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Saturday, 20 December, 2025
होमराजनीति'वे गांधी का नाम बदलना और योजना को खत्म करना चाहते हैं': VB-G-RAM-G बिल पर डीके शिवकुमार का आरोप

‘वे गांधी का नाम बदलना और योजना को खत्म करना चाहते हैं’: VB-G-RAM-G बिल पर डीके शिवकुमार का आरोप

यह विधेयक हर ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है. पहले यह सीमा 100 दिन थी. यह गारंटी उन वयस्क सदस्यों के लिए है जो बिना कुशल शारीरिक श्रम करने को तैयार हैं.

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नई दिल्ली: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को संसद में पारित वीबी-जी-राम-जी विधेयक के खिलाफ राज्य में बड़ा आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी का नाम बदलना चाहती है और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा को खत्म करना चाहती है.

मीडिया से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा कि वे गांधी का नाम बदलना चाहते थे. वे इस योजना को खत्म करना चाहते हैं. इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक में बड़ा आंदोलन शुरू होगा.

इससे पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की पहचान और विरासत को मिटाया नहीं जा सकता.

मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण विधेयक 2025 करने के सवाल पर डीके शिवकुमार ने कहा कि वे नाम नहीं बदल सकते. अगर हिम्मत है तो करेंसी नोट से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा दें. आप ऐसा नहीं कर सकते. क्या आप महात्मा गांधी की तस्वीर नोट से हटा सकते हैं. आप नहीं हटा सकते.

विपक्ष वीबी-जी राम जी विधेयक का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि यह मनरेगा को खत्म करता है और प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाता है. विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक कानूनी रूप से मिले काम के अधिकार को कमजोर करता है और 60:40 के नए फंडिंग पैटर्न के जरिए राज्यों पर भारी वित्तीय बोझ डालता है.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण वीबी-जी राम जी विधेयक पारित किया. लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद राज्यसभा ने भी इस विधेयक को पास कर दिया.

यह विधेयक हर ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है. पहले यह सीमा 100 दिन थी. यह गारंटी उन वयस्क सदस्यों के लिए है जो बिना कुशल शारीरिक श्रम करने को तैयार हैं.

विधेयक की धारा 22 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच फंड साझा करने का अनुपात 60:40 होगा. वहीं उत्तर पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लिए यह अनुपात 90:10 होगा.

विधेयक की धारा 6 के तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे एक वित्तीय वर्ष में कुल साठ दिनों की अवधि पहले से अधिसूचित कर सकें. यह अवधि बोआई और कटाई जैसे कृषि के पीक सीजन को कवर करेगी.

लोकसभा ने गुरुवार को विपक्षी सदस्यों के विरोध और नारेबाजी के बीच इस विधेयक को पारित किया था.

इसी बीच एक अलग बयान में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा कि दिल्ली दौरे के दौरान वे राज्य के हित में केंद्रीय सिंचाई, वन और शहरी विकास मंत्रियों से मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे.

शिवकुमार ने कहा कि वे राज्य के हित में केंद्रीय सिंचाई, वन और शहरी विकास मंत्री से मिलेंगे. इसके बाद वे प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे.

कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात के सवाल पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कहा है कि उचित समय पर दोनों को बुलाया जाएगा. हम उनके बुलावे का इंतिजार करेंगे.


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