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Wednesday, 18 December, 2024
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‘घाटी में हालात सुधरने तक जम्मू करें ट्रांसफर’, कश्मीरी पंडितों की टार्गेट किलिंग पर बोले आजाद

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले हफ्ते घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा पर कहा था कि जरूरी उपाय किए गए हैं. साथ ही ट्रांसफर की मांग करने वालों को कहा था कि घर में बैठे कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा कि घाटी में तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को आतंकवादियों द्वारा लक्षित हमलों के मद्देनजर उनकी जान बचाने के लिए अस्थायी रूप से जम्मू ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए.

आजाद की यह टिप्पणी तब आई है जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले हफ्ते कहा था कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी उपाय किए गए हैं और स्थानांतरण की मांग करने वालों को ‘स्पष्ट’ संदेश देते हुए कहा था कि घर में बैठे कर्मचारियों को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा.

अनंतनाग में एक रैली के दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान आजाद ने कहा, ‘स्थिति के अनुसार एक निर्णय लिया जाना चाहिए. जब स्थिति में सुधार हो, तो उन्हें (कश्मीरी पंडित कर्मचारियों) को वापस आना चाहिए. लेकिन वर्तमान में, इन कर्मचारियों के मन में डर है. फिलहाल, उन्हें जम्मू स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.’

उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक साल में लक्षित हत्याओं की घटनाओं के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि यहां तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारी नहीं रहना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में अन्य कश्मीरी पंडित वापस कैसे आएंगे?’

आजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत 6,000 पद स्वीकृत किए गए थे.

उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्यकाल के दौरान जगती टाउनशिप बनी, बडगाम और अन्य जगहों पर आवास भी ‘डबल शिफ्ट’ काम के तहत बनाए गए.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव पर आजाद ने कहा, ‘वे जो कर रहे हैं उन्हें करने दें, हम अपना काम करेंगे. हम भी एकजुटता के लिए भी काम कर रहे हैं. हम बर्फ से ढके पर्वतों में चलते हैं. कुछ लोग आसान काम लेते हैं, हम कठिन काम लेते हैं.’

इससे पहले रैली को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा कि आतंकवादियों से निपटने के लिए एक अलग नीति होनी चाहिए, जिसे आम लोगों तक विस्तारित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर कश्मीरी को शक की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए.

आजाद ने कहा, ‘लोगों की दो श्रेणियां हैं. एक आतंकवादी है, जो पाकिस्तान में या यहीं हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करता है. उनसे निपटने के लिए हर सरकार की एक नीति होती है. मैंने यह नहीं कहा है कि उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसे सामान्य लोग हैं, जिनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए.’


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बातचीत ही रास्ता

कश्मीर के बाहर स्थानांतरित किए जाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के साथ बातचीत का सुझाव देते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम वाई तारिगामी ने सोमवार को जोर दिया कि चेतावनी, मुद्दों को सुलझाने के बजाय उन्हें जटिल बना सकती है.

मई में अपने सहयोगियों राहुल भट्ट और रजनी बाला की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद सैकड़ों प्रवासी कश्मीरी पंडित एवं आरक्षित श्रेणी के सैंकड़ों कर्मचारी घाटी में अपनी नियुक्ति के स्थानों को छोड़ कर जम्मू में डेरा डाले हुए हैं.

तारिगामी ने कहा, ‘वे लोग एक मुश्किल स्थिति में फंस गए हैं और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए सहानुभूतिपूर्ण और मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत है. अपने लोगों को चेतावनी नहीं दी जाती है, यह स्थिति को और जटिल बना सकती है.’

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कर्मचारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और ‘… अपने ही लोगों के साथ व्यवहार करना सीखें और उनसे बातचीत करें तथा अगर आपको लगता है कि घाटी में स्थिति सामान्य है तो उन्हें संतुष्ट करें, हालांकि स्थिति अलग है.’’

तारागामी ने कहा, ‘हर नागरिक की प्रारंभिक मांग उनके जीवन और संपत्ति की सुरक्षा है. हम विरोध करने वाले कर्मचारियों के साथ हैं और चाहते हैं कि सरकार उन्हें सामान्य तरीके से अपनी ड्यटी करने के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करे.’

कश्मीरी पंडितों के संबंध में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सिंह की टिप्पणी उपराज्यपाल के बयान के विपरीत है. सिंह ने कहा था कि कीमती मानव जीवन बचाना जरूरी है, भले ही इसके लिए दर्जनों कार्यालयों को बंद करना पड़े.

माकपा नेता ने कहा कि उन्हें एक साथ बैठना चाहिए और इस बारे में आम सहमति बनानी चाहिए कि क्या बोलना है या क्या नहीं. उन्होंने घाटी में सामान्य स्थिति बहाल होने के प्रशासन के दावों को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं है जिससे पता लगता हो कि घाटी में स्थिति सामान्य है.


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