshadow horror of 5 women ‘gang raped’ in Jharkhand