नई दिल्ली: डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर उनके बयान को लेकर विवाद अभी थमा नहीं था कि मंगलवार को उन्होंने कहा कि उन्हें संदेह है कि क्या केंद्र महिला आरक्षण विधेयक को कानून बनने के बाद लागू करने को तैयार है, क्योंकि वे इस बारे में केवल बात ही कर रहे हैं.
तमिलनाडु सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री ने कहा, “ऐसा लगता है कि वे (केंद्र) फिलहाल इसे (महिला आरक्षण कानून का मसौदा) लागू नहीं करने जा रहे हैं. पिछले 10 वर्षों से, हम ऐसे कानून की मांग कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि अभी केवल जनगणना और परिसीमन करेंगे. वे इसे कब लागू करेंगे, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.”
इससे पहले, मंगलवार को राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी प्रस्तावित कानून के कार्यान्वयन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसा कोई भी विधेयक या मसौदा कानून जनगणना और परिसीमन अभ्यास के बाद ही कानून बन सकता है.
उन्होंने कहा, “वे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में इस मसौदा कानून को पेश करने से महज राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं.”
सिब्बल ने कहा कि वे लोगों, खासकर महिलाओं को बताना चाहते हैं कि वे इस ऐतिहासिक कानून को लागू कर रहे हैं. उन्हें 2014 में ही ऐसा करना चाहिए था, इसमें इतना ऐतिहासिक क्या है? महिला आरक्षण विधेयक लागू होने से पहले जनगणना और परिसीमन होना चाहिए. अगर जनगणना और परिसीमन नहीं हुआ तो क्या होगा?”
इससे पहले दिन में, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में लोकसभा की पहली बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया. इस विधेयक का नाम “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” रखा गया.
संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान निचले सदन में विधेयक पेश करते हुए मंत्री ने कहा, ”यह विधेयक महिला सशक्तिकरण के बारे में है. संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी. अनुच्छेद 330ए लोक सभा में एससी/एसटी के लिए सीटों के आरक्षण का भी प्रावधान करता है.”
मेघवाल ने कहा कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित होने के बाद लोकसभा में महिलाओं की सीटों की संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी.
इससे पहले चेन्नई में एक सेमिनार में बोलते हुए उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना बीमारियों से की थी और इसे खत्म करने का आह्वान किया था. इस बयान पर भाजपा ने नाराजगी जताई और मांग की कि वह अपने शब्द वापस लें और सार्वजनिक माफी मांगें.
महिलाओं को बेवकूफ दिखाता है
कर्नाटक में आप की महिला इकाई की अध्यक्ष कुशला स्वामी ने अधिनियम का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र द्वारा लोकसभा में नारी शक्ति वंदना अधिनियम या महिला आरक्षण विधेयक पेश करना एक धोखा है जो महिलाओं को बेवकूफ की तरह पेश करता है.
कुशला स्वामी ने कहा, “यह एक ऐसा विधेयक है जो महिलाओं को बेवकूफ की तरह दिखाता है. विधेयक के प्रावधानों को ध्यान से पढ़ने पर भाजपा की धोखाधड़ी का पता चलता है.”
उन्होंने कहा, “भले ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित हो जाए, लेकिन 2024 के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा.”
उन्होंने मांग की कि विधेयक में परिसीमन और जनगणना प्रावधानों को हटा दिया जाए, और आग्रह किया कि मसौदा कानून अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले पारित किया जाए.
उन्होंने कहा, “यह विधेयक परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही लागू हो सकता है. उसके बाद, यह 15 साल तक प्रभावी रहेगा. अगर भाजपा सच में महिलाओं के कल्याण में रुचि रखती है, तो उसे विधेयक में परिसीमन और जनगणना प्रावधानों को हटा देना चाहिए.”
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