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Sunday, 3 November, 2024
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प्रियंका का डंका अब बजा, पर उनके नाम पर पत्रिका पहले से थी

प्रियंका भले ही औपचारिक तौर पर अभी नेता बनीं हो मगर वह राहुल के पहले से राजनीति में सक्रिय रहीं हैं. वे रायबरेली के चुनाव का ज़िक्र करते है.

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नई दिल्ली:  यह प्रियंका गांधी की लोकप्रियता ही है कि जबसे उनके नाम की घोषणा सक्रिय राजनीति के लिए हुई है तभी से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर विपक्षी दलों में खलबली सी मच गई है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रियंका भले ही यूपी में डूबती कांग्रेस की महासचिव बनी हों, मगर उनकी लोकप्रियता तो शुरू से ही रही है. यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि कुछ साल पहले तक प्रियंका पर पूरी पत्रिका भी निकलती थी. जिसका नाम था `द वर्ल्ड ऑफ प्रियंका.’

राहुल गांधी लगभग एक दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं मगर आज भी वह उतने लोकप्रिय नहीं हुए हैं जितनी की बहन प्रियंका. उन पर शायद ही किसी ने पत्रिका निकालने के बारे में सोचा हो. लेकिन प्रियंका का डंका तो शायद उनके जन्म के साथ ही बजने लगा था.

प्रियंका की लोकप्रियता को देखते हुए संवाददाता अभिलाष अवस्थी ने `द वर्ल्ड ऑफ प्रियंका` पत्रिका भी निकाली थी. अवस्थी ही इस पत्रिका के संपादक भी थे. वह कभी साप्ताहिक धर्मयुग में कार्यरत थे. वह बताते हैं- यह पत्रिका करीब चार साल तक चली. अच्छा रिसपांस था. मगर मोदी युग आने के बाद आर्थिक सहयोग मिलना बंद हो गया तो पत्रिका बंद करनी पड़ी.

अभिलाष अवस्थी बताते हैं उन्हें पत्रिका निकालने की प्रेरणा धर्मवीर भारती की बातों से मिली थी. भारतीजी अक्सर कहते थे – तुम क्रिकेट पर लिखना चाहते हो तो सचिन तेंदुलकर पर लिखो, वह पढ़ा जाएगा. मैं सेकुलरिज़्म और कांग्रेस पर पत्रिका निकलना चाहता था इसलिए उसकी सशक्त प्रतीक प्रियंका गांधी पर पत्रिका निकालना तय किया.

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प्रियंका के नाम से निकलने वाली पत्रिका का कवर पेज/ फेसबुक

पत्रिका के निर्माण की कहानी पर वह कहते हैं – हमें रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर्स से नाम मिल गया था. हम चाहते तो पत्रिका निकाल सकते थे. मगर हमने तय किया था कि हम प्रियंका की अनुमति मिलने के बाद ही पत्रिका निकलेंगे. तो हमने पत्रिका की डमी बनवाई और प्रियंका के दफ्तर भिजवाई इसे प्रियंका ने देखा और पसंद किया फिर मिलने बुलाया और कहा कि छापें और बाद में कापी लाकर दिखाएं. इस तरह पत्रिका शुरू हुई.

अभिलाष बताते हैं कि प्रियंका भले ही औपचारिक तौर पर अभी नेता बनीं हो मगर वह राहुल के पहले से राजनीति में सक्रिय रहीं हैं. वे रायबरेली के चुनाव का ज़िक्र करते है. तब सतीश शर्मा के खिलाफ अरुण नेहरू चुनाव लड़ें थे. प्रियंका भी कांग्रेस के लिए वहां काम कर रहीं थी. उन्होंने सभा में एक वाक्य बोलकर सारे माहौल को बदल दिया था. उन्होंने कहा – मेरे पिता की पीठ में छुरा घोपनेवाले व्यक्ति को आपने रायबरेली में घुसने कैसे दिया. कहना न होगा कि उनका इशारा अरुण नेहरू की तरफ था.

अभिलाष अवस्थी को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद उनकी पत्रिका के अच्छे दिन आएंगे और इसके फिर से निकलने की संभावना भी बढ़ गई है. अभिलाष को प्रियंका की अजेयता पर भारी विश्वास है. वे मानते है प्रियंका  इतनी ताकतवर हैं कि वह कई मोदियों पर भारी पड़ सकती है. अगली सरकार में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

(लेखक दैनिक जनसत्ता मुंबई में समाचार संपादक और दिल्ली जनसत्ता में डिप्टी ब्यूरो चीफ रह चुके हैं. पुस्तक आईएसआईएस और इस्लाम में सिविल वॉर के लेखक भी हैं.)

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